घातक कोरोना वायरस इस समय पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुका है। यह महामारी इस साल बीत से साल से ज्यादा घातक है। इस दफे इससे जान गंवाने वालों की संख्या दुनिया भर में सबसे ज्यादा है। मई के महीने के शुरूआती हफ्तों में देश ने 4000 से ज्यादा मौते देखी हैं। मौत की यह संख्या उस परिवार के लिए एक आंकड़े से कहीं ज्यादा होता है, जिसके लिए वह परिवार की कमाई का एक मात्र जरिया था।
आम हालात में जीवन बीमा इस काम में लोगों की मदद करता है। लेकिन यदि मृतक ने बीमा ही न करवाया हो? ऐसी स्थिति में काम आती है, इम्पलॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) स्कीम। यह स्कीम उन सभी नौकरीपेशा लोगों को लाभ पहुंचाती है जो ईपीएफओ के सदस्य हैं। यानि उनकी कंपनी हर महीने सैलरी से भविष्य निधि का पैसा काटती है। ईपीएफओ के नियम के अनुसार अगर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को 2.5 लाख रुपये से 7 लाख रुपये तक लाइफ इंश्योरेंस मिल सकता है। यह मृतक की बेसिक सैलरी के हिसाब से मिलता है। हाल ही में इस योजना के तहत अधिकतम लाभ को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया है।
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EDLI स्कीम क्या है
सरकार ने 1976 में EDLI योजना शुरू की थी। यह सुविधा निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने के लिए शुरू की गई थी। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी की ओर से नियोक्ता मामूली राशि प्रीमियम के तौर पर देता है। कुछ नियोक्ताओं ने इससे किनारा कर लिया है और वे निजी बीमा कंपनी से ग्रुप इंश्योरेंस लेते हैं। हालांकि इसमें भी लाभ की राशि EDLI योजना के बराबर या उससे अधिक होनी चाहिए। यह योजना ईपीएफ के उन सभी सदस्यों पर लागू होती है जिनका मूल वेतन 15,000 रुपये से कम है। अगर मूल वेतन 15,000 रुपये से अधिक भी है तब भी अधिकतम लाभ 7 लाख रुपये ही है।
कब कर सकते हैं क्लेम
सरकार की ईडीएलआई योजना के तहत क्लेम मेंबर एम्प्लॉई के नॉमिनी की ओर से एम्प्लॉई की बीमारी, दुर्घटना या स्वाभाविक मृत्यु होने पर किया जाता है। अगर किसी कर्मचारी की कोविड-19 की वजह से भी मौत होती है तो परिजनों को ईडीएलआई के तहत 7 लाख रुपये मिल सकते हैं। यह कवर उन कर्मचारियों के पीड़ित परिवार को भी दिया जाता है, जिसने मृत्यु से ठीक पहले 12 महीनों के अंदर एक से अधिक प्रतिष्ठानों में नौकरी की हो।
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कौन कर सकता है क्लेम
इस राशि का क्लेम परिवार की अेर से नॉमिनी पीएफ खाताधारक की मृत्यु होने पर किया जाता है। अगर किसी का कोई नॉमिनी नहीं है तो फिर कानूनी उत्तराधिकारी यह क्लेम दिया जाता है। यानी अगर स्कीम के तहत कोई नॉमिनेशन नहीं हुआ होता है, तो मृत कर्मचारी का जीवनसाथी, उसकी कुंवारी बच्चियां और नाबालिग बेटा इसके लाभार्थी होते हैं। योजना के तहत एकमुश्त भुगतान होता है। इसके लिए कर्मचारी को कोई भी रकम नहीं देनी पड़ती है। यानी यह इंश्योरेंस कवर सब्सक्राइबर को फ्री मिलता है। पीएफ खाते के साथ ही यह लिंक हो जाता है। कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के मामले में भी इसे लिया जा सकता है।
क्या है क्लेम का तरीका
क्लेम के लिए आपको फॉर्म-5 IF जमा करना होगा, जिसे नियोक्ता सत्यापित करता है। आपको साथ ही मृत्यु प्रमाणपत्र और कैंसल चेक की कॉपी भी देनी होती है। इसके बाद ही आपको कवर का पैसा मिल सकता है। इंश्योरेंस कवर की धनराशि अधिकतम सात लाख रुपये है। पहले इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए एक साल ईपीएफओ का सदस्य होना जरूरी था लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया है। अब यह सुविधा पहले दिन से ही मिलती है।