मुंबई। म्यूचुअल फंडों के 10 सालों के तिमाही (टॉप क्वार्टाइल) में प्रदर्शन के आधार पर अग्रणी कंपनी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड शीर्ष पर रहा है, जिसकी शीर्ष तिमाही में हिस्सेदारी यानी इक्विटी असेट्स 82.75 फीसदी रही है।
अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड के बाद रिलायंस निपपोन म्यूचुअल फंड 73.47 फीसदी के साथ दूसरे क्रम पर है, जबकि एचडीएफसी म्यूचुअल फंड 54.93 फीसदी इक्विटी असेट्स के साथ शीर्ष क्वार्टाइल में तीसरे क्रम पर है। चौथे क्रम पर फ्रैंकलिन टेंपलटन है जिसका इक्विटी असेट्स 52.92 फीसदी है, तो आदित्य बिड़ला 50.91 फीसदी और एसबीआई म्यूचुअल फंड 13.77 फीसदी इक्विटी असेट्स के साथ है।
जब भी बात म्यूचुअल फंड में निवेश की आती है तो भारतीय निवेशक पिछले प्रदर्शन को देखते हैं। लेकिन निवेशकों को क्वार्टाइल आधार पर फंडों का प्रदर्शन देखना चाहिए, जिसमें शीर्ष तिमाही में असेट्स के आधार पर प्रदर्शन अच्छा हो।
म्यूचुअल फंड की कैटेगरी मूलरूप से चार क्वार्टाइल में होती है जिसमें टॉप क्वार्टाइल, अपर मिडल क्वार्टाइल, लोवर मिडल क्वार्टाइल और बॉटम क्वार्टाइल का समावेश होता है। एक क्वार्टाइल रैंकिंग का संकेत यह होता है कि फंड कैसे इस कैटेगरी में प्रदर्शन करता है। ऐसे में जब बाजार उतार-चढ़ाव में हो तो निवेशकों को भविष्य में निवेश के लिए बेचैन हो जाते हैं। अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक 30 जून 2019 के आधार पर तमाम फंड हाउसों की इक्विटी स्कीम एक साल के आधार पर हैं। इस तरह के दृष्टिकोण से असेट मैनेजमेंट कंपनियों को पहचानने में मदद मिलेगी जो इक्विटी बाजारों में अस्थिर समय को सफलतापूर्वक नेविगेट करने में कामयाब रहे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक किसी भी फंड हाउस के टॉप क्वार्टाइल के प्रदर्शन को देखकर किया गया निवेश बाजार के उतार-चढ़ाव के समय में निवेशकों के लिए बेहतर होता है, जैसा कि इस समय बाजार में पिछले काफी समय से उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। गौरतलब है कि इस समय ढेर सारे डेट स्कीमें चर्चा में हैं, लेकिन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड का एक्सपोजर इस तरह के डेट पेपरों में शून्य है और इसका कारण यह है कि कंपनी इस तरह के बुरे डेट पेपरों से दूर रहती है जिसमें इसका निवेश प्रबंधन मदद करता है।