नई दिल्ली। हम सभी चाहते हैं कि हमारे पास इतना पैसा हो कि हम और हमारे बच्चे पूरी जिंदगी एश से गुजार सकें। लेकिन बढ़ते खर्च और सीमित आय के बीच ऐसा कर पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन अगर आप ठीक प्रकार से Investment प्लानिंग करते हैं तो ऐसा कर पाना आपके लिए नामुमकिन भी नहीं है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि हमारी फाइनेंशियल Investment प्लानिंग की रेलगाड़ी कभी पटरी से न उतरे। अक्सर देखा जाता है कि हम अपने बच्चों की पढ़ाई से लेकर रिटायरमेंट के लिए अच्छी तरह से प्लानिंग कर उस पर कई साल तक अमल करते हैं। लेकिन कभी अनजाने में या कभी जानबूझ कर एसी गलती कर जाते हैं कि मौजूदा जरूरतें तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन पूरी फ्यूचर प्लानिंग ढेर हो जात है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज आपको बताने जा रही है उन पांच सावधानियों के बारे में जो आपका फाइनेंशियल फ्यूचर सिक्योर बना सकते हैं।
जितना चुका सकें उतना लें कर्ज
क्रेडिट कार्ड, ईएमआई, होम लोन और कार लोन जैसी सुविधाओं ने आज महंगे खर्च भी हमारे लिए आसान बना दिए हैं। आप लाखों के घर से लेकर कुछ हजार का मोबाइल फोन तक किश्तों पर ले सकते हैं। वहीं क्रेडिट कार्ड हाथ में है तो आप 100 रुपए का खर्च भी उधार लेकर कर सकते हैं। लेकिन खर्च करते समय हम यह सोचते ही नहीं कि चुकाएंगे कैसे। ऐसे में यही कर्ज तब एक मुश्किल बन जाता है जब हम अपनी कर्ज लेने की क्षमता को अनदेखा कर देते हैं। मान लीजिए आपकी सैलरी 50 हजार रुपए है और आप 25 से 30 हजार रुपए सिर्फ ईएमआई पर खर्च कर देते हैं तो आपका बजट बिगड़ेगा ही। आप जब इतना खर्च करें तो बचत के लिए आपके पास कुछ नहीं बचेगा। ऐसे में भविष्य की जरूरत के लिए बचत का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में कर्ज हमेशा अपनी वहन करने की क्षमता के अनुसार ही लें नहीं तो मुश्किल में पड़ सकते हैं।
जवानी में ही न खर्च कर लें रिटायरमेंट का पैसा
यह बात सही है कि हम जीवन भर काम नहीं कर सकते। आमतौर पर इंसान 60 साल पर रिटायर हो जाता है। प्राइवेट नौकरी के साथ आप 5 से 10 साल और काम कर सकते हैं। लेकिन बेहतर होती स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते भारत में बढ़ापे की उम्र भी बढ़ रही है। अब सोचें कि बिना कमाई के बुढ़ापे की उम्र में आपके पास पैसे कहां से आएंगे। इसके लिए आपको जवानी के दिनों में ही रिटायरमेंट प्लानिंग करनी होगी। नौकरी पेशा लोगों के पास पीएफ एक बढि़या Investment विकल्प है। लेकिन कई मामलों में पाया जाता है कि यह फंड रिटायरमेंट से पहले इस्तेमाल कर लिया जाता है क्योंकि इसका विकल्प मौजूद हैं। यह सबसे घातक निर्णय है। इससे आपकी तात्कालिक खर्च तो पूरे हो जाएंगे लेकिन भविष्य के खर्चों का क्या होगा। इसके लिए जरूरी है कि रिटायरमेंट फंड को बुढ़ापे के लिए बचा के रखें।
क्रेडिट कार्ड के मायाजाल से बचें
उपभोक्तावाद के जमाने में कंपनियां पूरी कोशिश करती हैं कि किस तरह आपकी जेब से पैसा निकलवा कर सामान बेच दिया जाए। हमारे हाथ में क्रेडिट और डेबिट कार्ड ने इसे आसान कर दिया है। लेकिन याद रखें कि हमेशा क्रेडिट कार्ड का पेमेंट समय से पूरा करें। क्योंकि क्रेडिट कार्ड का कर्ज सबसे महंगा होता है। इस कर्ज पर 45 फीसद तक का सालाना ब्याज वसूला जाता है। क्रेडिट कार्ड कंपनी जब आपको बिल भेजती है तो उसमें न्यूनतम भुगतान का विकल्प भी दिया जाता है। इससे आपका क्रेडिट कार्ड चलता रहता है। अगर आप सिर्फ न्यूनतम भुगतान ही करते हैं तो बाकी बैलेंस पर ब्याज लगता है। यह सबसे बड़ी गलती होती है।
मौजूदा जरूरत पर न लुटा दें सेविंग
बेहतर Investment प्लानिंग उसी को कहते हैं जब आप हर छोटे बड़े खर्च से निपटने के लिए तैयार रहें। लेकिन अक्सर हम बुढ़ापे से ठीक पहले दो बड़े खर्चों में अपनी पूरी सेविंग खर्च कर देते हैं, जिसमें पहला बच्चों की पढ़ाई और दूसरा बच्चों की शादी। यह बात सही है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा देना आपकी जिम्मेदारी है। लेकिन इसके लिए पहले से प्लान करें। इसे अचानक आया खर्च मानकर अपनी रिटायरमेंट सेविंग न लुटा दें। कई बार पैरेंट्स बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रिटायरमेंट को अनदेखा कर देते हैं। यह एक घातक फैसला होता है। बच्चों की शिक्षा के लिए तो विकल्प हो सकते हैं लेकिन रिटायरमेंट के लिए नहीं होगा। इसीलिए कोशिश करें कि शिक्षा पूरी करने के लिए एजुकेशन लोन, स्कालरशिप आदि जैसे विकल्प को चुनें।
अपने Investment को एक जगह न रखें
लोग Investment करना तो चाहते हैं लेकिन अक्सर नहीं जानते कि पैसे कहां लगाएं। कई बार वे पूरा पैसा एफडी में लगा देते हैं। लेकिन महंगाई को देखते हुए सिर्फ एफडी आपके लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकती। वहीं यदि आप पूरा पैसा मार्केट में लगा देते हैं तो यहां पैसा डूबने का भी डर होता है। निवेश के लिए याद रखें कि अलग अलग सेगमेंट में निवेश करें। लेकिन अधिक हिस्सा मार्केट में जरूर लगाएं। इतिहास भी यह बताता है कि शेयर बाजार ही वह निवेश है जो इन्फ्लेशन को मत दे पाता है। ऐसे में आप इसको नकार तो देते हैं मगर लक्ष्यों तक नहीं पहुंच पाते और इन्फ्लेशन को मात न दे पाना ही सबसे बड़ा जोखिम बन जाता है इसीलिए शेयर निवेश जरूर करें और अगर आप खुद सक्षम नहीं हैं तो सलाहकार की सलाह लें।
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