नई दिल्ली। हम सभी बेहतर भविष्य के लिए किसी न किसी इंवेस्टमेंट टूल्स की मदद लेते हैं। लेकिन हम में से कुछ ही लोग निवेश के तय किए गए लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी इंवेसटमेंट टूल्स एक जैसे नहीं होते, और यह भी जरूरी नहीं कि सभी इंवेस्टमेंट टूल्स आपको फायदा पहुंचाएं। कई बार हम रेट ऑफ इंटरेस्ट देखकर एक जैसे टूल्स में निवेश कर देते हैं, जबकि उनके रिटर्न में बहुत अंतर होता है। ऐसे में निवेश से पहले आपको सभी टूल्स की तुलनात्मक जानकारी होना जरूरी है। निवेशकों की इसी मुश्किल को हल करने के लिए इंडिया टीवी पैसा की टीम आज बताने जा रही है, विभिन्न इंवेस्टमेंट टूल्स और उनके रिटर्न के साथ उन पर लगने वाले टैक्स के बारे में। जिससे आप वास्तविक रिटर्न का ठीक-ठीक अंदाजा लगा सकें।
बैंक एफडी से बेहतर है पीपीएफ में निवेश
अक्सर हम निवेश करते वक्त उनका रेट ऑफ इंटरेस्ट देखते हैं, रिटर्न नहीं। जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता है। अक्सर हम पब्लिक प्राविडेंट फंड (पीपीएफ) और बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) के बीच अंतर नहीं कर पाते, और एक जैसे रेट ऑफ इंट्रेस्ट पर निवेश कर देते हैं। दोनों में जोखिम कम होता है और मुनाफे की दर तकरीबन समान होती है। लेकिन पीपीएफ में लॉकइन अवधि 15 साल होती है। एफडी की अवधि अलग-अलग हो सकती है। टैक्स की बात करें तो दोनों पर ही 80सी के तहत रियायतें हासिल हैं। एफडी में पांच साल की लॉक-इन अवधि पर ही छूट हासिल है। इन दोनों में असल अंतर रिटर्न पर टैक्स का है। एफडी पर प्राप्त रिटर्न टैक्सेबल होता है। जबकि पीपीएफ पर प्रतिफल पूरी तरह कर मुक्त है। मान लीजिए टैक्स चुकाने के बाद पीपीएफ पर रिटर्न 8 फीसदी मिलेगा। तो 8 फीसदी की ब्याज दर के बावजूद एफडी पर रिटर्न 5.6 फीसदी (अगर आप 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में हैं) ही मिलेगा।
एनएससी, केवीपी और बांड के रिटर्न पर भी लगता है टैक्स
राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और किसान विकास पत्र (केवीपी) में 8 फीसदी प्रतिफल मिलता है। यह ब्याज कर योग्य है। अगर आप 30 फीसदी के टैक्स दायरे में हैं तो कर चुकाने के बाद आपको 5.6 फीसदी का प्रतिफल मिलता है। इसलिए आपको ऐसे विकल्पों में निवेश पर विचार करना चाहिए जिनमें कर चुकाने के बाद अच्छा मुनाफा मिलता है या जिनमें प्रतिफल पर कोई कर नहीं लगता। उन विकल्पों में निवेश से बचना ही चाहिए जहां कर देयता काफी ज्यादा बनती है।
इंश्योरेंस लें या फिर पेंशन प्लान
सरकार के प्रोत्साहन और बेहतर विकल्पों के साथ पेंशन प्लान भी निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। एक निश्चित समय तक प्रीमियम भरी जाती है और उसके बाद पेंशन का भुगतान शुरू हो जाता है। भुगतान पर सामान्य दर से ही कर चुकाना होगा। हालांकि बीमा जैसी योजनाओं, गारंटीड, बोनस लिंक्ड या यूनिट लिंक्ड योजनाओं से प्राप्त आय कर मुक्त हैं। इसलिए साल-दर-साल निकासी वाले विकल्प वाली जीवन बीमा योजनाओं का चुनाव करना बेहतर है। ये भुगतान कर मुक्त हैं।
म्यूचुअल फंड या सीधे शेयर बाजार में निवेश
शेयर बाजार में सीधे निवेश सबसे अधिक जोखिम भरा होता है, ऐसे में आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, ये तुलनात्मक रूप से काफी सुरक्षित है। वहीं यदि इक्विटी में डायरेक्ट इंवेस्ट भी करते हैं तो लॉन्ग टर्म में ये आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड या शेयरों को एक साल तक रखने के बाद बेचते हैं तो आपको कोई कर नहीं चुकाना होगा। अगर आप इन्हें एक साल से पहले बेच देते हैं तो 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन चुकाना होगा।