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निवेश की बड़े जोखिम से सुरक्षा करने के लिए पोर्टफोलियो को करें डायवर्सिफाइड 

For better investment diversify your portfolio.

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: June 06, 2016 7:23 IST
नई दिल्ली। निवेश के मामले में पुराना फंडा है ‘नो रिस्क, नो गेन’। यानी बाजार में मौजूद जिन विकल्पों में जितने ज्यादा ऊंचे रिटर्न की संभावनाएं रहती हैं उनमें जोखिम भी उतना ही अधिक रहता है। इसलिए ज्यादा रिटर्न के लालच में अपनी रकम कभी भी एक ही विकल्प में निवेश नहीं करनी चाहिए। आंकड़ों में अगर पिछले एक साल में किसी म्यूचुअल फंड ने 100 फीसदी का भी रिटर्न दिया है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आगे भी रिटर्न की यही रफ्तार रहेगी। यदि स्टाक मार्केट में बड़ी गिरावट आती है तो आपका रिटर्न नकारात्मक भी हो सकता है। ऐसे में अपने निवेश पोर्टफोलियो का संतुलन बनाने के लिए पूरा होमवर्क करें। इसको डायवर्सिफाइड बनाकर (एक से ज्यादा निवेश विकल्पों में निवेश) अपने निवेश को किसी बड़े जोखिम से बचाने की हरसंभव कोशिश करें।

क्या है जोखिम

शेयर बाजार में निवेश पर एक साल में 50 फीसद तक का रिटर्न मिलने की संभावना हो सकती है लेकिन इसमें 40 फीसद का नुकसान भी हो सकता है। बाजार का कोई भी विशेषज्ञ यह दावा नहीं कर सकता कि इस समय बाजार में पैसा लगाने पर आपको साल भर में कितना रिटर्न मिल जाएगा। ऐसे में निवेश के लिए अपना पूरा पैसा एक ही जगह लगाने में कोई समझदारी नहीं है। निवेश की जाने वाली रकम को हिस्सों में बांटकर इक्विटी फंड, डेट फंड, एफडी, कमोडिटी और शेयर बाजार में लगाया जाए तो औसत रिटर्न आकषर्क हो सकता है। पोर्टफोलियो के विविधीकरण से बाजार में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आपको कम नुकसान होने की आशंका रहती है। यदि शेयर बाजार में आपको एक साल में 10 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ गया तो डेट फंड और एफडी से मिलने वाले रिटर्न से आपके घाटे की भरपाई हो सकती है। यदि शेयर बाजार ने 25 फीसद तक का रिटर्न दे दिया तो आपके निवेश पर औसत रिटर्न 14-15 फीसद तक का हो सकता है।

कहां करें निवेश

किसी भी निवेशक के लिए सबसे बड़ी उलझन यही रहती है कि आखिर कहां और कितना निवेश किया जाए। पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि बीते वर्षों में शेयर बाजार ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है। अपनी शुरुआत से लेकर अब तक इस सूचकांक ने सालाना करीब 20 फीसद का औसत रिटर्न दिया है। लेकिन किसी वर्ष में कितना रिटर्न मिलेगा या नुकसान होगा, इस बात का दावा करना किसी के लिए आसान नहीं है। इसीलिए शेयर बाजार में निवेश तो करना चाहिए लेकिन निवेश की राशि अपने जोखिम की क्षमता के आधार पर तय करनी चाहिए। यदि आप सीधे शेयरों में निवेश करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं तो म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश का विकल्प चुन सकते हैं। जो व्यक्ति जितना जवान होता है उसके जोखिम सहने की क्षमता उतनी ही ज्यादा होती है। जाहिर है बुजुर्गो की उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोखिम उठाने की क्षमता भी कम होती जाती है इसलिए उन्हें एफडी, बांड, डाकघर की एमआईएस जैसे निवेश के सुरक्षित विकल्पों में ही निवेश करना चाहिए।

दूरगामी लक्ष्य बनाएं

आमतौर पर लोग अपनी भविष्य की जरूरतों और वित्तीय योजनाओं के बारे में सोचने के लिए समय नहीं दे पाते। उन्हें एजेंट ने जो समझा दिया, बस उसी योजना में रकम लगा दी। इसका दूरगामी परिणाम यह निकलता है कि रिटर्न के नाम पर कुछ खास नहीं मिलता। इसीलिए आप कोई भी निवेश करने से पहले अपना दीर्घकालीन लक्ष्य तय करें। अपने जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार ही योजना का चयन करें। यदि आप ऊंचे रिटर्न की इच्छा रखते हैं तो अपनी रकम शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में लगा सकते हैं। यदि कतई जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं तो एफडी या सरकारी बांड जैसे सुरक्षित विकल्पों में ही निवेश करें।

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