नई दिल्ली। आपको यह सुनकर कुछ अटपटा भले लगे कि मच्छर का काटना भी कोई दुर्घटना है क्या। लेकिन कानूनी भाषा में यह तर्क बिल्कुल सही है। उपभोक्ता मामलों के विवाद का निवारण करने वाले आयोग NCDRC ने अपने फैसले में कहा है कि मच्छर काटने से हुए मलेरिया या डेंगू से पीडि़त व्यक्ति की मौत स्वाभाविक नहीं बल्कि एक दुर्घटना है। इस फैसले के बाद वैसे मृतकों के परिवार वालों को दुर्घटना बीमा मिलना तय है जिनकी मौत डेंगू, मलेरिया या मच्छर काटने से होने वाली अन्य बीमारियों से होती है। बशर्ते, मृतक के पास दुर्घटना बीमा पॉलिसी हो।
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यह था मामला
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, मौसमी भट्टाचार्य नामक महिला ने अपने पति की मौत पर बीमा का दावा किया था। मौसमी के पति देबाशीष मोजाम्बिक में एक चाय फैक्ट्री में काम करते थे। उनकी मौत 2012 में मलेरिया से हो गई थी। जिसके बाद मौसमी ने बीमा क्लेम किया था। देबाशीष ने बैंक ऑफ बड़ौदा से होम लोन लिया था और नेशनल इंश्योरेंश कंपनी से बैंक ऑफ बड़ौदा होम लोन सुरक्षा बीमा पॉलिसी ली थी। उसने इसके प्रीमियम का एकमुश्त भुगतान 13.15 लाख रुपए किया था। इसमें स्पष्ट प्रावधान था कि सम इंश्योर्ड यानि बीमा की राशि का भुगतान दुर्घटना से होने वाली मौत की दशा में किया जाएगा।
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क्लेम को इंश्योरेंस कंपनी खारिज कर दिया था
जब मौसमी ने मलेरिया से पति की मौत के बाद क्लेम किया तो बीमा कंपनी ने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि मच्छर का काटना कोई दुर्घटना या एक्सीडेंट नहीं है और मलेरिया एक बीमारी है। लेकिन जिला उपभोक्ता न्यायालय से लेकर NCDRC तक ने कंपनी की इस दलील को खारिज कर दिया।
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आयोग ने ये कहा
आयोग के न्यायमूर्ति वीके जैन ने कहा कि हमारे लिए ये स्वीकार करना मुश्किल है कि मच्छर के काटने के कारण हुई मौत दुर्घटना से हुई मौत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पर विवाद हो सकता है लेकिन मच्छर का काटना ऐसी चीज है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं होती है और यह अचानक हो जाता है। आयोग ने आगे कहा कि बीमा कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार, दुर्घटना में सांप काटना और कुत्ते का कटना और ठंड से मौत जैसी घटनाएं शामिल हैं। ऐसे में ये दलील मानना मुश्किल है कि कि मच्छर के काटने से हुई मौत बीमारी है ना कि दुर्घटना। आयोग के मुताबिक सांप और कुत्ते की तरह मच्छर के भी काटने से हुई मौत दुर्घटना ही मानी जाएगी।