नई दिल्ली। कोरोना संकट से देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है जिसके कारण अधिकांश सेक्टर्स में मंदी का दौर देखने को मिल रहा है। नौकरीपेशा वर्ग के साथ-साथ जिन्होंने पढ़ाई के लिए लोन लिया है उनके लिए भी चिंता बढ़ गई है। मौजूदा स्थिति ऐसी हो गई है कि स्टूडेंट्स के माता-पिता भी पढ़ाई के पैसे चुकाने के लिए फिलहाल सक्षम नहीं हैं। वजह है कोरोना के कारण मंदी का दौर और लोगों के पास रोजगार की कमी हैं। लेकिन अगर आप भी अपने बच्चे की आगे की पढ़ाई की चिंता कर रहें हैं तो हम आपको बताएंगे की आप कैसे एजुकेशन लोन ले सकते हैं और अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकते हैं। हमारे इस रिपोर्ट के जरिए जानिए कि एजुकेशन लोन लेने से पहले किन अहम बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
लोन लेने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान:
· हमेशा ध्यान दें कि लोन भारतीय नागरिक को ही मिलेगा
· आरबीआई के मुताबिक लोन लेने के लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है लेकिन कुछ बैंकों ने 16 से 35 की उम्र को तय किया है
· ग्रेजुएशऩ या किसी प्रोफेशनल कोर्स के लिए बैंक द्वारा लोन लिया जा सकता है
· सरकार से मान्यता प्राप्त वाले इंस्टियूट या कॉलेज के लिए एजुकेशन लोन में दिक्कत नहीं होती है
· कॉलेज की फीस, पढ़ाई के लिए कंप्यूटर, लाइब्रेरी, हॉस्टल फीस आदि जैसे जरुरत के खर्च लोन में शामिल होते हैं
· किसी भी छात्र का वैध संस्था या मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी में सेलेक्शन होने के बाद ही एजुकेशन लोन मिलता है
· पढ़ाई चाहें आप भारत में करें या विदेश में लेकिन सेलेक्शन के बाद ही लोन की अऩुमति मिलती है
· 4 लाख रुपये तक के लोन पर बैंक कोई मार्जिन मनी नहीं लेता
· 7.5 लाख के उपर से ज्यादा के लोन पर गारंटर या कुछ गिरवी रखने को कहते हैं
· एजुकेशन लोन लेने से पहले ब्याज दरों के बारे में जरुर जान लें
· हर बैंक की ब्याज दरों में अंतर हो सकता है। इसलिए प्रोसेसिंग फीस, प्री पेमेंट, लेट फीस जैसे बातों पर जरुर ध्यान दें
· छात्र की पिछली परीक्षा की मार्कशीट, कोर्स के खर्चों का प्रमाणपत्र, आखिरी 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट, एंट्रेस,स्कॉलरशिप के कागज, माता-पिता के पिछले 2 वर्षों का आईटीआर प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होता है
· इनकम टैक्स की धारा 80E के अंतर्गत एजुकेशन लोन के ब्याज भुगतान पर टैक्स छूट मिलती है और टैक्स क्लेम किया जा सकता है
एजुकेशन लोन की कुछ शर्तें:
· भारत में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपये तक का लोन और विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपये तक का लोन मिलता जाता है
· लोन की वापसी पढ़ाई या प्रोफेशन कोर्स खत्म होने के बाद ही करनी होती है
· हालांकि कोई भी 4 तरह के एजुकेशन लोन की सुविधा प्राप्त कर सकता है। पहला है अंडरग्रैजुएट एजुकेशन लोन जिसमें कोई भी ग्रैजुएशन कोर्स के लिए लोन ले सकता है
· दूसरा है करियर एजुकेशन लोन जो किसी भी करियर ओरिएंटेड कोर्स के लिए लिया गया लोन होता है
· तीसरा लोन है ग्रैजुएट लोन जिसे कोई भी छात्र ग्रैजुएट की पढ़ाई के बाद के लिए लेना चाहता है
· साथ ही पैरेंट्स के लिए लोन की सुविधा भी है। वो माता-पिता जो अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते तो अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन ले सकते हैं
· ध्यान दें कि किसी भी प्रकार के एजुकेशन लोन को लेने के लिए सह-आवेदक का होना अनिवार्य है
· कोर्स खत्म होने के 6 महीने से एक साल के अंदर ही लोन रिपेमेंट शुरू हो जाता है
· ब्याज की बात करें तो किसी भी तरह की लोन रिपेमेंट को रोकने की स्थिति में साधारण ब्याज ही लागू किया जाता है
· अगर सही समय पर एजुकेशन लोन चुका दिया जाता है तो आपके क्रेडिट रेटिंग को अच्छा करने में मदद मिलती है और आगे किसी भी प्रकार के लोन लेने में सहायता होती है
· लोन लेने से पहले हमेशा लेट पेमेंट, प्रोसेसिंग फीस आदि के बारे जानकारी प्राप्त कर लें।कई बैंक 0.15 फीसदी तक का प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं
रिपेमेंट प्रोसेस:
· कोर्स के खत्म होने के 6 महीने बाद ही लोन चुकाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है
· हालांकि बैंक 6 महीने से 1 साल का समय भी देते हैं ताकि नौकरी लग जाने के बाद लोन रिपेमेंट वसूला जाए
· आमतौर पर 5 से 7 साल में एजुकेशन लोन के रकम को चुकाना पड़ता है
· हालात को देखते हुए बैंक रिपेमेंट के समय को बढ़ा भी सकते हैं
· बैंक एमसीएलआर और अतिरिक्त स्प्रेड के हिसाब से ब्याज वसूलता है। अतिरिक्त स्प्रेड की बात करें तो ये 1.35 फीसदी से लेकर तीन फीसदी तक हो सकता है
· कोर्स के दौरान सिंपल इंटरेस्ट ही लोन पर लिया जाता है और ईएमआई के तौर पर सामान्य ब्याज को चुकाना पड़ता है। ताकि कोर्स के पूरा हो जाने पर छात्र पर किसी प्रकार का बोझ नहीं पड़े
लोन मोरेटोरियम:
· अगर किसी ने बैंक से या किसी फानेंशियल संस्था से एजुकेशन लोन लिया है तो वो आरबीआई द्वारा 6 महीने के मोरेटोरिम को भी सेलेक्ट कर सकता है
· ज्यादातर बैंक वैसे तो लोन मोरेटोरिम का ऑप्शन एजुकेशन लोन में पहले से ही देते हैं जो 6 महीने से 1 साल के बीच का होता है।यानी की एक तरह का लोन रिपेमेंट एक्सटेंशन हर फुल टाइम कोर्स के लिए गए लोन में मिलता है।
· पैसाबाज़ार डॉट कॉम के डायरेक्टर एण्ड हैड (अनसिक्योर्ड लोन) गौरव अग्रवाल का मानना है कि “नए या जल्द ही ग्रेजुएट होने वाले छात्र नौकरियों की कमी के कारण या अपर्याप्त वेतन के कारण अगर अपने शिक्षा लोन के भुगतान में असमर्थ हैं, तो वो अपने बैंक/ लोन संस्थान द्वारा प्रदान किये जा रहे मोराटोरियम पीरियड का विकल्प चुन सकते हैं। यह मोराटोरियम पीरियड पाठ्यक्रम के 1 वर्ष के बाद तक या नौकरी हासिल करने के 6 महीने बाद तक, जो भी पहले हो, प्रदान किया जाता है। हालांकि, छात्रों को यह याद रखना चाहिए कि मोराटोरियम पीरियड के दौरान एक साधारण दर पर उनकी लोन राशि पर ब्याज लगता रहेगा। जो लोग शिक्षा लोन भुगतान कर रहे हैं, वो ऊपर बताए गए मोराटोरियम के लिए योग्य नहीं हैं, लेकिन आरबीआई द्वारा प्रस्तुत 6 महीने की लोन मोराटोरियम सुविधा चुन सकते हैं, जो सभी टर्म लोन के लिए दी गई है। इस मोराटोरियम सुविधा का लाभ 31 अगस्त, 2020 तक लिया जा सकता है, इस दौरान कंपाउंड ब्याज बकाया लोन राशि पर लगता रहेगा”
· वहीं बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ- आदिल शेट्टी का मानना है कि “फिलहाल जो आर्थिक स्थिति बनी हुई है वो पूरे देश के साथ-साथ दूनिया के लिए चिंता की बात है। ऐसे में यही उम्मीद की जा रही है कि सभी बैंक एजुकेशन लोन के मामले में नरमी बरतेंगें। आरबीआई द्वारा 6 महीने के मोरेटोरिम के 3 ऑप्शन में से किसी भी एक ऑप्शन को सेलेक्ट करके एजुकेशन लोन के रिपेमेंट से फिलहाल बचा जा सकता है”।