नई दिल्ली। क्या आप फाइनेंशियली फिट हैं? क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि आप ट्रेडमिल पर चल रहे हैं और अचानक उसकी स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ जाने से आपकी सांस उखड़ने लगती है? वित्तीय परेशानियां भी कुछ इसी तरह की समस्या पैदा कर सकती हैं। आप वित्तीय परेशानी वाली स्थिति में हैं या नहीं, इसे जानने में यह लेख आपकी मदद करेगा। आजकल स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरुकता को देखते हुए अधिकांश लोग अपना फुल बॉडी चेकअप करवाते हैं, जिससे शरीर की विस्तृत जांच के बाद पता चल सके कि क्या बीमारी है और इसके क्या इलाज हो सकते हैं। लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि ऐसी ही जांच हम अपनी आर्थिक सेहत जांचने के लिए भी कर सकते हैं। हम यहां नीचे आपको चार टेस्ट बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपनी फाइनेंशियल सेहत की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।
Good to Know: घर या कार के लिए लेना है लोन, तो जान लीजिए अपना सिबिल स्कोर
1. CIBIL score- क्रेडिट स्कोर तीन अंको की एक संख्या होती है, जो 300 से 900 के बीच में होती है। 75 फीसदी लोगों को लोन सिबिल स्कोर के आधार पर ही मिलता है। क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होता है, उसे उतना ही अच्छा माना जाता है। अगर आपका स्कोर खराब होता है, तो आपको लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने में परेशानी आ सकती है। क्रेडिट स्कोर के आधार पर व्यक्ति की फाइनेंशियल हेल्थ का आकलन किया जाता है। किन शर्तो पर लोन दिया जाए यह इस स्कोर पर निर्भर होता है। बैंक से लोन पाने के लिए अच्छा क्रेडिट स्कोर जरूरी होता है। एक डिफॉल्ट करने पर भी क्रेडिट स्कोर कमजोर हो सकता है। 79 फीसदी व्यक्तिगत लोन 750 से ज्यादा के स्कोर पर ही अप्रूव किए जाते हैं।
2. इमरजेंसी फंड- मान लीजिए आपने अपने बेटे के स्कूल एडमिशन पर दो लाख रुपए खर्च किए और उसके तुरंत बाद आपको अपने पिताजी की अचानक तबियत खराब होने पर एक बड़ी राशि और खर्च करनी पड़ी। इसके अलावा आपके ऊपर अपने घर खर्च और दैनिक जरूरतों को भी पूरा करने की जिम्मेदारी है। यदि आपके पास इन सबके लिए एक इमरजेंसी फंड नहीं है तो आपकी सारी बचत साफ हो जाएगी। तब यह आपके लिए एक गंभीर स्थिती होगी। आप अपने आप से यह चार सवाल पूछिए :
1. जब आप एक साथ बहुत सारा पैसा खर्च कर देंगे तब आप किस स्थिती में होंगे।
2. क्या मैं इसके लिए तैयार हूं।
3. क्या इमरजेंसी के लिए मेरे पास पर्याप्त राशि है।
4. क्या मैं भविष्य की जरूरतों के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हूं।
ऊपर पूछे गए सवालों के लिए यदि आपका उत्तर संतोषजनक नहीं है, तो आपको एक इमरजेंसी फंड बनाने की जरूरत है और इस पर आपको तुरंत काम शुरू कर देना चाहिए। आप एक लक्ष्य निर्धारित करें और जल्द से जल्द उसे पूरा करने की कोशिश करें।
3. डेट-टू-इनकम अनुपात- आमतौर पर अगर आपका लोन आपकी इनकम का एक तिहाई है तो इसे स्वस्थ्य माना जाता है। इसे और आसान तरीके से इस तरह समझिए, मान लीजिए आपकी इनकम 100 रुपए महीना है। हर महीने आप 15 रुपए अपने होम लोन की EMI में दे रहे हैं, 5 रुपए कार लोन और 5 रुपए क्रेडिट कार्ड बिल के लिए। यानि कि आप हर महीने कुल 25 रुपए लोन रिपेमेंट के रूप में दे रहे हैं, तो आपका डेट-टू-इनकम अनुपात 25 फीसदी है। यह सामान्य स्थिति है। 30-40 फीसदी अनुपात की स्थिती भी ठीक है। लेकिन वहीं अगर यह अनुपात 50 फीसदी से पार हो जाता है तो ये बेहद चिंताजनक है। ऐसे में आपको अपने लोन कम करने और अपनी आय बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है।
4. रिटारमेंट के बाद की योजनाएं- अधिकांश लोग प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते है। इस सेक्टर में नौकरी के बाद इनकम का कोई जरिया नहीं बचता। इसलिए रिटायरमेंट के बाद के लिए भी हमें अपनी बचत पर ध्यान देना होगा। अपने लिए एक अच्छे पेंशन प्लान का चयन करें, जिससे आपको अपने मेडिकल इमरजेंसी, रोज के खर्च और ट्रेवल खर्च को मैनेज करने के लिए एक अच्छा रिटर्न हासिल होगा। रिटायरमेंट के लिए भी एक फंड तैयार करें।