Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. मेरा पैसा
  4. रियल एस्टेट की खरीदारी और प्रॉपर्टी बेचने के उचित समय का ऐसे करें निर्धारण

रियल एस्टेट की खरीदारी और प्रॉपर्टी बेचने के उचित समय का ऐसे करें निर्धारण

रियल एस्टेट में लंबे समय के लिए निवेश करने से पहले आपको यह बात पहले ही तय कर लेनी चाहिए कि इसमें से निकलना कब है।

Manish Mishra
Published on: March 22, 2017 8:02 IST
रियल एस्टेट की खरीदारी और प्रॉपर्टी बेचने के उचित समय का ऐसे करें निर्धारण- India TV Paisa
रियल एस्टेट की खरीदारी और प्रॉपर्टी बेचने के उचित समय का ऐसे करें निर्धारण

नई दिल्‍ली। अगर आप मौजूदा परिस्थितियों में रियल एस्टेट में निवेश करने जा रहे हैं तो सबसे  पहले यह बात समझ लीजिए कि रियल एस्टेट तत्काल धनी बनने का रास्ता नहीं है। इसमें फायदी तभी है जब किसी संपत्ति में कम से कम 4-5 सालों के लिए निवेश किया जाए। लेकिन रियल एस्टेट में लंबे समय के लिए निवेश करने से पहले आपको यह बात पहले ही तय कर लेनी चाहिए कि इसमें से निकलना कब है।

आपको याद होगा कि साल 2008 की शुरुआत में जब भारत में रियल एस्टेट बाजार अपने शीर्ष  पर था, तब बहुत सारे निवेशकों ने अपनी प्रॉपर्टी फ्लिप की थीं। फ्लिप का मतलब यह है कि कोई प्रॉपर्टी खरीदकर उसके भाव बढऩे का कुछ महीने तक इंतजार कीजिए फिर उसे तत्काल फायदे के लिए बेच दीजिए।

लेकिन यह अच्‍छा ही हुआ उसके बाद से यह चलन खत्म ही हो गया। अब तो सुरक्षित व लगातर फायदे का इकलौता रास्ता लंबे समय के लिए निवेश है। अगर आप रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको रियल एस्टेट बाजार की खासियतों और बुराइयों से पूरी तरह परिचित होना होगा साथ ही यह भी जानना होगा कि फायदे का सबसे उपयुक्त समय कब आता है, ताकि प्रॉपर्टी बेच कर मुनाफा कमाया जाए।

  • रियल एस्टेट में निवेश करने वाले निवेशकों को इंवेस्टमेंट होराइजन- यानि खरीदारी और दोबारा बेचने के बीच की अवधि का निर्धारण कर लेना चाहिए।
  • दोबारा बिक्री के समय टैक्स का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में भी विस्तृत विश्लेषण करना जरूरी है।
  • लीगल फीस व दलाली जैसे खर्चे का भी पहले से ही आकलन कर चलना चाहिए।
  • समय से पहले लोन चुकाने पर प्री-पेमेंट पेनाल्‍टी और स्टांप ड्यूटी का खरीदार पर क्या असर पड़ेगा, इसे भी समझ लें।
  • प्रॉपर्टी खरीदने वाले को इस बात का भी आकलन करना चाहिए कि प्रॉपर्टी की दोबारा बिक्री करने से पहले इसकी साज-सज्जा या विस्तार कराना फायदेमंद होगा, या उसे जैसा है वैसी ही स्थिति में बेच देना ठीक रहेगा।
  • निवेश की अनुमानित अवधि तक संभावित रेंटल इनकम और प्रॉपर्टी की बिक्री से  प्राप्‍त होने वाली रकम का भी अनुमान लगाया जाना चाहिए।
  • टाइमिंग चाहे जो भी हो, प्रॉपर्टी खरीदने वाले को सर्वोच्च गुणवत्ता वाले संपत्ति आधार पर हमेशा फोकस करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि बिल्डिंग की खासियत व गुणवत्ता, उसकी लोकेशन व इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा ध्यान दें।

जल्‍दबाजी में न लें निर्णय

बाजार के चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हड़बड़ा कर, जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी प्रॉपर्टी को बेचना एक गलत रणनीति है। दरअसल यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान रियल एस्टेट के चक्र में बाजार आखिर स्थिर कब होगा। जब आप इसका आकलन करने में सक्षम हो जाएंगे तो आप रियल एस्टेट की खरीदारी कर कामयाब व फायदेमंद एक्जिट कर सकते हैं। यह ध्यान रहे कि सभी उद्योगों का एक चक्र होता है, कारोबार हो या डेमोग्राफिक चक्र यह दोनो पर लागू होता है।

ठीक इसी तरह से रियल एस्टेट का भी एक चक्र होता है। इस दुनिया में सबसे ज्यादा लाभ तब कमाया जा सकता है जब खरीदारी ऐसे समय में और सस्ती दरों पर की जाए, जब कोई इसे खरीदना नहीं चाहता हो और इसे ऊंची कीमत पर तब बेचें जब मांग में मजबूती दिखाई दे रही हो।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Personal Finance News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement