मुंबई। एक अप्रैल से इक्विटी केंद्रित म्यूचुअल फंडों में निवेश करना सस्ता हो गया है। लेकिन कमीशन कम होने से वितरक निवेशकों को बड़ी स्कीमों से छोटी स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं, जो निवेशकों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। दरअसल पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक अप्रैल से जो नियम लागू किया है उसमें जितनी छोटी फंड कैटेगरी, उसका कुल खर्च अनुपात (टीईआर) उतना ज्यादा होगा।
इसके मुताबिक जैसे-जैसे कैटेगरी का एयूएम बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे उसका टीईआर कम होता जाएगा। इस तरह से अगर निवेशकों को ज्यादा लाभ चाहिए तो उन्हें बड़ी इक्विटी स्कीमों पर फोकस करना होगा। क्योंकि छोटे एयूएम वाली स्कीमों के लिए निवेशकों को ज्यादा कमीशन का भुगतान करना होगा, जो फंड वितरकों की जेब में जाएगा।
म्यूचुअल फंड कंपनियां पैसे का प्रबंधन करने के लिए निवेशकों से फीस वसूलती हैं, जिसे टोटल एक्सपेंस रेशियो (टीईआर) कहा जाता है और इसे कम करने से निवेशकों को यह फायदा होगा कि इस तरह की म्यूचुअल फंडों की बड़ी इक्विटी स्कीमों में निवेश करना उनके लिए सस्ता होगा। सस्ता इसलिए क्योंकि निवेशक जो निवेश करेगा, उस पर फंड के वितरकों को मिलने वाला कमीशन कम हो जाएगा और यह कमीशन की राशि निवेशकों के खातों में जाएगी। जबकि निवेशकों को छोटी स्कीमों में निवेश के लिए ज्यादा खर्च करना होगा। फिलहाल टीईआर 2.25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है।
आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह की 11 इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमें हैं, जिनका एयूएम 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें एचडीएफसी बैलेंस एडवांटेज फंड का एयूएम 38,531 करोड़, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के बैलेंस एडवांटेज फंड का एयूएम 28,809 करोड़, एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड का 28,413 करोड़, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इक्विटी एवं डेट का 25,914 करोड़, एचडीएफसी हाइब्रिड इक्विटी का 21,814 करोड़, आदित्य बिड़ला सन लाइफ फ्रंटलाइन इक्विटी का 21,082 करोड़ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ब्लूचिप फंड का एयूएम 20,293 करोड़ रुपए है।
मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के निदेशक कौस्तुभ बेलापुरकर कहते हैं कि जिन स्कीमों का एयूएम 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होगा, उनमें टीईआर कम होगा। अगर 25 बेसिस प्वाइंट भी कमीशन में कमी होती है तो लंबी अवधि में निवेशकों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
सेबी के इस नियम के बाद म्यूचुअल फंड सलाहकार ज्यादा कमीशन के लिए छोटे आकार वाली कैटेगरी को बेचने पर फोकस करेंगे और बड़ी कैटेगरी के पैसों को निकालकर छोटी कैटेगरी में ले जाएंगे। लेकिन निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि लार्ज कैप स्कीम ज्यादा फायदेमंद होती हैं और इन पर पैसे निकासी (रिडंम्प्शन) का कोई असर नहीं होगा। उल्टे इसमें खरीदारी ही बढ़ेगी।
नए स्लैब से 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की परिसंपत्ति वाले इक्विटी फंड का टीईआर घटेगा। 2000 करोड़ से कम परिसंपत्ति वाले फंडों का टीईआर पहले की तरह बना रहेगा। इस कदम से 5,000 करोड़ रुपए के संपत्ति वाले फंड के टीईआर में 0.09 प्रतिशत की कमी आएगी। लेकिन, 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के एयूएम वाले फंड के टीईआर में 0.28 प्रतिशत की कटौती देखने को मिलेगी। इसका मतलब यह हुआ कि 2 प्रतिशत एक्सपेंस रेशियो दे रहे निवेशकों को अब 1.72-1.75 प्रतिशत ही खर्च करना होगा।