नई दिल्ली। एक आम मध्यमवर्गीय इंसान का सबसे बड़ा सपना उसके अपने घर का होता है। इसके लिए वह जी तोड़ मेहनत करता है, पैसों का इंतजाम करता है, बैंक से लोन लेता है। तब जाकर वह अपने घर की चाबी हासिल करता है। लेकिन सिर्फ घर की चाबी हासिल कर लेने से ही घर आपका नहीं हो जाता। बल्कि आपको अपने बिल्डर से कुछ अहम दस्तावेज भी हासिल करना होता है। घर खरीदना एक आम आदमी की जिंदगी का सबसे बड़ा सौदा होता है। इसमें बहुत से एग्रीमेंट और डीड आदि जैसे कानूनी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है। इंडिया टीवी की टीम आपको बताने जा रही है कि यदि आप किसी बिल्डर से नई या पुरानी प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो आपको कुछ कागजात जरूर मांग लेने चाहिए।
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एलॉटमेंट लैटर
यह उन अहम दस्तावेजों में से एक है जो कि बिल्डर आपको देता है। इसमें एलॉटमेंट की जानकारी के साथ ही बिल्डर की ओर से बेची जाने वाली प्रॉपर्टी से जुड़ी सभी प्रकार की विस्तृत जानकारी दी होती हैं। इसके साथ ही बिल्डर के इस प्रोजेक्ट की भी डिटेल्स होती हैं।
बिल्डर और खरीदार का समझौता
इस एग्रीमेंट में सभी नियम व शर्तें, बिल्डर और खरीदार किसी भी तरह के डिफॉल्ट की स्थिति में क्लॉजेज व कानूनी इंपलिकेशन्स का वर्णन होता है। इसमें कई अन्य जानकारियां जैसे कि प्रोजेक्ट की समय सीमा, पेमेंट के नियम व क्लॉजेज, ब्याज, खरीदार के पेनेल्टी और डिफॉल्ट चार्जेस, डेवेलपर को प्रोजेक्ट बनाने के लिए मंजूरी व प्रतिबंध, पारित किया गया लेआउट प्लान व ड्रॉइंग, टाइटल, प्रोजेक्ट को मंजूरी आदि शामिल होती हैं।
पजेशन लैटर की कॉपी
खरीदारी के समय बिल्डर तय की गई सभी सुविधाओं को मुहैया कराने के बाद पजेशन के लिए तैयार कर देता है। मानदंड अनुसार खरीदार पजेशन सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर करता है और इसकी एक प्रति खुद रख लेता है और एक बिल्डर को दे देता है।
पेमेंट का पूरा ब्रेक अप
प्रॉपर्टी के पजेशन के समय खरीदार की ओर से बिल्डर को दी गई पेमेंट के पूरे ब्रेक अप का वर्णन होता है। साथ ही इसमें यह भी कथित होता है कि बिल्डर की ओर से खरीदार को कोई भी नो ड्यूज नहीं हैं।
नो ऑबजेक्शन लैटर
ये एक बेहद अहम कानूनी कागजात होते हैं। इस डॉक्यूमेंट में यह लिखा होता है कि आपकी ओर से खरीदे जानी वाली प्रॉपर्टी पर किसी अन्य बिल्डर या व्यक्ति की ओर से आपत्ति नहीं है। प्रॉपर्टी के विवादों में ये कागजात काफी मददगार साबित होता है।
एग्रीमेंट लैटर
इसमें बिल्डर और खरीदार के बीच हुए समझौते का वर्णन होता है। प्रॉपर्टी तो खरीदने से संबंधित नियम व शर्तें होती है जैसे कि कंसिडिरेशन, वो समय सीमा जिसमें एग्रीमेंट पूरा होना है आदि शामिल होते हैं।