नई दिल्ली। भारत सरकार ने फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड 2020 को लॉन्च करने की घोषणा की है। यह बांड 1 जुलाई, 2020 से सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध होंगे। ये बांड सॉवरेन बांड हैं और 100 प्रतिशत सूरक्षित हैं क्योंकि इनमें कोई भी डिफॉल्ट जोखिम नहीं है क्योंकि भारत सरकार इनके लिए अपनी गारंटी दे रही है। इन बांड्स को आरबीआई बांड के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह के बांड्स पहले भी बाजार में उपलब्ध थे और इन पर 7.75 प्रतिशत का गारंटीड ब्याज मिलता था। 28 मई, 2020 को सरकार ने इन बांड्स को बंद करने की घोषणा की थी। अब सरकार ने 1 जुलाई, 2020 से नई सीरीज के तहत नए सेविंग बांड्स जारी करने का फैसला किया है।
इस बार फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड्स 2020 के लिए ब्याज दर तय नहीं रहेगी। भारत सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (आबरीआई) इन बांड को जारी करेगा। चूंकि ये भारत सरकार के बांड हैं, इसलिए यहां डिफॉल्ट का भी कोई जोखिम नहीं है। इसलिए इनमें किया गया निवेश एकदम सुरक्षित है। इन बांड पर मिलने वाला ब्याज समय-समय पर बदलता रहेगा और ब्याज दर भारत सरकार तय करेगी।
आरबीआई बांड को कोई भी भारतीय नागरिक अपने नाम से या ज्वॉइंट नाम से या अव्यस्क के नाम से खरीद सकता है। अपने माता-पिता के नाम से भी इन बांड्स को खरीदा जा सकता है। एनआरआई इन बांड्स में निवेश नहीं कर सकते हैं।
ये बांड्स एसबीआई की शाखाओं में या 11 दूसरे सार्वजनिक बैंकों सहित चार निजी बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईडीबीआई बैंक और एक्सिस बैंक में सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध होंगे। इन बांड की परिपक्वता अवधि 7 साल होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इन बांड्स पर इंटरेस्ट रेट तय नहीं होगा। पहले वाले बांड्स में यह तय होता था कि 7 साल तक निवेशकों को 7.75 प्रतिशत का ब्याज मिलता था।
हर छमाही पर इन बांड्स की ब्याज दर की समीक्षा की जाएगी और उनमें बदलाव किया जाएगा। फ्लोटिंग रेट बांड्स के ब्याज को राष्ट्रीय बचत पत्र के ब्याज के साथ लिंक किया गया है। राष्ट्रीय बचत पत्र पर वर्तमान में ब्याज दर 6.80 प्रतिशत है। फ्लोटिंग रेट सेविंग बांड्स पर ब्याज दर 7.15 प्रतिशत होगा, जो एनएससी से 0.35 प्रतिशत अधिक है। प्रत्येक छह माह में ब्याज का भुगतान किया जाएगा। पहला ब्याज भुगतान 1 जनवरी 2021 में किया जाएगा।
बांड की फेस वैल्यू 100 रुपए है और निवेश की न्यूनतम सीमा 1000 रुपए है। इसकी अधिकतम कोई सीमा नहीं हैं। ये बांड ट्रांसफरेबल नहीं हैं और न ही इनको बेचा जा सकता है। ये बांड इलेक्ट्रॉनिक रूप में अलॉट किए जाएंगे। बांड को डीडी, चेक, एनईएफटी आदि तरीके से खरीदा जा सकता है।
परिवक्वता अवधि से पहले 6वें साल में बांड को सरेंडर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए शर्त है कि निवेशक की उम्र 60 साल होनी चाहिए। इसके लिए अंतिम छह माह के ब्याज का 50 प्रतिशत शुल्क के रूप में देना होगा। इसके अलावा कोई और निवेशक इन्हें समय से पहले सरेंडर नहीं कर सकता है। इन बांड पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल है। यानी ब्याज पर टैक्स देना होगा।