नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के दौरान करोड़ों कर्मचारियों को राहत प्रदान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय बोर्ड ने कर्मचारियों की जमा लिंक्ड बीमा योजना, 1976 (ईडीएलआई) में संशोधन के लिए मंजूरी प्रदान की है। इसके बाद वर्तमान अधिकतम लाभ को 6 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपए तक किया जा सकेगा। इस संशोधन के जरिये सेवारत कर्मचारियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होने की स्थिति में परिवार को छह लाख की जगह अब सात लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी।
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बुधवार को हुई 227वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। कोरोना से पैदा हुई असाधारण हालात को देखते हुए, केंद्रीय बोर्ड ने ब्याज दर से संबंधित एजेंडे की भी समीक्षा की। केंद्रीय बोर्ड ने केंद्र सरकार को 8.50 प्रतिशत की समान दर रखने की सिफारिश की है। इसमें 31 दिसंबर, 2020 तक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और ऋण आय से 8.15 प्रतिशत और शेष 0.35 प्रतिशत पूंजीगत लाभ शामिल होगा।
ईडीएलआई योजना एक अनिवार्य बीमा कवर है जो ईपीएफ योजना के सभी सदस्यों को उपलब्ध कराई जाती है। प्राकृतिक आपदा, बीमारी या दुर्घटना में कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके नॉमिनी को 7 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। सभी संगठन ईपीएफ और अन्य प्रावधान अधिनियम 1952 के तहत ईडीएलआई के लिए स्वत: ही पंजीकृत हैं।
इंश्योरेंस कवर मृत्यु से पहले अंतिम 12 माह के दौरान प्राप्त होने वाले वेतन पर आधारित होता है। नियोक्ता और केंद्र सरकार ईडीएलआई योजना में योगदान देते हैं। कर्मचारी को जमा लिंक्ड बीमा योजना में योगदान देने की आवश्यकता नहीं होती है। इस योजना के तहत दावा राशि अंतिम 12 महीनों में हासिल किए जाने वाले वेतन का 30 गुना (अधिकतम 7 लाख रुपए) तक होती है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने बुधवार को 2019-20 के लिए ईपीएफ सदस्यों को 8.5 प्रतिशत ब्याज का भुगतान दो किस्तों में करने को भी अपनी मंजूरी दी है। संगठन पहले 8.15 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करेगी और शेष 0.35 प्रतिशत ब्याज का भुगतान दिसंबर,2020 तक किया जाएगा।