1. अपनी भविष्य की जरूरतों को समझें-
निवेश करने से पहले जरूरी है कि आप अपनी मौजूदा आय का आकलन करें और समझें की आपको कितने और किस उदेश्य के लिए बचत करनी है। इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि एक बार आपकी शादी होने के बाद और परिवार में बच्चे के आने के बाद जिम्मेदारियां बदल जाती हैं। इसलिए एक निश्चित समय के बाद अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन करें और आने वाली जरूरतों के बारे में सोचें। उदाहरण के तौर पर 27 वर्षीय कार्तिक ने शादी के बाद बच्चे होने से पहले बिना किसी उदेश्य के बचत की थी। लेकिन घर में बच्चे के आते ही बचत और निवेश की जरूरत पहले से ज्यादा लगने लगी। इसके बाद से उसने बच्चे की उच्च शिक्षा, शादी, अपनी रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त कॉर्पस और इमरजेंसी फंड के निर्माण के लिए बचत और निवेश करना शुरू कर दिया।
2. अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को जाने
अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को जानने के लिए 100 में से जो आपकी उम्र हो, उसे घटा दें। उसके बाद जितना शेष बचा है वह आपकी रिस्क एपेटाइट है। उदाहरण से समझें कार्तिक की उम्र 27 वर्ष है। अब 100 में से 27 यानि कि उसकी उम्र घटा दें बचा 73, मतलब कार्तिक की जोखिम उठाने की क्षमता 73 फीसदी है। यह क्षमता बढ़ती उम्र के साथ घटती चली जाती है। आपकी उम्र जितनी कम होगी, उतना ज्यादा आप जोखिम उठाने में सक्षम होते हैं। इसलिए छोटी उम्र में बचत और निवेश का यह एक फायदा है। दूसरा यदि आप अपने परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य हैं तो जान लें कि घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ आप कितना जोखिम उठा सकते हैं।
3. इंश्योरेंस को रिसोर्सफुल इंवेस्टमेंट की तरह करें उपयोग
लोग सबसे बड़ी गलती जरूरत से कम का इंश्योरेंस खरीद कर करते हैं। एक व्यक्ति के लिए जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों ही सबसे जरूरी इंश्योरेंस हैं। बढ़ती उम्र के साथ आपकी कंपनी की ओर से दिए गए सभी बेनेफिट्स के बावजूद आपको अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ सकती है और यदि परिवार में आप पर आश्रित सदस्य भी हैं तो जीवन बीमा की राशि सोच समझकर तय करें।
4. अपनी जरूरतों को देखते हुए करें निवेश
निवेश करने से पहले अपनी जरूरतों को देख लें। हर व्यक्ति की वित्तीय जरूरतें एक सी नहीं होती। निवेश करने से पहले लंबसंब निवेश और एसआईपी (सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) के बीच में अंतर जान लें। और देखें कि इनमें से किस तरह का निवेश आपकी जरूरतों के अनुरूप है।
5. अपने निवेश और बचत में नियमितता लाएं
अपने निवेश के उदेश्य में नियमितता लाएं। अगर आप 50,000 रुपए महीना कमा रहे हैं तो हर महीने 5000 रुपए की बचत जरूर करते रहना चाहिए। सुनिश्चचित करें कि बचत लगातार की जाए। निवेशकों को अपना करियर शुरू करते ही रेकरिंग डिपॉजिट खोलना चाहिए और एक साल के बाद जमा राशि देखनी चाहिए। इससे अपनी बढ़ती पूंजी को देखकर निवेश लगातार करने का महत्व आसानी से समझ में आ जाएगा।
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