नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने महामारी की वजह से लोन ईएमआई में राहत के लिए शुरु की गई लोन मोरेटोरियम की योजना को और आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। इसकी जगह रिजर्व बैंक ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग की योजना की शुरुआत की है। एक निजी चैनल से बातचीत में रिजर्व बैंक के गर्वनर ने कहा कि मोराटोरियम एक अस्थाई कदम है, जो कि महामारी की वजह से आई मुश्किलों से निपटने के लिए उठाया गया था। उनके मुताबिक अब लोन ईएमआई में राहत देने का फैसला बैंकों को अपने स्तर पर लेना है। यानि लोन की ईएमआई भुगतान में मार्च से शुरू हुई राहत अब अगस्त के बाद छूट नहीं मिलेगी, हालांकि बैंक अपने स्तर पर किसी ग्राहक को ईएमआई में राहत दे सकते हैं, जो कि पूरी तरह उनका अपना निर्णय होगा।
क्या हैं ग्राहकों के पास विकल्प
यदि कोई कोई ग्राहक 31 अगस्त के बाद भी कर्ज चुकाने में खुद को असमर्थ पाता है तो वो कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए बैंक से संपर्क कर सकता है। रिस्ट्रक्चरिंग की शर्तें हर बैंक और ग्राहक के हिसाब से अलग अलग हो सकती है। यानि बैंक अपने स्तर पर तय करेंगे कि उन्हे किसे कर्ज रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ देना है और किसे नहीं। इस योजना में पर्सनल लोन भी शामिल हैं।
लोन मोराटोरियम और रिस्ट्रक्चरिंग में क्या है अंतर
लोन मोराटोरियम में ईएमआई के भुगतान से छूट मिलती है, लेकिन छूट की अवधि के दौरान ब्याज लगता है। वहीं दूसरी तरफ रिस्ट्रक्चरिंग के जरिए बैंक योग्य ग्राहकों को कई तरह से राहत दे सकता है। जिसमें कुछ महीनों के लिए ईएमआई की रकम में कमी, कर्ज के समय को बढ़ाकर ईएमआई में कमी, कुछ समय तक मूलधन की जगह सिर्फ ब्याज का भुगतान या फिर कर्ज दरों मे कमी जैसे विकल्प शामिल हैं।
कैसे पा सकते हैं राहत
अगर आप अपने कर्ज को रिस्ट्रक्चर करना चाहते हैं तो आपको अपने बैंक में सपर्क करना होगा। बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और आय के अनुमानों के आधार पर आपको क्या और कितनी राहत देनी है इसका फैसला लेगा। अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री बेहतर है, आपको आने वाले समय में आय की उम्मीद बनी हुई है और आपको हुआ नुकसान आपकी अपनी वजह से नहीं है, तो बैंक आपको राहत दे सकता है।
कब शुरू हुई थी मोराटोरियम योजना
बीते 27 मार्च को पहली बार रिजर्व बैंक ने बैंको से ईएमआई भुगतान को टालने के लिए कहा था। ये सुविधा स्वैच्छिक थी, यानि जो लोग भुगतान जारी रखना चाहते थे वो ईएमआई चुका सकते थे। वहीं जो ईएमआई नहीं चुका सकते थे उनको ईएमआई में 3 महीने की छूट मिली थी। बाद में ये योजना अगस्त तक बढ़ा दी गई। अब इस योजना को खत्म करने का फैसला लिया गया है।