बैंक एफडी समेत अन्य जमा योजनाएं
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें आपको सुनिश्चित रिटर्न मिलता है और बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता। हर बैंक की ब्याज दरें अलग-अलग होती हैं और यह एफडी की समय अवधि पर निर्भर करती हैं।
सामान्य तौर पर लोग बैंकों में अपने धन को एक निर्धारित समय के लिए एफडी, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश करना बेहतर समझते हैं, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का जोख़िम नहीं होता है। बैंकों की ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होते रहने की वजह से लोगों का रुझान एनएससी की ओर भी होता है। साथ ही म्यूचुअल फंड, यूनिट लिंक्ड प्लान, गवर्नमेंट बॉण्ड जैसे विकल्पों का भी चयन कर सकते हैं।
बच्चों की पढ़ाई के लिए करें इन्वेस्टमेंट
अपनी बेटी के लिए सुकन्या समृ्द्धि एकाउंट स्कीम में निवेश करें। इसे बच्चियों की पढ़ाई और उच्च शिक्षा के लिए होने वाले खर्च को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस योजना के तहत एक एकाउंट प्रति बच्ची ही खोला जा सकता है। कोई भी माता-पिता अपनी 10 साल तक की बेटी का यह खाता खुलवा सकता है। इस योजना में निवेश करने पर सरकार 8.6 फीसदी की दर से ब्याज देती है। यदि आपकी दो बेटियां हैं तो दोनों का अलग-अलग खाता खुलवाया जा सकता है। सुकन्या खाते को किसी भी बैंक या डाकघर में खुलवाया जा सकता है। इसमें 1000 रुपए से लेकर हर साल 1.5 लाख रुपए जमा कर सकते हैं। सुकन्या समृद्धि खाते की मैच्योरिटी अवधि 21 वर्ष है। हालांकि बेटी के 18 वर्ष की होने पर इस खाते में जमा कुल रकम में से 50 फीसदी रकम निकाली जा सकती है।
चाइल्ड इंश्योरेंस से बच्चों का भविष्य करें सुनिश्चित
बच्चों के लिए निवेश का एक बेहतर विकल्प चाइल्ड इंश्योरेंस भी है। अभिभावक को यह समझना चाहिए कि चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान वास्तव में इंश्योरेंस-कम- इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स होते हैं, जो उनकी अनुपस्थिति में बच्चे के भविष्य को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। इसकी मदद से बढ़ते शिक्षा खर्च को पूरा करने में मदद मिलती है और बच्चे की अन्य जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है। एक चाइल्ड प्लान एक वित्तीय सहायक के तौर पर आपकी मदद करता है, जब आपका बच्चा विभिन्न जीवन स्तर पर होता है, जैसे प्राइमरी और उच्च शिक्षा, बिजनेस शुरू करना या शादी।
चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान एक इन्वेस्टमेंट टूल की तरह भी काम करता है। कम उम्र में चाइल्ड प्लान में निवेश शुरू करने से आपको बहुत अच्छा रिटर्न मिलता है और जब आपको जरूरत होती है आपके हाथ में पर्याप्त नकदी होती है। जितना जल्दी आप निवेश करना शुरू करेंगे, लंबी अविध में उतना ज्यादा ही रिटर्न आप हासिल कर पाएंगे।
खर्चों का हिसाब-किताब
आंकड़ों के मुताबिक बच्चे जब 1-5 साल की उम्र के बीच में होते हैं, उस दौरान खर्चें ज्यादा होते हैं। वहीं जब बच्चा 5 साल का हो जाता है उसके खर्च धीरे-धीरे कम होने लगते हैं, लेकिन जब बच्चा 15 साल के आसपास का होता है, खर्च फिर बढ़ने लगते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस का खर्चा बढ़ जाता है। यह खर्च कुछ हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता बच्चे की बोर्ड परीक्षा के लिए अच्छी से अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।
उच्च शिक्षा की पढ़ाई का खर्च
स्कूल के बाद कॉलेज का खर्चा इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा कौन सी पढ़ाई करना चाहता है। प्रोफेशनल डिग्री कोर्स जैसे कि मेडिकल और इंजीनियरिंग काफी महंगे होते हैं।
जल्दी प्लानिंग ज़रूरी है
बच्चे की शिक्षा की प्लानिंग जल्दी शुरू करना फायदेमंद होता है। जितनी जल्दी शुरू करते हैं उतने ज्यादा समय के लिए बचत कर सकते हैं। ऐसे में उसकी उच्च शिक्षा और पढ़ाई पर होने वाले खर्चे का आपके पास पर्याप्त कॉर्पस बन जाएगा।
निवेश का डायवर्सिफिकेशन करें
अपने निवेश को महंगाई से बचाने के लिए पोर्टफोलियो में विभिन्नता लाएं। इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का निर्माण दो के जोड़े में करें ताकि वह एक दूसरे से संबंधित रहें। अर्थव्यवस्था में किसी भी तरह की असंगति के समय दो निवेश एक दूसरे के साथ संतुलन बनाएं रखेंगे। यह स्ट्रैट्जी आपके निवेश को मंदी से बचाने के लिए सबसे असरदार तरीका है।
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