बढ़ी सैलरी और एरियर की एकमुश्त राशि का ऐसे करें इस्तेमाल
1. अपने सारे कर्ज का करें भुगतान-
सैलरी बढ़ते ही सबसे पहले कोशिश करें कि अपने क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि का भुगतान कर दें। पर्सनल लोन और क्रेडिट डेट जैसे कर्ज को सबसे पहले चुकाना चाहिए। अगर आपने होम लोन लिया हुआ है तो अपने लंप सम एरियर को लोन की प्रिंसिपल राशि चुकाने के लिए इस्तेमाल करें। होम लोन की रिपेमेंट जल्दी करने से ब्याज का बोझ कम होता है साथ ही घर की इक्विटी भी बढ़ती है।
2. इमरजेंसी फंड करें तैयार-
इस फंड को बनाने से भविष्य में बड़े खर्चों के समय अपनी निवेश राशि को खर्च करने से बच सकते हैं। सरकारी कर्मचारी की नौकरी छूटने की संभावना बहुत कम होती है इसलिए उसे कम से कम अगले तीन महीने के खर्च जितनी राशि सेविंग एकाउंट या फिर लिक्विड फंड में निवेश करनी चाहिए।
3. इंश्योरेंस कराएं-
अगर सरकार की ओर से ग्रुप इंश्योरेंस काफी नहीं है तो प्योर टर्म इंश्योरेंस प्लान का भी चयन कर सकते हैं। आम तौर पर जीवन बीमा की राशि अपनी सालाना इनकम का 10 गुना होनी चाहिए। सस्ते प्लान के चक्कर में न पड़ें। ऐसे इंश्योरर का चयन करें जो भरोसेमंद हो। अगर हेल्थ ग्रुप इंश्योरेंस अपर्याप्त है तो स्वयं और परिवार के लिए जरूरत को देखते हुए कवर खरीदें। अगर परिवार में बच्चे 25 वर्ष तक की आयु के हैं तो फैमली फ्लोटर हेल्थ प्लान खरीदें। हेल्थ कवर के साथ साथ 40 वर्ष की उम्र तक क्रिटिकल इलनैस प्लान भी लें।
4. अपने खर्चों को करें नियंत्रित-
कर्ज की रिपेमेंट, जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के बाद अगला स्टेप निवेश की ओर होना चाहिए। कोशिश करें कि जरूरतमंद चीजों में ही खर्च करें। ध्यान रखें कि अपनी आय से सेविंग्स घटाने के बाद जो शेष बचे वह खर्च करें।
5. लुभावने ऑफर्स के चक्कर में न पड़ें-
आने वाले महीनों में सरकारी कर्मचारियों को कंपनी की ओर से कई ऑफर्स व डील्स की पेशकश की जा सकती है। इनका चयन समझदारी से करना चाहिए। ऐसे में केवल जरूरत की ही चीजें खरीदें और ज्यादा से ज्यादा राशि को निवेश करें।
6. म्युचुअल फंडस् में करें निवेश-
अपने फाइनेंशियल प्लान का मूल्याकंन करें। अपने लक्ष्य को निर्धारित करें और फिर उसके हिसाब से निवेश करें। या फिर लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए 3 से 5 म्युचुअल फंड्स में निवेश शुरू कर दें।
अगर आपके पास निवेश के लिए लंप सम राशि है और बाजार के उतार चढ़ाव से आप चिंचित हैं तो म्युचुअल फंड्स में सिस्टेमैटिक ट्रांस्फर प्लान (एसटीपी) शुरू करें। सिस्टेमैटिक ट्रांस्फर प्लान सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) की तरह ही होता है। अंतर केवल इतना होता है कि एसटीपी में निवेशक लंप सम राशि को लिक्विड फंड में निवेश करता है और फिर सिस्टेमैटिकली इक्विटी फंड में ट्रांस्फर करता है। जबकि एसआईपी में किश्तें निवेशक के बैंक एकाउंट से सीधे फंड में ट्रांस्फर की जाती हैं।
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