नई दिल्ली। जिन लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होती है वह अक्सर सोचते हैं कि वे स्वास्थ्य संबंधि सभी जरूरतों का सामना करने के लिए सक्षम हैं। लेकिन ऐसा सोचना गलत है। गंभीर बीमारी (Critical Illness) का पता चलने पर पॉलिसी होल्डर यह जानकर हैरान रह जाता है कि उसकी पॉलिसी में केवल अस्पताल में भर्ती होने के दौरान होने वाला खर्च ही शामिल है। जैसे-जैसे कैंसर, स्ट्रोक, लिवर और किडनी संबंधि बीमारियां बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में एक सामान्य मेडिक्लेम पॉलिसी और क्रिटिकल इलनेस प्लान के बीच का अंतर समझना बेहद जरूरी है। साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि क्यों इंश्योरेंस पोर्टफोलियो में यह दोनों चीजें होना आवश्यक है।
यह भी पढ़ें- हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से पहले जान लें ये जरूरी बातें, बाद में नहीं पड़ेगा पछताना
क्या होता है क्रिटिकल इलनेस प्लान-
सामान्य हेल्थ पॉलिसी में केवल अस्पताल में भर्ती होने के खर्चे शामिल किए जाते हैं, लेकिन क्रिटिकल इलनेस प्लान में गंभीर बिमारी का पता चलने पर पॉलिसी होल्डर को एक मुश्त राशि दी जाती है। यह मिली हुई राशि आपकी बीमारी के इलाज के लिए जांच और इलाज पर होने वाले खर्च को पूरा करने में मदद कर सकती है। समएश्योर्ड राशि का भुगतान होने के बाद यह पॉलिसी समाप्त हो जाती है।
यह भी पढ़ें- एक से ज्यादा Health Insurance पॉलिसी में ऐसे करें क्लेम, नहीं होगी कोई दिक्कत
इसके अंतर्गत क्या-क्या आता है-
अब तक क्रिटिकल इलनेस के बारे में कोई भी निश्चित डेफिनेशन नहीं थी और इंश्योरर्स के अपने खुद के मापदंड होते थे। लेकिन इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवेलपमेंट ऑथोरिटी (आईआरडीआई) ने 11 क्रिटिकल इलनेस टर्म को परिभाषित किया है। अब ऐसे प्लान में कैंसर, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, बोन मैरो ट्रांसप्लांट आदि शामिल हैं।क्रिटिकल इलनेस प्लान में स्टैंडर्ड बीमारियों का शामिल होना इंश्योरर पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर 15 बीमारियां इसके अंतर्गत आती हैं।
क्या चुने मेडिक्लेम या फिर क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी
आपके इंश्योरेंस पोर्टफोलियो में दूसरी प्राथमिकता क्रिटिकल इलनेस होनी चाहिए। पहला मेडिक्लेम पॉलिसी होना चाहिए ताकि अस्पताल के खर्चे उसमें शामिल हो जाएं। सामान्य रूप से आपको अपनी 40 वर्ष की आयु के बाद इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद लेनी चाहिए। कई इंश्योरर्स ने हाल में केवल कैंसर के लिए विशेष प्लान लॉन्च किए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने अनुमान लगाया है कि भारत में 2016 में 15 लाख नए कैंसर के मामले दर्ज होंगे, जबकि 2020 तक ऐसे नए मामलों की संख्या 17 लाख होगी।
किससे खरीदें पॉलिसी-
सामान्य इंश्योरर क्रिटिकल इलनेस प्लान स्टैंड अलोन प्रोडक्ट्स की तरह बेचते हैं, जबकि जीवन बीमा इंश्योरर इसे राइडर के रूप में ऑफर करते हैं। सामान्य इंश्योरर जीवनभर इसे रिन्यू कराने की सुविधा प्रदान करते हैं, जो कि जीवन बीमा इंश्योरर नहीं करते। इंडिविजुअल प्लान में एक मुश्त राशि और कवरेज को लेकर रियायत मिलती है, जबकि राइडर प्लान बेस टर्म पॉलिसी पर निर्भर करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी पॉलिसी का चयन करने से पहले बाजार में उपलब्ध सभी प्लान और उनकी कीमतों तथा मिलने वाले कवरेज की तुलना जरूर करनी चाहिए।