नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न आर्थिक मंदी के असर को कम करने के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई भत्ते की अतिरिक्त किस्त के भुगतान पर रोक लगा दी है। सरकार का मानना है कि इस कदम से दो वित्त वर्षों में केंद्र व राज्य सरकारों को संयुक्तरूप से 1.20 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी। इस साल मार्च में ही सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता और पेंशनर्स के लिए महंगाई राहत को 4 फीसदी बढ़ाकर 21 फीसदी किया गया था।
23 अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने घोषणा की थी कि डीए और डीआर में की गई बढ़ोतरी, जो 1 जनवरी से प्रभावी थी, को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में दी जाने वाली डीए और डीआर की अतिरिक्त किस्तों के भुगतान पर भी रोक लगाई गई है। सरकार ने यह फैसला कोविड-19 से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों की वजह से लिया है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को डीए एवं डीआर का भुगतान बेसिक पे या पेंशन की वर्तमार दर 17 प्रतिशत पर जारी रहेगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से 1.13 करोड़ कर्मचारी और पेंशनर प्रभावित होंगे। इनमें करीब 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर शामिल हैं।
जानिए क्या होता है DA?
सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA) इसलिए देती है ताकि कर्मचारी महंगाई का सामना बेहतर ढंग से कर सकें। DA की मदद से सरकारी कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई में अलग से आर्थिक मदद मिलती है। महंगाई भत्ता एक तरह से सरकारी कर्मचारियों को अलग से आर्थिक मदद की रूप में मिलता है और इसकी कटौती से कर्मचारियों के जेब पर सीधा असर होगा।
कैसे होगा कर्मचारियों के जेब पर असर?
- महंगाई भत्ता पर रोक से मांग और खर्च पर सीधा असर होगा। मान लिजिए की सालाना महंगाई दर 10 फीसदी है तो महंगाई बढ़ने से जो चीज पहले बाजार में 100 रुपए की थी वो अब 110 रुपए की हो जाएगी। अगर कर्मचारी की सैलरी महंगाई के मुताबिक नहीं बढ़ती है और समझ लिजिए सैलरी 1000 थी और उतनी ही इस साल भी रहती है, तो इसका असर सीधे उसके जेब पर पड़ेगा। इसी को रोकने के लिए और कर्मचारियों को महंगाई से बचने के लिए महंगाई भत्ता (DA) दिया जाता है। डीए में सुधार या उसका कैलकुलेशन हर दो साल में सरकार-ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर महंगाई को देखते हुए करती है।
- कर्मचारी डीए की कटौती से खर्च कम करेगा तो डिमांड घटेगी और खर्च कम करने से उपभोग कम होगा और मांग पर नकरात्मक असर पड़ेगा। ये पूरी तरह कर्मचारियों पर निर्भर करता है कि वो इन पैसों का इस्तेमाल खर्च करने में करेगा या अपने बैंक में सेविंग करने में। अगर कर्मचारी सेविंग करते हैं तो यह पैसा बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करता है और सरकारी खाते में रहता है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सही है। इस कटौती से लोगों के खर्च और मांग पर असर पड़ेगा, जो एक तरह से अर्थव्यवस्था के लिए बुरा ही है। बढ़ी हुई दर से डीए न मिलने से सरकारी कर्मचारियों को अपने अतिरिक्त खर्च पर रोक लगानी पड़ेगी और कटौती से उनके जेब पर सीधा असर होगा। लोग कम खर्च करेंगे जिससे की डिमांड घटेगी और लोगों के बाज़ार में खरीद करने की क्षमता और घटेगी।
- खासकर जो पेंशन लेने वाले सरकारी कर्मचारी हैं उनपर इसका असर बहुत ज्यादा होगा। क्योंकि उनके लिए महंगाई राहत का मिलना काफी महत्वपूर्ण होता है। उनके पास आर्थिक मदद के लिए आमदनी का कोई जरिया नहीं होता।
- केंद्र के इस फैलसे से अब राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों के डीए में कटौती करने का फैसला लेंगी, यह कटौती कितनी होगी अभी यह स्पष्ट नहीं है लेकिन कुछ राज्यों ने इसकी घोषणा कर दी है।
- जाहिर सी बात है जब बाजार से डिमांड घटेगी तो अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर ही होगा न की कोई मदद होगी।