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Keep in Mind: मेडिकल क्‍लेम करने से पहले इन बातों का रखेंगे ख्‍याल, न होगी परेशानी न होगा आर्थिक नुकसान

अधिकांश लोग कंपनियों के निर्देशों पर न तो गौर फरमाते हैं और न ही उन्‍हें गंभीरता से लेते हैं। इस वजह से कई बार आपको मेडिकल इंश्‍योरेंस पॉलिसी का पूरा लाभ नहीं मिलता।

Surbhi Jain
Updated on: December 07, 2015 19:08 IST
Keep in Mind: मेडिकल क्‍लेम करने से पहले इन बातों का रखेंगे ख्‍याल, न होगी परेशानी न होगा आर्थिक नुकसान- India TV Paisa
Keep in Mind: मेडिकल क्‍लेम करने से पहले इन बातों का रखेंगे ख्‍याल, न होगी परेशानी न होगा आर्थिक नुकसान

नई दिल्‍ली। हेल्थ इंश्‍योरेंस कंपनियां अपनी पॉलिसी बेचते समय कई सारे ऑफर्स और नियम-कानून बताती हैं। अधिकांश लोग कंपनियों के निर्देशों पर न तो गौर फरमाते हैं और न ही उन्‍हें गंभीरता से लेते हैं। इस वजह से कई बार आपको हेल्थ पॉलिसी का पूरा लाभ नहीं मिलता। छोटी-छोटी गलतियों की वजह से कई बार बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है, जिसका हमें अहसास समय निकलने के बाद होता है। कई बार इन गलतियों की वजह से इंश्‍योरेंस कंपनियां क्‍लेम देने से भी मना कर देती हैं। आज इंडिया टीवी पैसा आपको बता रहा है बिना किसी गलती के मेडिकल क्‍लेम लेने के आसान तरीके।

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पैनल अस्‍पताल में इलाज को दें प्राथमिकता

अपने परिवार के लिए हेल्थ पॉलिसी लेना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल क्लेम की प्रक्रिया है। ज्यादातर लोग कैशलेस प्लान लेते हैं, ताकि उन्हें अपनी जेब से कोई पैसा ना देना पड़े। लेकिन कैशलेस प्लान इमरजेंसी के वक्त काम नहीं आता है। अगर आप इंश्‍योरेंस कंपनी से अप्रूव्‍ड अस्पताल में अपने या परिवार के किसी सदस्य को भर्ती कराते हैं, तभी आपको कैशलेस की सुविधा मिलती है। यदि आप पैनल अस्‍पताल में इलाज नहीं करवाते हैं तो इसके लिए पहले आपको अपनी जेब से पैसा देना होगा बाद में आपको इसका क्लेम कंपनी से लेना होगा। इसमें समय भी लग सकता है। इसलिए हमेशा इंश्‍योरेंस कंपनी द्वारा पैनल में लिए गए अस्पताल में ही इलाज कराएं। अपने घर के आस-पास के उन अस्‍पतालों की सूची हमेशा अपने पास रखें, जो इंश्‍योरेंस कंपनी के पैनल में हों, ताकि किसी इमरजेंसी के वक्‍त आपको कोई परेशानी न हो।

समय पर करें मेडिक्लेम फाइल

यदि आपने कैशलेस की सुविधा नहीं ली है और इलाज के बाद मेडिक्‍लेम करना है तो समय का विशेष ध्‍यान रखें। मेडिक्लेम फाइल करने की अवधि अलग-अलग इंश्‍योरेंस कंपनी के आधार पर निर्भर करती है। सामन्‍यता यह एक हफ्ते से 15 दिन होता है। इसलिए समय का विशेष ध्‍यान रखें, समय निकलने के बाद किए गए क्‍लेम को कंपनियां मान्‍य नहीं करती हैं। क्‍लेम करते वक्‍त कंपनी के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें और फाइल में अस्पताल से मिले सभी बिल, जांच रिपोर्ट और डॉक्‍टर की पर्ची की ऑरिजनल कॉपी और एक सेट फोटोकॉपी होनी चाहिए। क्योंकि कंपनी की तरफ से नियुक्त सर्वेयर आपके सभी डॉक्यूमेंट्स की ऑरिजनल कॉपी देखने के बाद ही फाइल को आगे बढ़ाएगा। अगर सर्वेयर को डॉक्यूमेंट्स में किसी प्रकार की कमी दिखी तो वो आपके क्‍लेम को रिजेक्‍ट कर सकता है।

कैशलेस क्लेम के लिए 48 घंटे पहले करें इंश्‍योरेंस कंपनी से संपर्क

प्लान ऑपरेशन या डिलीवरी में कैशलेस मेडिक्लेम पाने के लिए आपको अपनी इंश्‍योरेंस कंपनी को 48 घंटे पहले सूचना देनी होगी। इंश्‍योरेंस कंपनी आपके डॉक्यूमेंट्स का रिव्यू करेगी और फिर प्री-ऑथराइजेशन फॉर्म देगी। इस फॉर्म में होने वाले इलाज से संबंधित सारी जानकारियां होंगी। यह फॉर्म लेने के लिए अस्पताल आपसे ज्यादा पैसा भी चार्ज नहीं करता है, क्योंकि पहले से सारे खर्चो पर इंश्‍योरेंस कंपनी की निगाह रहती है। इंश्‍योरेंस कंपनी अस्पताल को चौबीस घंटे के अंदर ऑथराइजेशन लेटर भेजेगी। अगर इलाज के दौरान किसी परेशानी की वजह से खर्च बढ़ता है तो वह भी आपको इंश्‍योरेंस कंपनी को पहले से बताना होगा।

अपनी पॉलिसी के तहत ही लें प्राइवेट रूम

अस्पताल में इलाज के दौरान अगर आप जनरल वार्ड की बजाये प्राइवेट रूम लेते हैं तो पॉलिसी पर एक बार रूम के लिए मिलने वाले पैसे पर जरूर नजर डाल लें। अक्सर देखने में आया है कि प्राइवेट रूम लेने के बाद डिस्चार्ज के वक्त जब बिल आता है तो इंश्‍योरेंस कंपनी क्‍लेम की गई राशि में भारी कटौती करती हैं। ऐसा प्राइवेट रूम का किराया तय सीमा से ज्यादा होता है और इंश्‍योरेंस कंपनियां सीमा से जितना फीसदी रूम किराया होता है उतनी कटौती पूरे बिल से करती हैं, जिससे कुल क्‍लेम का केवल आधा या इससे कम हिस्‍सा ही आपको मिल पाता है। इससे बचने के लिए पहले से आप इस बारे में इंश्‍योरेंस कंपनी और अस्पताल से जानकारी ले लें। बेहतर यह होगा कि आप कंपनी से विभिन्न मदों में मिलने वाली राशि की अधिकतम सीमा के बारे में पता कर लें, जिससे आगे आपको किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।

रिइम्बर्समेंट क्लेम लेने में आती हैं दिक्कतें

मेडिक्लेम पॉलिसी में अगर आप रिइम्बर्समेंट तरीका लेते हैं तो आपको अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद मिलने वाले सभी डॉक्यूमेंट्स को संभालकर रखना होगा। इसमें आप पहले बिल भरते हैं और कंपनी से बाद में क्लेम लेते हैं। इसमें आपको अस्पताल से डिस्चार्ज होने के पंद्रह दिन के अंदर अपने डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। इसके बाद कंपनी द्वारा पैसा मिलने में आपको एक महीने का समय लग जाता है। अगर आपने इंश्‍योरेंस कंपनी द्वारा दी गई लिस्ट के अस्पताल में इलाज नहीं करवाया है तो आपको ज्यादा डॉक्यूमेंट्स देने होंगे।

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