Income Tax डिपार्टमेंट से न छिपाएं ये 5 बातें, भविष्य में बढ़ा सकती हैंं अापकी मुसीबत
तस्वीरों में जानिए टैक्स सेविंग प्रोडक्ट्स के बारे में
TAX SAVING PRODUCTS
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फॉर्म 16
आपकी इनकम का सही अंदाज लगाने के लिए फार्म 16 सबसे अहम डॉक्यूमेंट होता है। यदि आप नौकरीपेशा है तो यह फॉर्म आपको अपनी कंपनी के एचआर की ओर से हासिल हो जाएगा। आम तौर पर जून के मध्य तक इंप्लॉयर की ओर से यह फॉर्म 16 इंप्लॉई को उपलब्ध करा दिया जाता है। जिससे रिटर्न फाइल करने में मुश्किल न हो। यदि आपको अभी तक फॉर्म 16 नहीं मिला है। तो तुरंत मांग लें।
सैलरी स्लिप
वैसे आपकी कंपनी की ओर से मिला फॉर्म 16 एक कंप्लीट डॉक्यूमेंट होता है। क्योंकि इस फॉर्म में आपके एम्प्लायर द्वारा काटे गए टैक्स और इनकम का पता चलता है। लेकिन यदि आपको किसी कारण अपने इंप्लॉयर से फॉर्म16 नहीं मिल पाया है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप अपनी सैलरी स्लिप के सहारे भी रिटर्न भर सकते हैं। इसमें भी प्रत्येक महीने काटे गए टीडीएस की जानकारी रहती है।
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टीडीएस सर्टिफिकेट
टीडीएस यानि कि Tax डिडक्शन एट सोर्स आपकी अन्य आय से पहले काटा जाता है। जिसके लिए आपको रिटर्न फाइल करना होता है। सैलरी के अलावा अगर आपके पास आय के दूसरे स्रोत हैं और इस पर टीडीएस कटौती हुई है तो रिटर्न फाइल से पहले टीडीएस सर्टिफिकेट जरूर प्राप्त कर लें। उदाहरण के तौर पर आपको रेंटल इनकम, शेयर,एफडी से आय हुई है और इस पर टीडीएस कटा है तो इसका सर्टिफिकेट प्राप्त कर लें।
फॉर्म 26AS
इनकम Tax रिटर्न फाइल करते वक्त फॉर्म 16 जैसा ही एक दूसरा अहम दस्तावेज फॉर्म 26AS होता है। इस फॉर्म से आप पता कर सकते हैं कि कंपनियों या बैंक ने जो टीडीएस काटा है, उसे सरकार के पास जमा कराया गया है या नहीं। इस फॉर्म को ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं। अगर, आप दूसरी बार रिटर्न भर रहे हैं तो आपके पास यूजर नेम और पासवर्ड होंगे। इनका उपयोग कर आप विभाग की वेबसाइट पर आकर भी कर सकते हैं। यहां लॉगइन कर पता कर सकते हैं कि कंपनी या बैंक ने आपका पैसा सरकार के पास जमा किया है या नहीं।
बैंक अकाउंट स्टेटमेंट्स
Tax रिटर्न फाइल करते वक्त आपको अपने बैंक से जुड़ा ब्यौरा भी डिपार्टमेंट को सौंपना होता है। ऐसे में जब रिटर्न फाइल करने जाएं तो इससे पहले अपने सभी बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट्स (1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016) निकाल लें। इस स्टेटमेंट्स से आपको बैंक में जमा पैसे पर कुल इंटरेस्ट की जानकारी मिल जाएगी। ब्याज से मिली जानकारी को भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय डालना होता है। अगर, यह जानकारी छूट जाती है या गलत दी जाती है तो इनकम टैक्स विभाग आपके ऊपर जुर्माना लगा सकता है और अधिक शुल्क वसूल कर सकता है।
इंश्योरेंस और दूसरी टैक्स छूट से जुड़े कागजात
आयकर विभाग अपनी विभिन्न धाराओं के तहत टैक्सपेयर्स को छूट पाने का मौका भी देता है। जैसे इंश्योरेंस, पीपीएफ आदि में निवेश से जुड़े दस्तावेज। यदि आपने विभिन्न निवेश विकल्पों के साथ 80C, 80D या 80E आदि के तहत Tax छूट ली है तो उसके पेपर आपके पास होने चाहिए। हालांकि, यह जानकारी आपको फॉर्म 16 से भी मिल जाएगी, लेकिन पेपर होने से क्रॉस चेक करने में सहूलियत होगी।