बेंगलुरु। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ई-निरीक्षण प्रणाली शुरू करेगा। इसका उद्देश्य जांच-पड़ताल की प्रक्रिया को सरल बनाना और बिना उचित जरूरत के आमने-सामने पूछताछ की प्रक्रिया को कम करना है। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त सुनिल बर्थवाल ने यह जानकारी दी।
उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की एक विज्ञप्ति के अनुसार बर्थवाल ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि ईपीएफओ ने उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिए अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसके तहत जांच की अधिकतम अवधि दो साल होगी।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों की गड़बड़ी के चलते कुछ प्रतिशत कर्मचारी यूएएन (12 अंकों वाली सार्वभौमिक खाता संख्या) सृजित नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए ईपीएफओ कर्मचारी डेटाबेस के माध्यम से सत्यापन की वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार कर रहा है। विज्ञप्ति में बर्थवाल के हवाले से कहा गया है कि ईपीएफओ केवाईसी का पालन करने वाले लाभार्थियों के लिए मामलों का निपटान तीन दिन के अंदर करने की दिशा में काम कर रहा है।
इन लाभार्थियों का यूएएन आधार और बैंक खाता से जुड़ा होता है और इनके पास पंजीकृत मोबाइल नंबर है। उन्होंने कहा कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) की तर्ज पर सलाहकारों की संस्था बनाने का भी प्रस्ताव है। यह भ्रष्टाचार को रोकने में मदद करेगा। उन्होंने उद्योग के लिए महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि चूककर्ताओं को आपराधिक श्रेणी से बाहर करने और इन मामलों को आर्थिक अपराध की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव है।