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Five Steps to Know: दिवाली पर मिला है मोटा बोनस, तो ऐसे करें उसका सही इस्‍तेमाल

दिवाली पर आपको अपनी कंपनी से बोनस के रूप में एक मोटी राशि हासिल हुई है, क्‍या आपने साल में एक बार मिलने वाली इस राशि को कहीं निवेश की योजना भी बनाई है?

Surbhi Jain
Updated : November 29, 2015 11:48 IST
Five Steps to Know: दिवाली पर मिला है मोटा बोनस, तो ऐसे करें उसका सही इस्‍तेमाल
Five Steps to Know: दिवाली पर मिला है मोटा बोनस, तो ऐसे करें उसका सही इस्‍तेमाल

नई दिल्‍ली। इस बार दिवाली पर आपको अपनी कंपनी से बोनस के रूप में एक मोटी राशि हासिल हुई है, तो आपने अपनी एक लिस्‍ट भी बना ली होगी। जिसमें अपने लिए, बच्‍चों के लिए, पत्‍नी के लिए कुछ न कुछ खरीदने की योजना जरूर बनाई होगी। लेकिन क्‍या आपने साल में एक बार मिलने वाली इस राशि को कहीं निवेश की योजना भी बनाई है? नहीं, बस यहीं आपसे थोड़ी चूक हो गई। आइए हम आपको बताते हैं बोनस में मिली राशि का सही इस्‍तेमाल कैसे और कहां करें।

अपने लोन का करें भुगतान

बोनस या एक्स ग्रेशिया साल में एक ही बार मिलता है। अधिकांश लोग खासकर की युवा इसका इस्तेमाल मंहगे रेस्त्रां, एंटरमेंट या फिर किसी एडवेंचर ट्रिप में करते हैं। लेकिन एक अच्छा फाइनेंशियल प्लानर आपको दूसरी राय देगा। अगर आपके पास 25,000 रुपए से 30,000 रुपए का वन टाइम गेन है तो कोशिश करें कि अपने लोन का भुगतान करें। या फिर उसके अधिकांश भाग का भुगतान कर दें। जब आप अपने क्रेडिट कार्ड का पूरा या कुछ भाग का भुगतान करते हैं तो आप तुरंत बचत करते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपके पास 50,000 रुपए का क्रेडिट कार्ड लोन है और आपने उसे EMI में तब्दील करवा लिया है। बैंक आपसे 12 महीनों के 4,548 रुपए के EMI की मांग करेगा (कुल राशि 55,008 रुपए), 2,496 रुपए की EMI 24 महीनों के लिए कुल राशि 59,904 रुपए, 36 महीने के लिए 1808 रुपए की किस्‍त से कुल राशि 65,088 रुपए आपको देने होंगे। अगर आप शुरुआत की कुछ EMI का भी भुगतान करते हैं तो आप 5,000 रुपए से 15,000 रुपए तक की बचत करते हैं। इन सेविंग्स को आप कहीं और निवेश कर सकते हैं। पर्सनल लोन का भुगतान करने से भी आप पैसों की तुरंत बचत कर सकते हैं। कुछ बैंक पर्सनल लोन की प्री-पेमेंट के लिए ज्यादा फीस चार्ज करते हैं। लोन का जल्दी भुगतान करने पर पहले इसकी असल कीमत कैलकूलेट कर लें। टेन्‍योर या EMI की राशि में कटौती से भी पैसों की बचत होती है।

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निवेश के लिए चुनें सही विकल्‍प

अगर आपने सही योजना बनाई है तो ज्यादा पैसा निवेश करना गलत नहीं है। जरूरी यह बात है कि आप सही जगह निवेश कर रहें हैं। 50,000 रुपए की राशि या फिर 1 लाख की राशि भले ही छोटी लगे लेकिन अच्छा खासा असर डाल सकती है। अधिकांश बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि 10 वर्षों तक के लिए भी देते हैं। सबसे बड़ा बैंक एसबीआई 7 फीसदी तक का ब्याज देता है, वहीं दूसरी ओर देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर लैंडर आईसीआईसीआई बैंक 10 वर्षों के लिए 7.35 फीसदी तक का ब्याज देती है। हर एक बैंक का अलग रेट होता है। एफडी पर कमाया हुआ ब्याज कर योग्य होता है। अगर आप सजग होकर 100 फीसदी इक्विटी प्रोडक्ट्स में निवेश करते हैं, जहां इक्विटी पोर्शन 65 फीसदी है तो यह एक अच्छा विकल्प है। लंबे समय के लिए इक्विटी फंड्स में निवेश करने से 15 फीसदी से 20 फीसदी तक का सालाना रिटर्न मिलता है, जो कि मंहगाई के आकड़ें, एफडी और अन्य निवेश के इंस्ट्रूमेंट से ज्यादा रिटर्न देता है। यदि आपने बोनस की कुछ राशि भी जमा कर दी तो आपको भविष्‍य में अच्‍छा रिटर्न मिलेगा।

पर्याप्‍त हो जीवन बीमा कवर

उदाहरण के तौर पर 37 वर्षीय कार्तिक शादीशुदा है और एक बच्चे का पिता है। उसका मासिक खर्चा 73,000 रुपए है। उसका 35 लाख रुपए का होम लोन और 7.5 लाख का कार लोन बकाया है। अपने बेटे के लिए वह 20 लाख रुपए के एजुकेशन लोन का विचार कर रहा है। इसको देखते हुए जीवन बीमा कवर के लिए उसे 1.97 करोड़ रुपए चाहिए ताकि 60 साल की उम्र में अपने रिटायरमेंट के वक्त खर्चों में कटौती न करनी पड़े। अपने परिवार और बच्चे की पढ़ाई के लिए इसी राशि की जरूरत होगी अगर कार्तिक की एक साल में ही मृत्यु हो जाए। जब कार्तिक से पूछा गया तो उसने बताया कि उसके पास कुल 45 लाख रुपए का बीमा है, जिसके लिए वह वार्षिक प्रीमियम 14,000 रुपए टैक्स समेत देता है। यहां पर दिक्कत यह है कि यह इंश्योरेंस पॉलिसी उसने कई साल पहले अपनी शादी के वक्त खरीदी थी, जब उसकी इनकम बेहद कम थी। इस समय यह अपर्याप्त है। कार्तिक को 2 करोड़ के टर्म इंश्योरेंस के लिए 25,000 रुपए से लेकर 30,000 रुपए तक का प्रीमियम देना होगा। बोनस के पैसे से आप सालाना प्रीमियम का भुगतान आसानी से कर सकते हैं।

बनाएं एक इमरजेंसी फंड

इमरजेंसी फंड तैयार रखना चाहिए। पैसे की असल जरूरत का एहसास मुश्किल के समय में ही होता है। किसी भी समय कुछ भी हो सकता है जैसे कि दुर्घटना, नौकरी का छूटना या फिर मासिक आय में गिरावट आना। ऐसे में इमरजेंसी फंड बेहद जरूरी व महत्वपूर्ण होता है। इमरजेंसी फंड एक तरह का सेविंग एकाउंट होता है, जहां आप एक निश्चित समय पर पैसे डालते रहते हैं। एक सामान्य व्यक्ति को 6 से 12 महीने की EMI सहित अन्‍य खर्चों का एक इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए। सोने की जगह हार्ड कैश यानि कि नकदी इमरजेंसी फंड के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है। साल में मिलने वाले बोनस से भी आप इमरजेंसी फंड में कुछ पैसा जमा कर सकते हैं।

टैक्स बचाने में करें इस्‍तेमाल

बोनस के तौर पर मिली राशि को आप टैक्‍स छूट पाने के लिए भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। अगर आपकी टैक्स प्लानिंग सही और टाइमली है तो आप एक अच्छी रकम बचा सकते हैं। बचत की हुई राशि को आप अन्य जगह निवेश कर सकते हैं। सेक्शन 80सी, 80सीसीसी और 80सीसीडी के तहत आप अपनी सकल टोटल इनकम पर 1.5 लाख रुपए तक का डिडक्शन पा सकते हैं। आपको कैलकूलेट कर लेना चाहिए कि क्या आपने इस फाइनेंशियल ईयर के लिए पूरी लिमिट का इस्तेमाल किया है या नहीं। अगर नहीं तो बोनस फंड्स का इस्तेमाल कर इस लिमिट को पूरा कर दें। एक लमसम राशि को पीपीएक खाते में डाल दें, इससे आपको कंपाउंट इंटरेस्ट मिलता है साथ ही टैक्स इन्‍सेंटिव्स भी मिलते हैं। राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम के तहत उन लोगों को राहत मिलती है, जिनकी सकुल कुल आय सालाना 12 लाख रुपए से कम है। मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी टैक्‍स छूट मिलती है। आप इन उपायों को अपना सकते हैं।

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