नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सब्सक्राइबर्स को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपनी जमा राशि पर पिछले साल की तुलना में कम ब्याज मिल सकता है। हालांकि सब्सक्राइबर्स के अंशदान को इक्विटी में निवेश करने के बदले पहली बार उन्हें यूनिट्स का आवंटन किया जा सकता है। इनको मिलाकर ओवरऑल रिटर्न पिछले साल के बराबर या उससे ज्यादा हो सकता है। ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक 23 नवंबर को होनी है। उसमें बोर्ड इस साल के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज दर रखने पर विचार कर सकता है। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज दर 8.65 प्रतिशत थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज आगामी बैठक में इक्विटी में निवेश किए गए हिस्से के ईपीएफओ यूनिटाइजेशन पॉलिसी को मंजूरी भी दे सकता है। ईपीएफओ के निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में जाता है, लेकिन उससे यील्ड में कमी आई है। साथ ही ब्याज दरों में सामान्य तौर पर कमी हुई है। इन दो वजहों से ईपीएफओ को ब्याज दर घटाने का निर्णय करना पड़ सकता है।
अधिकारी ने कहा कि बांड्स और एफडी जैसे डेट मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स पर रिटर्न कम रहने के कारण ईपीएफओ घटती ब्याज दरों के माहौल में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि ब्याज दर को मौजूदा स्तर पर रखना मुश्किल है क्योंकि नई प्रतिभूतियां कम दरों पर खरीदी जा रही हैं, जबकि 20 साल पुरानी प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि करीब आ गई है।
पिछले साल दिसंबर में बोर्ड ने ईपीएफ पर वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 8.65 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय किया था। 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी। ईपीएफओ के 5 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। बोर्ड के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय यह देखता है कि ट्रस्टियों की ओर से मंजूर दर पर ईपीएफओ अपनी आय से ब्याज दे पाएगा या नहीं। अक्सर वह बोर्ड के निर्णय को मंजूर कर लेता है।
ऐसे काम करेगी यूनिटाइजेशन पॉलिसी
ईपीएफओ अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के जरिये इक्विटी में निवेश करता है। यूनिटाइजेशन पॉलिसी के तहत हर महीने होने वाले 15 प्रतिशत इक्विटी निवेश को सब्सक्राइबर्स को यूनिट्स के रूप में आवंटित किया जाएगा। इन्हें एग्जिट या प्रॉविडेंट फंड से विथड्रॉल के समय भुनाया जा सकेगा। इसके अलावा ईपीएफओ को इक्विटी इनवेस्टमेंट पर मिलने वाले सालाना डिविडेंड को भी इसके सब्सक्राइबर्स में बांटा जाएगा। इस तरह ओवरऑल रिटर्न ज्यादा रह सकता है। इसके बाद सब्सक्राइबर्स डेट में अपने मासिक निवेश और इक्विटी में निवेश के आधार पर उन्हें अलॉट की गईं यूनिट्स को चेक कर सकेंगे।
जब कोई सब्सक्राइबर अपने पीएफ का पैसा निकालने का निर्णय करेगा तो उसके कुल निवेश का 85 प्रतिशत हिस्सा ब्याज सहित दिया जाएगा, जबकि कुल निवेश का जो 15 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में लगाया गया है उसे उस खास दिन तक जमा यूनिट्स में इक्विटी की वैल्यू से गुणा करके सामने आने वाली रकम के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा सब्सक्राइबर के पास यह विकल्प होगा कि अगर उसे लगता है कि इक्विटी निवेश से कुछ समय बाद बेहतर रिटर्न मिल सकता है तो उसे विथड्रॉल को एक-दो साल तक टालने का विकल्प भी दिया जाएगा। बोर्ड को तय करना है कि कितने वक्त तक विथड्रॉल टालने की इजाजत दी जाए।