नई दिल्ली । देश की जेनरेशन Z कर्ज उठाने में अन्य विकासशील देशों के मुकाबले काफी सुस्त है। ये बात सामने आई है क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल के एक सर्वे में। जेनरेशन Z में 24 साल से कम उम्र के युवा शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कर्ज उठाने के योग्य 24 साल तक के युवाओं में से सिर्फ 6% ही कर्ज उठाकर खऱीदारी कर रहे हैं। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में ये आंकड़ा 19 फीसदी या उससे ज्यादा का है। विकसित देशों में ये आंकड़ा 60 फीसदी से ज्यादा का है।
खास बात ये है कि इस पीढ़ी की कर्ज चुकाने की क्षमता बाकी लोगों से बेहतर है। इस पीढ़ी के आधे से ज्यादा युवाओं का क्रेडिट स्कोर प्राइम या उससे ज्यादा कैटेगरी में है। वहीं 22 फीसदी युवा क्रेडिट स्कोर में सबसे नीचे यानि सबप्राइम कैटेगरी में हैं। दूसरी तरफ देश के कुल क्रेडिट एक्टिव लोगों में से 25 फीसदी सबप्राइम कैटेगरी में आते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक नई पीढ़ी सबसे ज्यादा कर्ज दोपहिया वाहन खरीदने के लिए लेती है। 21 फीसदी युवा कर्ज लेकर दो पहिया वाहन खरीद रहे हैं, वहीं 13 फीसदी युवाओं ने कर्ज की मदद से कंज्यूमर ड्यूरेबल सेग्मेंट में खऱीदारी की। 8 फीसदी युवाओं ने पढ़ाई के लिए कर्ज लिया है, वहीं 6% युवाओं ने पर्सनल लोन लिया है।
जेनरेशन Z में 24 साल से कम उम्र के युवा और बच्चे शामिल हैं। इस पीढ़ी में 18 साल से 24 साल के बीच कर्ज के लिए योग्य युवाओं की कुल संख्या 14 करोड़ 70 लाख के करीब है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से सिर्फ 90 लाख युवा क्रेडिट एक्टिव हैं।