क्या होते है प्री अप्रूव्ड लोन-
जब भी कर्जदाता कहता है कि आपका लोन प्री-अप्रूव्ड हो गया है या फिर आप इंस्टैंट अप्रूवल के योग्य हैंं, तो इसका मतलब यह है कि आपकी प्रोफाइल में दी गई जानकारी जैसे कि इनकम, पेमेंट हिस्ट्री, बैंक एकाउंट में डेबिट या क्रेडिट, सिबिल स्टेट्स और स्कोर आदि के आधार पर आपका नाम शॉर्ट लिस्ट किया गया है।
आपकी ओर से दी गई जानकारी के आधार पर कर्जदाता आपके बारे में काफी कुछ जान जाता है। इसके बाद लोन के लिए अप्लाई किया जा सकता है। इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपका लोन अप्रूव हो गया है या फिर लोन मिलने की कोई गारंटी दी जा रही है। इन ऑफर्स का मतलब केवल इतना होता है कि आपकी जांच का पहला चरण पूरा हो गया है और अगर आप चाहते हैं तो लोन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है।
लेकिन इन सब के बाद भी आपको पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जैसे सारे दस्तावेज पेश करने होते हैं इसके बाद अंतिम फैसला कर्जदाता का होता है कि लोन देना है या नहीं।
प्रि-अप्रूव्ड लोन में सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात यह है कि इसमें एक समय सीमा होती है। यदि आपको लोन के लिए कोई ऑफर मिलता है और आप इसे स्वीकार कर लेते हैं, तो आपको लोन प्रक्रिया कुछ ही महीनों (सामान्य तौर पर छह महीने) में पूरी करनी होती है। यदि यह ऑफर इंस्टैंट अप्रूव्ल लोन के लिए योग्य है तो आपको प्रोसेसिंग फीस का भी भुगतान करना होगा।
प्री अप्रूव्ड लोन के फायदे
1. मोलभाव की बेहतर स्थिति
अगर आपके पास प्री-अप्रूव्ड लोन है तो आप बिल्डर के साथ बेहतर ढंग से मोलभाव कर सकते हैं। आप उसे यह बता सकते हैं कि आपके पास प्री-अप्रूव्ड लोन है और आप वास्वत में घर खरीदना चाहते हैं। घर खरीदने की अधिक संभावना को देखते हुए बिल्डर आपको अच्छा डिस्काउंट ऑफर कर सकता है। साथ ही आप अपने कर्जदाता से भी लोन से संबंधित कुछ मुद्दों पर बातचीत कर मोलभाव कर सकते हैं।
2. प्रोसेसिंग में लगता है कम समय
प्री-अप्रूव्ड लोन में आपका बैकग्राउंड पहले ही चेक हो चुका होता है। आपकी सामान्य जानकारियां कर्जदाता के पास पहले से होती हैंं। अब केवल डॉक्यूमेंट्स को पेश करने का काम रह जाता है और इसके बाद प्रक्रिया अगले स्तर पर पहुंच जाती है। इससे ओवरऑल प्रोसेसिंग टाइम कम हो जाता है और पूरी प्रक्रिया आसान हो जाती है।
3. कम ब्याज दर की संभवना-
कई बार प्री-अप्रूव्ड लोन कम ब्याज दर पर मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बैंक की मर्जी होती है कि वह आपको लोन दे और साथ ही आपको कुछ आकर्षक ऑफर दे। इसके पीछे दूसरी वजह यह होती है कि प्री-अप्रूव्ड लोन उन लोगों को दिए जाते हैं, जिनकी पेमेंट की हिस्ट्री अच्छी होती है या जिनके पास नियमित आय का स्रोत होता है। साथ ही बैंक के लिए ये हाई रिस्क कस्टमर्स नहीं होते।
प्री अप्रूव्ड लोन बैंकों के लिए टार्गेट पूरा करने का जरिया है-
इसे एक उदाहरण से समझें-
मान लीजिए कार्तिक ने बैंक से होम लोन लिया है और इसके 1 से 2 वर्ष गुजर चुके हैं। अब सोचिए कि आगे चलकर ऐसे व्यक्ति को घर को फर्निश करने के लिए, कार को अपग्रेड करने के लिए या इमरजेंसी में पैसे की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए कर्जदाता कार लोन, पर्सनल लोन और अन्य ऑफर पेश करता है। इस तरह कर्जदाता ग्राहक को प्री-अप्रूव्ड लोन के साथ अन्य प्रोडक्ट भी बेचने की कोशिश करता है।
इसके अलावा बैंकों को अपने इंटरनल टार्गेट भी पूरे करने होते हैं। बैंक की हर शाखा को मासिक या तिमाही आधार पर टार्गेट दिए जाते हैं। इसके चलते वह प्रोडक्ट बेचने की जल्दबाजी करते हैं। यही वजह हैं वह समय-समय पर आकर्षक और प्रीमियम ऑफर्स पेश करते हैं।
प्री अप्रूव्ड लोन के पीछे क्या मनोवृत्ति होती है-
“आपूर्ति ही मांग बढ़ाती है।“ अर्थशास्त्र की इस पंक्ति से समझा जा सकता है कि क्यों प्री-अप्रूव्ड लोन कई बार काम कर जाते हैं। यदि समय-समय पर लोगों को लोन पेश करोगे तो उनमें लोन को लेने वालेे लोगों की संभावना बढ़ जाती है।
बिना जरूरत प्री-अप्रूव्ड लोन के लिए आवेदन न करें-
आप यह जानते हैं कि आप जितनी बार लोन के लिए एप्लीकेशन देते हैं, उतनी बार ही आपका सिबिल स्कोर जांचा जाता हैै और हर बार सिबिल स्कोर जांचने पर कुछ प्वाइंट कट जाते हैं, इससे आपका सिबिल स्कोर कम हो जाता है। इसलिए इस लोन के लिए आवेदन तब ही करें, जब आपको इसकी वास्तव में जरूरत हो। इस लोन को एक सामान्य लोन की तरह ही देखें। पहले इससे जुड़ी हर जांच करें, दूसरे बैंकों से तुलना करें और फिर चुनाव करें कि यह आपको चाहिए या नहीं।
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