नई दिल्ली। EPF (इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड) हमेशा से रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए सबसे बेहतरीन निवेश विकल्प रहा है। लेकिन इस साल बजट में ईपीएफ निकासी की 60 फीसदी राशि पर टैक्स की घोषणा के बाद यह सुर्खियों में आ गया। दरअसल इस कवायद के साथ सरकार दूसरे रिटायरमेंट इंस्ट्रूमेंट NPS(नेशनल पेंशन स्कीम) को बढ़ावा देने की कोशिश में थी। इस पर भारी विरोध हुआ और तीन दिनों के भीतर सरकार ने हड़बड़ी में लगाए इस टैक्स को वापस ले लिया। लेकिन सरकार के इस कदम के बाद यह सवाल और भी बड़ा हो गया कि आम नौकरीपेशा रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए 60 साल पुराने ईपीएफ को चुने या 12 साल पुराने एनपीएस को। इंडिया टीवी पैसा की टीम आपकी इन्हीं मुश्किलों को सुलझाते हुए इन दोनों विकल्पों के पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट लेकर आया है। जो आपके निर्णय को आसान बना सकता है।
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क्या हैं ईपीएफ और एनपीएस
ईपीएफ 60 साल पुरानी संस्था है, जिसमें सभी सरकारी और निश्चित दायरे के भीतर आने वाले निजी कर्मचारी और उनके नियोक्ता योगदान देते हैं। आज की तारीख में ईपीएफ के 4 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं एनपीएस की शुरुआत 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी। 2009 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया। दोनों में मुख्य अंतर यह है कि ईपीएफ में एक निश्चित वार्षिक ब्याज राशि करमुक्त आय के रूप में जुड़ती है। वहीं दूसरी ओर एनपीएस में मार्केट लिंक्ड स्कीम है, ऐसे में इसका रिटर्न शेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है। इसका रिटर्न फंड मैनेजरों के प्रदर्शन पर निर्भर रहता है।
ईपीएफ और एनपीएस के लिए एलिजिबिलिटी
ईपीएफ में सिर्फ सरकारी या फिर संगठित क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारी ही निवेश कर सकते हैं। इसके तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी का निश्चित प्रतिशत और नियोक्ता के योगदान को मिलाकर ईपीएफ राशि जमा की जाती है। वहीं एनपीएस में कोई भी आम व्यक्ति जैसे गृहिणी, स्वरोजगार से जुड़े लोग, कारोबारी कोई भी इसे खोल सकता है। निजी क्षेत्र का कर्मचारी ईपीएफ और एनपीएस दोनों को अपना सकता है।
कैसे होता है निवेश
ईपीएफ में निवेश एक निर्धारित माध्यम से ही किया जाता है। ईपीएफ में कर्मचारी खुद सीधे निवेश नहीं करता, बल्कि उसका नियोक्ता या सरकारी कर्मचारियों के मामले में सरकार उसके वेतन से 12 फीसदी राशि काटकर ईपीएफ खाते में निवेश कर देता है। इतनी ही राशि का योगदान नियोक्ता भी करता है। वहीं एनपीएस में निवेश पूरी तरह से व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर है। इसमें निवेश चाहे तो वर्ष में एक बार या फिर हर महीने या अपनी सुविधानुसार निवेश कर सकता है।
इंवेस्टमेंट की लिमिट
दोनों निवेश विकल्पों में इंवेस्टमेंट की लिमिट भी अलग अलग है। एनपीएस में एक वर्ष के भीत कम से कम 6000 रपुए का निवेश करना जरूरी है। इसके लिए अपर लिमिट की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। दूसरी ओर ईपीएफ में प्रति माह कर्मचारी की सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा काट लिया जाता है। कर्मचारी चाहे तो अपनी निवेश राशि को नियोक्ता से कह कर बढ़वा भी सकता है।
कहां होता है निवेश
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आपके पैसे का निवेश कहां पर होता है। हाल के समय तक ईपीएफ का 100 फीसदी निवेश डेट इंस्ट्रूमेंट में होता था। हालांकि अब ईपीएफओ ने न्यूनतम 5 और अधिकतम 15 फीसदी हिस्से को इक्विटी बाजार में ईटीएफ के जरिए निवेश की अनुमति दे दी है। जबकि एनपीएस में निवेशकों को दो विकल्प दिए जाते हैं। या तो वे डेट में या फिर इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। निवेश का विभाजन खुद निवेश को ही तय करना होता है। इसमें डिफॉल्ट ऑप्शन भी होता है, जिसके तहत रिटायरमेंट तक हर साल इक्विटी का आवंटन कम होता है और डेट का बढ़ता है।
संभावित रिटर्न
ईपीएफ में रिटर्न पहले से तय होता है। यह सभी अंशधारकों के लिए समान होता है। पिछले वित्त वर्ष ईपीएफ पर 8.75 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था। जिसे इस साल 8.8 फीसदी कर दिया गया है। दूसरी ओर इक्विटी में निवेश के कारण एनपीएस पर रिटर्न निश्चित नहीं होता। यह बाजार की चाल पर पूरी तरह निश्चित है। हालांकि सामान्य परिस्थिति में आपका एनपीएस रिटर्न ईपीएफ से 2 से 3 फीसदी अधिक रहता है।
टैक्स बेनिफिट
ईपीएफ में निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किया गया निवेश और इससे प्राप्त राशि टैक्स लाभ पहुंचाती है। मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक इनकम टैक्स कानून की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। इसमें पीपीएफ, ईएलएसएस, लाइफ इंश्योरेंस, ट्यूशन फीस, पांच साल की एफडी में भी निवेश आता है। जबकि एनपीएस में 80 सीसीडी के तहतत 50 हजार रुपए तक के अतिरिक्त डिडक्शन का फायदा मिल जाता है। परिपक्वता पर ईपीएफ की राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री है। वहीं एनपीएस के मामले में सिर्फ 40 फीसदी राशि ही टैक्स के बिना निकाली जा सकती है। बाकी 60 फीसदी राशि पेंशन प्लान में निवेश करनी होती है। एनपीएस में किसी भी हालत में 100 फीसदी रिटर्न संभव नहीं है।