नई दिल्ली। भारत में हाउसिंग लोन पर ब्याज दर बहुत अधिक होने और कर्ज लेने की अनिच्छा की वजह से संभावित खरीदार अपना घर नहीं खरीद पाते हैं। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
इंडिया मोर्टगेज गारंटी कॉरपोरेशन (आईएमजीसी)-कांतर आईएमआरबी द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि मेट्रो और मिनी-मेट्रो के बजाये छोटे शहरों में युवा आयुवर्ग (25 से 44 वर्ष) के बीच अफोर्डेबल हाउसिंग की मांग बहुत ज्यादा है। नेशनल हाउसिंग बैंक के एमडी और सीईओ श्रीराम कल्याणरमन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि हाउसिंग सेक्टर ऊंची वृद्धि के लिए तैयार है, विशेषकर अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में, जिसे सरकार ने हाल ही में इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया है और सरकार का लक्ष्य 2022 तक सबको घर उपलब्ध कराना है।
अध्ययन में शामिल 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि होम लोन पर ब्याज दर बहुत अधिक है, जबकि इतनी ही संख्या में लोगों ने कहा कि बचत के अभाव और कर्ज लेने की अनिच्छा की वजह से वह अपना घर नहीं खरीद पा रहे हैं। 32-32 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रॉपर्टी की बहुत अधिक कीमत और अपर्याप्त लोन उपलब्धता की वजह से वह मकान नहीं खरीद पाते।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली बार घर खरीदने वाले ग्राहक डाउन पेमेंट के लिए व्यक्तिगत बचत पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, जिसकी वजह से भी घर खरीदने में देरी होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में किराये (31 प्रतिशत) और स्वयं के घर में रहने वालों की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत लोग अपने माता-पिता के साथ रहते हैं, जो उनकी वित्तीय निर्भरता को दर्शाती है।