नई दिल्ली। कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग के बीच सरकार ने बेनामी संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए करीब 200 टीमों का गठन किया गया है। हाइवे के किनारे पड़ी जमीनों और पॉश इलाकों के बड़े प्लॉट्स की जांच हो रही है। अगर इसमें कोई भी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
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हाल में पीएम ने दी थी चेतावनी
काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्ति है।पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि बेनामी संपत्ति रखने वालों पर कार्रवाई करेगी।
क्या है बेनामी संपत्ति
- बेनामी संपत्ति ऐसी संपत्ति है जो बिना नाम की होती है। यहां लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता है जिसने इस संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी दूसरे शख्स के नाम पर होता है।
- यह संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है, जिस शख्स के नाम पर ऐसी संपत्ति खरीदी गई होती है, उसे बेनामदार कहा जाता है।
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कौन रखता है बेनामी संपत्ति
- आमतौर पर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति रखते हैं जिनकी आमदनी का मौजूदा स्रोत स्वामित्व वाली संपत्ति खरीदने के लिहाज से अपर्याप्त होता है।
यह बहनों, भाइयों या रिश्तेदारों के साथ ज्वाइंट प्रॉपर्टी भी हो सकती है जिसकी रकम का भुगतान आय के घोषित स्रोतों से किया जाता है।
- बेनामी संपत्ति चल या अचल संपत्ति या वित्तीय दस्तावेजों के तौर पर हो सकती है।
- इसमें संपत्ति के एवज में भुगतान करने वाले के नाम से कोई वैध दस्तावेज नहीं होता है।
- ऐसे मामलों में बेनामी लेनदेन में शामिल दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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हाल में हुआ है बेनामी लेनदेन अधिनियम में संसोधन
- बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बेनामी लेनदेन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था।
- इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
- केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस कानून में संशोधन के लिए साल 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया।
- बीते अगस्त में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी।
- हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी।
दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा और जुर्माना होगा
- नए कानून के तहत सजा की मियाद बढ़ाकर सात साल कर दी गई है जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
- सरकार ने भरोसा दिया है कि धार्मिक ट्रस्ट इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगे।
- नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है।