नई दिल्ली। चंडीगढ़ में एक प्राइवेट कंपनी के सेल्स मैनेजर कार्तिक करीब एक महीने पहले ऑफिस से लौटते वक्त एक एक्सीडेंट के शिकार हो गए। एक्सीडेंट की वजह से कार्तिक को करीब 15 दिन अस्पताल में गुजारने पड़े। वहीं डॉक्टर ने उन्हें अगले करीब एक महीने तक कंप्लीट बैड रेस्ट की सलाह दी। इस इलाज में करीब 30 से 40 हजार रुपए का खर्च आ गया। कार्तिक ठीक-ठाक कमाते थे, उन्होंने भविष्य की जरूरतों के लिए बड़ी राशि इंश्योरेंस, यूलिप, फिक्स डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर रखी थी। लेकिन इसके बावजूद वे और उनका परिवार अचानक आए इस आर्थिक बोझ के लिए तैयार नहीं था। एफडी और यूलिप को प्रीमैच्योर विड्रॉल करने की वजह से उन्हें पूरी रकम भी नहीं मिल पाई। कार्तिक जैसी गलतियां हम में से बहुत से लोग इमर्जेंसी फंड न बनाकर करते हैं। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है कि आपको कितना और कैसे इमर्जेंसी फंड बनाना चाहिए…
तुरंत जरूरत के लिए बनाएं इमर्जेंसी फंड
बढ़ती महंगाई के साथ हमारी जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में बीमारी, नौकरी छूटने या अन्य वजह से अचानक सामने आने वाले खर्चे से हमारा सारा बजट हिल जाता है। ऐसी ही समस्याओं से निबटने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बहुत जरूरी है। इमर्जेंसी फंड ऐसी सेविंग होती है, जिसे तुरंत जरूरत के वक्त आप खर्च कर सकें। इसके अलावा बैंक स्वैप एफडी की भी सुविधा देते हैं। इससे आप अपनी रकम पर एफडी जितना ब्याज पाते हैं। वहीं किसी भी समय विड्रॉल भी कर सकते हैं।
कितना हो इमर्जेंसी फंड
इमर्जेंसी को हम किसी पैमाने पर नहीं रख सकते। लेकिन विशेषज्ञ आपके 6 महीनों के खर्चों को पूरा कर सके, इतना इमर्जेंसी फंड तैयार करने की जरूर सलाह देते हैं। लेकिन यदि आपके पास हैल्थ इंश्योरेंस है तो आपके लिए 3 से 4 महीने का इमर्जेंसी फंड भी काफी होगा। इसके लिए जरूरी है कि आप हर महीने करीब अपनी सेविंग का 10 फीसदी हिस्सा इमर्जेंसी फंड के लिए तैयार करें। एक सीमा से अधिक बचत होने पर आप शेष रकम को दूसरे इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकते हैं।
लिक्विड फंड में करें निवेश
इमरजेंसी फंड के लिए बैंक बचत खाता, लिक्विड एमएफ में भी निवेश किया जा सकता। इन फंड में लॉकइन पीरिएड नहीं होता, वहीं विड्रॉल में भी अधिक समय नहीं लगता। बचत खाते में जमा इमर्जेंसी फंड को आप किसी भी वक्त एटीएम की मदद से निकाल सकते हैं। इमर्जेंसी के लिए बैंक एफडी या म्यूचुअल फंड में निवेश करने से बचें। इनमें लॉकइन पीरिएड होता है, जिसके चलते आपको प्रीमैच्योर फाइन भी भरना पड़ता है। वहीं म्यूचुअल फंड या बीमा की रकम हासिल होने में भी 4 दिन से लेकर कम से कम 1 सप्ताह या 15 दिन का वक्त लगता है।
इमर्जेंसी में क्रेडिट कार्ड का कर सकते हैं इस्तेमाल
इमर्जेंसी के लिए आपका क्रेडिट कार्ड भी एक बड़ा सहारा बन सकता है। क्रेडिट कार्ड के साथ आपको 50 से 60 दिनों का क्रेडिट पीरिएड मिलता है। ऐसे में आप अस्पताल के खर्चों के भुगतान और दूसरे खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर सकते हैं। लेकिन क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल विड्रॉल के लिए न करें। क्योंकि इससे आपके ऊपर ब्याज का बोझ काफी बढ़ जाएगा।
जरूर करवाएं हैल्थ इंश्योरेंस
इमर्जेंसी फंड की सबसे ज्यादा जरूरत बीमारी या दुघटना के दौरान पड़ती है। ऐसे में किसी भी अनहोनी से सुरक्षा के लिए आपके पास अपने और अपने परिवार के लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होनी बहुत जरूरी है। हैल्थ पॉलिसी होने के चलते आप हॉस्पिटल और इलाज के खर्च से बच जाते हैं। यदि आपके पास कैशलैस प्लान है, तो आपको इलाज के लिए कोई भी धन की जरूरत नहीं होती। लेकिन यदि कैशलैस नही है तो आपको कुछ समय के लिए पैसों की जरूरत अवश्य पड़ सकती है।