नई दिल्ली। प्रत्येक नौकरीपेशा व्यक्ति ग्रैच्युटी शब्द से भली-भांति परिचित हैं। किसी कंपनी में पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर ग्रैच्युटी का रकम एंप्लायर देते हैं। कुछ कंपनियों और संस्थानों में ग्रैच्युटी के पैसे अपकी सीटीसी (कॉस्ट टू कंपनी) से काटे जाते हैं वहीं कुछ कंपनियां अपनी तरफ से इसके लिए योगदान करती हैं।
अब ग्रैच्युटी के नियम बदल सकते हैं। संभव है कि अब नए नियमों के तहत PF (भविष्य निधि) की तर्ज पर ग्रैच्युटी के पैसे भी आपकी सैलरी की राशि से काटी जाए। यानि ग्रैच्युटी को आपकी सीटीसी का हिस्सा बनाया जा सकता है। अभी यह मामला प्रस्ताव के स्तर पर है। दूसरी बात, PF की तर्ज पर ही ग्रैच्युटी ट्रांसफर पर भी विचार किया जा रहा है।
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ग्रैच्युटी की रकम वेतन से कटने पर घटेगी सैलरी
संभव है कि अब ग्रैच्युटी की रकम भी आपकी सीटीसी से काटी से जाए। आम तौर पर ग्रैच्युटी सीटीसी का हिस्सा नहीं होता है। मगर सोशल सिक्योरिटी कोड के लिए तैयार मसौदे में ग्रैच्युटी फंड तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके तहत कर्मचारी के वेतन का 2 फीसदी हिस्सा एंप्लायर ग्रैच्युटी फंड में डालेंगे। अगर ऐसा होता है कि नियोक्ता इसे आपकी सीटीसी का हिस्सा मानेगा, तो आपकी टेक होम सैलरी कम हो सकती है।
ट्रेड यूनियनों ने किया था ये प्रस्ताव
ट्रेड यूनियन ने ग्रैच्युटी पाने के लिए 5 साल की सीमा घटाने का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ ही कम से कम 10 कर्मचारी की शर्त खत्म करने की भी सिफारिश की है। ग्रैच्युटी भुगतान 15 दिन के वेतन से बढ़ाकर 30 दिन करने का प्रस्ताव भी ट्रेड यूनियन ने किया है। इन प्रस्तावों पर श्रम मंत्रालय ने अब तक फैसला नहीं लिया है। वर्तमान नियमों के मुताबिक 5 साल से कम सर्विस पर ग्रैच्युटी का लाभ नहीं मिलता है। श्रम मंत्रालय हर साल ग्रैच्युटी देने की योजना पर विचार कर रहा है।
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ये हैं ग्रैच्युटी के नियम
ग्रैच्युटी के लिए कम से कम 5 साल नौकरी जरूरी है और कम से कम 10 कर्मचारी वाली कंपनियों पर ये नियम लागू होता है। 1 साल की सर्विस पर 15 दिनों का वेतन ग्रैच्युटी में जोड़ा जाता है। मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर ग्रैच्युटी बनती है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री ग्रैच्युटी 20 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है, अभी 10 लाख रुपए तक की ग्रैच्युटी टैक्स फ्री है। टैक्स फ्री ग्रैच्युटी 20 लाख रुपए करने के प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी का इंतजार है।