नई दिल्ली। 31 मार्च को फाइनेंशियल ईयर 2015-16 खत्म होने जा रहा है। ज्यादातर नौकरीपेशा लोग जनवरी या फरवरी में ही अपनी कंपनी में वित्त वर्ष 2015-16 के इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा करा चुके होंगे। लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जो अभी तक आयकर की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर छूट का पूरा लाभ नहीं उठा पाए हैं। ऐसे लोग 31 मार्च से पहले किए गए इंवेस्टमेंट को इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय प्रूफ के रूप में दिखा सकते हैं। अब सवाल उठता है कि मार्च में शेष बचे दिन में किस टूल में निवेश किया जाए जिससे इंवेस्टमेंट के साथ ही टैक्स बचाने का भी मौका मिले। इसका एक आसान जवाब है इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS )। आज इंडियाटीवी पैसा की टीम टैक्स सेविंग के इसी बेहतरीन इंस्ट्रूमेंट के बारे में बता रही है जिससे टैक्स सेविंग के साथ ऊंचे रिटर्न का लाभ मिल सके।
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ELSS के साथ दोहरा फायदा
मौजूदा दौर में देखा जाए तो इसके लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानी ELSS सबसे बढ़िया विकल्प है। आयकर में छूट का लाभ लेने के लिए जीवन बीमा एफडी, एनएसएसी आदि में आपके निवेश का लॉक इन पीरियड कम से कम पांच साल का होता है। जाहिर है इन उत्पादों में आप पांच साल से पहले अपनी रकम नहीं निकाल सकते। टैक्स सेविंग के लिए ईएलएसएस का लॉक इन पीरियड सबसे कम यानी तीन साल का है। एफडी और एनएससी में सालाना रिटर्न आठ से नौ फीसद का होता है। हालांकि ELSS में निवेश पर जोखिम हो सकता है लेकिन पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो खराब दौर में भी इस पर 18 से 20 फीसद तक का सालाना रिटर्न मिला है।
ELSS की रकम पर नहीं लगता टैक्स
यदि आपने एफडी या एनएससी में निवेश किया है तो मैच्योरिटी के समय मिलने वाला ब्याज आपकी सालाना आय में जुड़ जाएगा जिस पर आपके स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। लेकिन ELSS में मैच्योरिटी के समय मिलने वाली पूरी रकम टैक्स फ्री होती है। ऐसे में धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक सीमा से नीचे जितनी राशि कम पड़ रही है आप उसे ईएलएसएस में निवेश करके दोहरा फायदा उठा सकते हैं।
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टैक्स सेविंग के साथ बेहतर रिटर्न का फायदा
रिटर्न की बात करें ईएलएसएस की टाप 10 योजनाओं ने पिछले एक साल में 65 फीसद से ज्यादा का रिटर्न दिया है। तीन साल की अवधि में इन योजनाओं का औसत रिटर्न 30 फीसद से भी अधिक रहा है। किसके लिए उपयोगी शेयर बाजार की चाल को देखते हुए फिलहाल ईएलएसएस में निवेश सभी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। इसमें निवेश की गई रकम का 95 फीसद तक का हिस्सा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इस वजह से इसमें निवेश के परंपरागत उत्पादों की तुलना में काफी बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है।
आपको मिलता है निवेश का विकल्प
ईएलएसएस में आपको लार्जकैप व मिडकैप आधारित योजनाओं में निवेश का विकल्प मिलता है। निवेश के जिन विकल्पों में ऊंचे रिटर्न की संभावनाएं रहती हैं उनमें जोखिम भी हो सकता है। चूंकि इस निवेश का लॉक इन पीरियड तीन साल का होता है इसलिए यह जोखिम काफी कम हो जाता है। जो लोग इस जोखिम को सहने की क्षमता रखते हैं, उनके लिए ईएलएसएस टैक्स सेविंग के साथ ऊंचे रिटर्न के लिए बेहतरीन विकल्प है।
एसआईपी के जरिए भी कर सकते हैं निवेश
चूंकि मार्च के अंत में आपको टैक्स सेविंग करनी है तो आपको एक मुश्त राशि के ELSS म्यूचुअल फंड लेने होंगे। लेकिन यदि आप सिस्टेमेटिक तरीके से निवेश करते हैं तो आपके लिए यहां एसआईपी (सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) का भी विकल्प है। इस तरह छोटी-छोटी बचत से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
28 मार्च तक कर दें निवेश
यदि आप धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर कर छूट फायदा नहीं उठा पाए हैं तो बची हुई रकम को ईएलएसएस में लगा सकते हैं। हालांकि कई संस्थान 28 मार्च तक निवेश के साक्ष्यों को अपने रिकार्ड में शामिल कर लेते हैं। यदि आपकी कंपनी ने कर कटौती की गणना को अंतिम रूप दे दिया है तो आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इस निवेश पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं।