नई दिल्ली। रिटायरमेंट के लिए सभी लोग अच्छीखासी बचत करना चाहते हैं, लेकिन अधिकांश लोग बचत के तरीकों से अनजान होते हैं, जिससे वह अपने लक्ष्य से चूक जाते हैं। कई लोगों को यह भी पता नहीं होता कि रिटायरमेंट के लिए बचत कब से शुरू करनी चाहिए। इसी उलझन में समय निकल जाता है और अंत में उन्हें मनमुताबिक रिटर्न नहीं मिलता। इसलिए इंडिया टीवी पैसा की टीम यहां आपको बता रही है रिटायरमेंट के लिए पैसा जमा करने के सही तरीकों और समय के बारे में।
वास्तव में, प्रत्येक व्यक्ति को रिटायरमेंट को एक लक्ष्य बनाकर चलना चाहिए और उसी हिसाब से निवेश भी करना चाहिए। भविष्य निधि (पीएफ) के समान ही अपने पहले वेतन के समय से ही आप को म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश शुरू कर देना चाहिए। इक्विटी फंड में सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) नियमित एवं अनुशासित बचत का एक बेहतरीन जरिया है और लंबी अवधि में यह उच्च स्तरीय रिटर्न देकर आपको मंहगाई से लड़ने में सहायता करती है।
जैसे वेतन बढ़ने पर पीएफ की राशि में वृद्धि होती है, वैसे ही वेतन बढ़ने पर एसआईपी में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। एक व्यक्ति को पीएफ एवं एसआइपी दोनों में समान योगदान करने की नीति अपनानी चाहिए। वास्तव में इन राशियों में जितनी ही वृद्धि होगी, रिटायरमेंट के बाद उतना ही ज्यादा रिटर्न प्राप्त होगा। एसआईपी के अतिरिक्त व्यक्ति को इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए एक इक्विटी फंड में वार्षिक बोनस, इन्सेंटिव के एक भाग का भी निवेश करना चाहिए। बचत के एक हिस्से को ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) फंड में निवेश करना चाहिए, जो वर्तमान समय में आयकर अधिनियम, 1961 के अनुभाग 80 सी के अंतर्गत कर में छूट प्रदान करता है। यह आप के रिटायरमेंट के लिए एक और अच्छी बचत हो सकती है।
कैसे लगाएं रिटायरमेंट राशि का अनुमान
वास्तविक रिटायरमेंट राशि का पूर्वानुमान लगाना कई बार मुश्किल लगता है, लेकिन एक अनुमानित महंगाई दर के आधार पर आप अपने वर्तमान खर्च को नियंत्रित कर सकते हैं और आप इस आधार पर रिटायरमेंट के लिए आवश्यक राशि का अनुमान लगा सकते हैं। आप इस राशि तक पहुंचने के लिए अपने मासिक निवेश को भी निर्धारित कर सकते हैं। यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि किसी भी स्थिति में एसआईपी में अवरोध नहीं आना चाहिए, क्योंकि इससे रिटर्न पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। निवेश के नियमित होने पर ब्याज के बेहतर होने की संभावना बढ़ जाती है।
ग्लाइड पाथ की नीति का करें पालन
हालांकि इक्विटी एक उथल-पुथल वाला निवेश है। इसमें रिटर्न के मामले में कुछ वर्ष बहुत अच्छे होते हैं, जबकि कुछ मामूली। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप को कम समय में बड़ी राशि का निवेश करना चाहिए और रिटायरमेंट के निकट आने पर इक्विटी निवेश में क्रमिक रूप से कमी करनी चाहिए। इसे ‘ग्लाइड पाथ’ कहते हैं, इससे आप रिटायरमेंट के नजदीक पहुंचने के समय इक्विटी की उथल-पुथल से बच सकते हैं और इक्विटी निवेश को अपेक्षाकृत कम उथल-पुथल वाले फिक्स्ड आय सिस्टेमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) द्वारा अंजाम दिया जा सकता है। जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार रिटायरमेंट के दौरान मार्जिनल एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए।
नियमित खर्चों के लिए आप एक फिक्स्ड मासिक राशि को निर्धारित कर पोर्टफोलियो से एक सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान (एसडब्लूपी) को भी शुरू कर सकते हैं। इससे आवश्यकतानुसार यूनिटों का नगदीकरण हो जाएगा और राशि प्रत्येक माह बैंक खाते में जमा हो जाएगी। रिटायरमेंट राशि से एक फिक्स्ड राशि को निकाल कर आप खर्च के अनुशासन को अपना सकते हैं।