नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कर्मचारी पेंशन स्कीम, 1995 (Employees' Pension Scheme, 1995 : EPS-95) के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन में बढ़ोतरी की योजना इसके वित्तीय व्यवहार्यता से समझौता किए बगैर या अतिरिक्त बजटीय सहायता के संभव नहीं है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने ईपीएस-1995 के संपूर्ण मूल्याकंन और समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय निगरानी समिति का गठन किया है। इस समिति ने कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करने पर मासिक पेंशन में बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
गंगवार ने कहा कि योजना की वित्तीय व्यवार्यता के साथ समझौता किए बगैर और/या अतिरिक्त बजटरी समर्थन के न्यूनतम मासिक पेंशन में बढ़ोतरी करना संभव नहीं है। सरकार ने पहली बार व्यापक मांग को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त बजटीय सहायता प्रदान कर 1 सितंबर, 2014 से ईपीएस-1995 के तहत पेंशनभोगियों को प्रति माह 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन प्रदान करना शुरू किया है, हालांकि योजना में बजटीय समर्थन के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
मंत्री ने यह भी कहा कि कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) 1995 एक निर्धारित अंशदान-निर्धारित लाभ वाली सामाजिक सुरक्षा योजना है। इस योजना के प्रावधान के मुताबिक, पेंशनभोगियों को पेंशन का भुगतान एक पूल्ड अकाउंट से किया जाता है, जिसमें कर्मचारी की ओर से नियोक्ता द्वारा 8.33 प्रतिशत अंशदान (वैधानिक सीमा 15,000 रुपये प्रति माह) दिया जाता है और 1.16 प्रतिशत अंशदान (15,000 रुपये तक) कर्मचारी की ओर से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
मंत्री ने बताया कि सदस्य को मिलने वाली पेंशन की राशि सर्विस की अवधि और वेतन, जिसपर सदस्य द्वारा पेंशन फंड में योगदान दिया जाता है, के आधार पर तय होती है। कर्मचारी यूनियन ईपीएस-95 के तहत अधिक न्यूनतम मासिक पेंशन के लिए सरकार पर दबाव डाल रही हैं। शुरुआत में उन्होंने योजना के तहत 3000 रुपये प्रति माह पेंशन की मांग की। बाद में उन्होंने न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर 5000 रुपये या इससे अधिक करने की मांग शुरू कर दी।
ईपीएस-95 के तहत पेंशन इंडेक्स या मुद्रास्फीति से जुड़ी नहीं है और यह पूरे समय स्थिर रहती है। ईपीएस-95 योजना का संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा किया जाता है।