नई दिल्ली। प्रत्येक व्यक्ति इस बात से सहमत होगा कि विवाह के बाद चाहे महिला हो या पुरुष दोनों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं। बचत और निवेश की शैली में भी शादी के बाद परिवर्तन होना स्वाभाविक है। अगर आप शुरु से ही बचत-प्रेमी हैं तो शादी के बाद भी नियमित बचत के अनुशासन को मत छोड़ें। इसके लिए आप खुद को थोड़ा व्यवस्थित करते हुए वास्तविक फाइनेंशियल प्लानिंग तैयार करने की शुरुआत करें।
यह भी पढ़ें : Tax Saving के साथ-साथ बेहतर रिटर्न देते हैं ELSS, लॉक-इन पीरियड भी है सिर्फ 3 साल
पति-पत्नी दोनों मिलकर बनाएं निवेश की योजना
- जहां पहले आपकी बचत का लक्ष्य केवल बचत और निवेश करना था, वहीं अब परिवार के भविष्य को देखते हुए वित्तीय योजना बनाने का समय है।
- इसलिए पति-पत्नी दोनों को मिलकर निवेश की योजना बनानी चाहिए। योजना ऐसी हो जिससे दोनों को ही फायदा भी हो और राहत भी मिले।
शादी के बाद फाइनेंशियल प्लानिंग में इन पहलुओं पर करें गौर
- सर्वप्रथम आपको यह देखने की जरूरत है कि आपका पर्याप्त इंश्योरेंस है या नहीं, खास तौर पर तब जब आपकी पत्नी (या पति) आप पर आर्थिक रूप से निर्भर है।
- इससे आपके साथ किसी प्रकार का हादसा (मृत्यु) हो जाने की दशा में आपके पति या पत्नी को आर्थिक कष्ट नहीं झेलना पड़ेगा।
- साथ ही घर के मासिक खर्च के अलावा अन्य आर्थिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में भी उसे कोई बाधा नहीं आएगी।
- जिम्मेदारी बढ़ने, यानी मां या पिता बनने के बाद अपनी इंश्योरेंस संबंधी जरूरतों की समीक्षा जरूर करें।
पहले लक्ष्य निर्धारित करें,फिर करें निवेश
- मान लीजिए कि खास समय सीमा में आपने अपने लिए तीन लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
- आप कुछ महीनों के अंदर अपना घर खरीदना चाहते हैं जिसके लिए डाउन पेमेंट की व्यवस्था करनी है।
- यह आपकी तात्कालिक जरूरत है जिसकी पूर्ति आप अपने सेविंग अकाउंट में जमा की गई राशि से कर सकते हैं।
- आपकी इच्छा है कि आप जीवन-साथी के संग छुट्टियां मनाने जाएं।
- इसके लिए की जाने वाली बचत को शॉर्ट टर्म डेट फंडों में लगाइए।
- अगर आप दो-तीन वर्षों में छुट्टियां मनाने जाना चाहते हैं तो बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंडों के इनकम फंडों में पैसे डाल सकते हैं।
रिटायरमेंट को अनदेखा न करें
- अगर आपकी उम्र 20 से 30 साल है तो रिटायरमेंट के लिए फंड जुटाने का सबसे बढ़िया विकल्प है इक्विटी में निवेश।
- आपके पोर्टफोलियो में डेट और इक्विटी बैलेंस्ड होने चाहिए।
- अगर आपका लक्ष्य 7 वर्ष या उससे अधिक समय का है तो इक्विटी में निवेश करना ज्यादा तर्कसंगत है।
- लेकिन पोर्टफोलियो को संतुलित रखने के लिए डेट का एक छोटा हिस्सा भी पोर्टफोलियो में होना आवश्यक है।
विवाह के बाद जिम्मेदारियां तो बढ़ती ही हैं साथ ही भविष्य के बारे में भी सोचना होता है। सेविंग अचानक शुरू की जा सकती, इसके लिए दृढ़प्रतिज्ञ होना जरूरी है।