इंडियाटीवी पैसा की टीम अपने इस आर्टिकल में आपको ऐसी 10 बातें बता रही है जिनकी वजह से आपके जीवन बीमा का प्रीमियम घट या बढ़ सकता है। साथ ही आप छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर सही समय पर जीवन बीमा करवाने संबंधी निर्णय ले सकते हैं।
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जीवन बीमा प्रीमियम पर असर डालने वाली ये हैं 10 बातें…
1. सिगरेट और शराब का सेवन-
सिगेरट और शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसकी वजह से बीमारी या मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करने से पहले आवेदक से हमेशा इन आदतों के बारे में पूछती है। यदि आप सिगरेट शराब नहीं पीते हैं तो इस स्थिति में कम प्रीमियम देना होता है। इसके विपरीत अगर आप धूम्रपान के आदि हैं तो प्रीमियम की राशि बढ़ जाएगी।
2. व्यवसाय की प्रकृति-
यदि आपके व्यवसाय में जान का जोखिम ज्यादा है जैसे कि सी डाइविंग, बॉम्ब डिफ्यूसिंग यूनिट, फायर फाइटिंग आदि तो इंश्योरेंस कंपनी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में काफी ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती है। कुछ कंपनियां इस तरह के व्यवसायों के लिए इंश्योरेंस कवर देने से माना कर देती हैं।
3. आपकी शारीरिक सेहत-
आपकी शारीरिक स्थिति भी आपका इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर आपको हृदय रोग या फिर डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं तो किसी स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में आपकी प्रीमियम राशि ज्यादा होगी। इस वजह से इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी इश्यू करने से पहले आपके हैल्थ स्टेटस की मांग करती है। यही नहीं इंश्योरेंस कंपनियां कई बार हैल्थ चेकअप और बेसिक टेस्ट अनिवार्य कर देती हैं अगर आवेदक की उम्र निश्चित सीमा से ज्यादा है।
4. पॉलिसी का कार्यकाल और बीमा की राशि
पॉलिसी की अवधि जितनी लंबी हो प्रीमियम उतना ही कम होगा। इसलिए अगर आप कम उम्र में कोई बीमा पॉलिसी लेते हैं तो इसके लिए दिया जाने वाला प्रीमियम कम होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा समय के लिए होती है। इसके साथ ही क्लेम के समय मिलने वाली बीमा की राशि के ऊपर भी प्रीमियम निर्भर करता है। सम एश्योर्ड राशि जितनी ज्यादा होगी बीमा प्रीमियम उतना ही ज्यादा होगा।
5. ज्यादा वजन – ज्यादा प्रीमियम
अगर आपका वजन आपकी लंबाई और उम्र के अनुपात में ज्यादा है तो बीमा के लिए लगने वाले प्रीमियम की राशि ज्यादा होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे की बीमारी से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि की संभावनाएं ज्यादा होती है।
6. प्रीमियम के भुगतान का तरीका-
बीमाकृत व्यक्ति के पास इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान सालाना, साल में दो बार, एक बार में पूरी पेमेंट, तिमाही या फिर मासिक आधार पर करने का विकल्प होता है। अगर कुल राशि की गणना की जाए तो सालाना प्रीमियम बाकी अन्य विकल्पों की तुलना में कम होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी को साल की पूरी राशि पहले ही मिल जाती है। साथ ही इससे सिंगल और सालाना प्रीमियम पर एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट भी बच जाती है।
7. राइडर्स के साथ बीमा पॉलिसी लेने पर प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है
अगर आपको आपनी मौजूदा पॉलिसी पर अतिरिक्त बेनिफिट्स चाहिए तो इसके लिए आप जरूरत के हिसाब से राइडर्स का चुनाव करते हैं। ज्यादा राइडर्स के साथ ली गई पॉलिसी का प्रीमियम निश्चित तौर पर साधारण पॉलिसी से ज्यादा होगा। ऐसे में पॉलिसी के साथ केवल अपनी जरूरत के हिसाब से ही राइडर का चुनाव करें।
8. ऑनलाइन या ऑफलाइन पॉलिसी का चयन
अगर आप कंपनी की पॉलिसी ऑनलाइन खरीदते हैं तो वह ऑफलाइन पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन खरीदने पर तमाम खर्चे बच जाते हैं। जैसे कि एजेंट का कमिशन, डिस्ट्रीब्युशन चैनल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट आदि। साथ ही ऑनलाइन पॉलिसी खरीदते समय आप पॉलिसी को अपने हिसाब से कस्टामाइज कर सकते हैं।
9. पॉलिसी का प्रीमियम महिलाओं के लिए कम होता है-
पॉलिसी का प्रीमियम आपके महिला या फिर पुरूष होने की बात पर भी निर्भर करता है। आंकड़ों के मुताबिक पुरूषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए कम प्रीमियम चार्ज करती हैं।
10. जैनेटिक फैक्टर्स
बीमा कंपनी आवेदक से पॉलिसी करवाते वक्त परिवार में पहले से चली आ रही बीमारियों (जैनेटिक बीमारी) के बारे में भी पूछताछ करती है। ऐसे में अगर आपके परिवार में ऐसी कोई बीमारी चली आ रही है तो कंपनी ऐसी पॉलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम राशि चार्ज करती है।
इन सभी कारकों का बीमाधारक के पॉलिसी प्रीमियम पर प्रभाव पड़ता है।पॉलिसी खरीदने से पहले हमेशा अन्य कंपनियों की पॉलिसी से तुलना जरूर कर लें। साथ पॉलिसी का चयन करते वक्त केवल प्रीमियम को ही महत्वता न दें। पॉलिसी कवरेज, इंश्योरेंस कंपनी का साख, कस्टमर सर्विस, क्लेम सेटलमेंट अनुपात पर भी ध्यान दें।