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Must Ask: खरीदने जा रहे हैं अपने सपनों का घर, तो पहले बिल्‍डर या एजेंट से पूछ लें ये 5 सवाल

घर खरीदने से पहले सभी लोगों को अपने बिल्‍डर्स से कुछ सवाल पूछना ही चाहिए। जिससे न सिर्फ अापका सपना बिना मुश्किल के पूरा होगा, वहीं आप धोखाधड़ी से भी बचेंगे।

Dharmender Chaudhary
Published : December 07, 2015 7:50 IST
Must Ask: खरीदने जा रहे हैं अपने सपनों का घर, तो पहले बिल्‍डर या एजेंट से पूछ लें ये 5 सवाल
Must Ask: खरीदने जा रहे हैं अपने सपनों का घर, तो पहले बिल्‍डर या एजेंट से पूछ लें ये 5 सवाल

नई दिल्‍ली। अपना घर होना सभी का एक सपना होता है। हम अपने परिवार को एक छत के साये में लाने के लिए अपने जीवन भर की कमाई लगा देते हैं। लेकिन विडंबना है कि हम एक टूथपेस्‍ट या साबुन लेने के लिए भले ही दुकानदार से ढेरों सवाल पूछ लें, लेकिन जब बिल्‍डर के साथ इतना बड़ा सौदा करते हैं तो सिर्फ ब्रॉशर या सैंपल फ्लैट के आधार पर ही सब कुछ तय कर लेते हैं। ऐसे ही कस्‍टमर्स अक्‍सर धोखा खाते हैं और नुकसान के लिए बिल्‍डर्स या प्रॉपर्टी डीलर को दोषी ठहराते हैं। आम लोगों की इसी मुश्किल को ध्‍यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम पेश कर रही है कुछ ऐसे सवाल जो सभी खरीदारों को बिल्‍डर या एजेंट से पूछना ही चाहिए।

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जिस जगह पर अपार्टमेंट्स बनेंगे वह जमीन किसकी है?

हम अक्‍सर ब्रॉशर या बिल्‍डर का ऑफिस देखकर मकान की डीलिंग कर देते हैं। आज बहुत से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें बिल्‍डर अनाधिकृत जमीन पर फ्लैट बना देते हैं। जिसका खामियाना कस्‍टमर्स को उठाना पड़ता है। लैंड यूज (जमीन का इस्तेमाल) की जांच करने के लिए डेवलपर से आपको यह कहना चाहिए कि वह संबंधित दस्तावेज दिखाए। इसके अलावा आपको संबंधित अथॉरिटी से संपर्क करना चाहिए। कई बार यह देखते में आया है कि बिल्‍डर या डेवलपर बिल्डिंग प्लान मंजूर होने से पहले ही बेचना शुरू कर देते हैं। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। यहां इस बात का जोखिम रहता है कि डेवलपर ने आपको कुछ और कोई बिल्डिंग प्लान दिखाया, लेकिन प्राधिकरण ने इसे कुछ बदलावों के साथ मंजूर किया हो। इस तरह के बदलाव आपको बड़ा नुकसान हो सकता है।

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क्‍या प्रोजेक्‍ट को बैंक से मिली है मंजूरी?

विशेषज्ञ मानते हैं कि सुरक्षा के लिहाज से ऐसे प्रोजेक्ट में निवेश करना सबसे अच्छा होता है जिसे बैंक से मंजूरी मिल चुकी हो। इस मंजूरी का मतलब यह है कि बैंक ने ड्यू डिलिजेंस (पूर्व जांच) पूरा कर लिया है और उसके हिसाब से वह प्रोजेक्ट विकसित किए जाने योग्य है। यहां तक कि यदि कोई प्रोजेक्ट सभी लिहाज से मजबूत लग रहा हो, तो भी बैंक द्वारा उसे मंजूरी मिलने में दो से आठ महीने तक का समय लग सकता है। बैंक कई तरह की जांच करते हैं और बहुत तरह के कागजात की जांच करते हैं, इन सबमें बहुत समय लगता है। यदि किसी प्रोजेक्ट को अभी तक बैंक की मंजूरी न मिली हो तो भी सीधे यह मान लेना ठीक नहीं होगा कि प्रोजेक्ट खराब है और उसमें निवेश नहीं करना चाहिए।

कहीं बाद में तो नहीं बढ़ जाएगी मकान की कीमत?

बिल्डर-खरीदार समझौते में एक क्लॉज होता है जिसमें यह कहा गया होता है कि प्रॉपर्टी के लिए वसूली जाने वाली कीमत में आगे कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। यह देख लें कि आप के मामले में इस तरह का क्लॉज है कि नहीं। यदि इस तरह का क्लॉज है तो कीमतों में बढ़ोतरी से आप कुछ हद तक तो सुरक्षित रहेंगे। लागत तब ही बढ़ सकती है जब सरकार बिल्डर पर किसी तरह का एक्स्ट्रा चार्ज लगा दे। कई बार ऐसा भी होता है कि बिल्डर-खरीदार के एग्रीमेंट में यह कहा गया होता है कि सुपर एरिया में बदलाव हो सकता है, पजेशन के समय तक इसमें 8 से 10 फीसदी तक बदलाव हो सकता है और इसके लिए या तो उस समय अतिरिक्त चार्ज लिया जाएगा या समायोजित किया जाएगा।

पेमेंट ऑप्‍शन के बारे में बिल्‍डर ने आपको डिटेल बताया कि नहीं?

जब आप किसी डेवलपर से कोई अपार्टमेंट खरीदते हैं तो आपको भुगतान के विकल्प दिए जाते हैं। लेकिन बिल्‍डर यह नहीं बताता कि यदि आप भुगतान में चूक करते हैं तो आपको क्‍या भुगतना पड़ेगा। यदि आपने डेवलपर को जो चैक या ड्राफ्ट दिया है वह बाउंस हो जाता है तो आम तौर पर डेवलपर 5,000 से 8,000 रुपए तक का एडमिनिस्टे्रटिव हैंडलिंग चार्ज (एएचसी) थोप देते हैं। इसलिए कोई चैक जमा करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके एकाउंट में पर्याप्त रकम हो। यही नहीं, अपार्टमेंट तैयार है लेकिन आप पजेशन लेने में देरी करते हैं तो भी बिल्डर आपके ऊपर जुर्माना लगा सकता है। कई बार डेवलपर खरीदार को यह आश्वासन देता है कि वह यदि सभी भुगतान समय से करते हैं तो उसे भारी डिस्काउंट दिया जाएगा। पहले से ही यह पता कर लें कि पहले डेवलपर ने इस तरह के वायदे को भी निभाया भी है या नहीं।

क्‍या पेमेंट के फाइनल फिगर ही आपके लिए होंगे फाइन?

कई बार डेवलपर यह दावा करता है कि वह प्रोजेक्ट की जो कीमत मांग रहा है उसमें सब कुछ शामिल है। उसे डेवलपर से यह लिखित रूप से लेना चाहिए कि इस ऑल इन्क्लूजिव प्राइस में क्या-क्या शामिल है: क्या इसमें पीएलसी, ईडीसी (एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज), आईडीसी (इंटर्नल डेवलपमेंट चार्ज), पार्किंग, इलेक्ट्रिफिकेशन और अन्य चार्ज शामिल हैं? अक्सर आपका करार एक स्टार के साथ होता है और शर्तें काफी बारीक अक्षरों में लिखी होती हैं, जिसकी मदद से डेवलपर कई तरह के अतिरिक्त चार्ज थोप देते हैं। कई बार डेवलपर मनमाने तरीके से अतिरिक्त चार्ज थोप देते हैं। उदाहरण के लिए गैस पाइपलाइन लगाने के लिए संबंधित प्रशासन की तरफ से सिर्फ 5,000 रुपए लिए जाते हैं, लेकिन डेवलपर इस सुविधा के लिए ग्राहकों से 50,000 रुपए तक ले लेते हैं।

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