नई दिल्ली। कहीं आप भी उन दुखी ग्राहकों में से तो नहीं जिन्हें तय वक्त पर बिल्डर ने घर का पजेशन नहीं दिया और अपेक्षित रकम के भुगतान के बावजूद चक्कर काट रहे हैं। क्या आपको यह भी नहीं मालूम कि ऐसी परिस्थिति में आपको किससे संपर्क करना चाहिए। चिंता मत कीजिए। सरकार ने रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 के नियमों को नोटिफाई कर दिया है और यह घर खरीदारों के हक में ही है। आज हम आपको बताएंगे कि एक घर खरीदार होने के नाते यह कानून आपको क्या अधिकार देता है।
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सेक्टर में पारदर्शिता लाएगा रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016
- रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 का लक्ष्य रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाना और जिम्मेदारी तय करना है।
- इसके प्रावधानों के मुताबिक 30 अप्रैल 2017 से पहले प्रत्येक राज्य में रेगुलेटरी अथॉरिटी बना दिए जाएंगे।
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घर खरीदारों को मिले ये अधिकार
- मकान के खरीदार अब अपने पैसे वापस मांग सकते हैं या क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।
- क्षतिपूर्ति या रिफंड की ब्याज दर SBI के मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) से 2 फीसदी अधिक होगा (वर्तमान में लगभग 11 फीसदी)।
- अगर ग्राहकों पर डेवलपर का कुछ बकाया है तो वह भी उपरोक्त दर से ब्याज वसूल सकता है जो विलंबित भुगतान के लिए बिल्डरों द्वारा वसूले जाने वाले 15-18 फीसदी की दर से काफी कम है।
- ग्राहक द्वारा दावा किए जाने के 45 दिनों के भीतर बिल्डर को पैसे वापस करने होंगे।
- बिल्डर विशेष अकाउंट से उसी अनुपात में पैसों की निकासी कर सकते हैं जिस अनुपात में प्रोजेक्ट का निर्माण हो चुका है।
- किसी भी आधार पर प्रॉपर्टी की बिक्री में अब बिल्डर भेदभाव नहीं कर सकेंगे।
- ग्राहकों की शिकायतों का त्वरित निपटारा किया जाएगा।
- रियल एस्टेट अथॉरिटी और अपीलेट ट्रिब्यूनल 60 दिनों में ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा करेंगे।
- इस कानून से पारदर्शिता आएगी क्योंकि बिल्डरों को अपनी कंपनी और प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी सूचनाएं देनी होंगी।