नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2015-16 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आपको फॉर्म 16 के अलावा अपने कैपिटल गेन (capital gains) और लॉस के बारे में भी विस्तृत जानकारी अपने पास जरूर रखनी चाहिए। लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि उनकी ओर से की गई कौन सी ट्रांजैक्शन कैपिटल एसेट ट्रांजैक्शन के तहत आती है और किस पर टैक्स लगता है।
भारतीय स्वयं व रिश्तेदारों के लिए गोल्ड खरीदते हैं। कुछ समय के बाद इसको वह नकदी या फिर नई ज्वैलरी खरीदने के लिए बेच देते हैं। ऐसा वह यह सोचकर करते हैं कि सोने की कीमत भविष्य में बढ़ती है। हालांकि बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि सोने की ज्वैलरी, सिक्के या बार आदि की ब्रिकी से होने वाले फायदे पर भी टैक्स देना होता है। ऐसा ही रियल एस्टेट में भी होता है।
ध्यान रखें कि किसी भी तरह से हासिल किए गए कैपिटल गेन को अपनी टैक्स रिटर्न की ट्रांजैक्शन में जरूर उल्लेख करें और अगर आप मुनाफा कमाते हैं तो उसपर टैक्स का भी भुगतान आपको करना होगा।
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सब एसेट्स पर एक जैसे टैक्स नहीं लगते है। यह एसेट की प्रकृति पर निर्भर करता है। जानिए कैसे कैलकूलेट करें कैपिटल गेन और अन्य एसेट के ट्रांसफर पर टैक्स की राशि।
क्या होते हैं कैपिटल गेन
प्रॉपर्टी, गोल्ड, शेयर्स और बांड्स की बिक्री से होने वाले लाभ को कैपिटल गेन कहा जाता है। होल्डिंग की अवधि के आधार पर यह गेन दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी)। ClearTax.com के संस्थापक और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अर्चित गुप्ता का कहना है कि कैपिटल गेन पर कैसे टैक्स लगता है यह दो बातों पर निर्भर करता है, पहला कैपिटल एसेट की प्रकृति और दूसरा एसेट की होल्डिंग की समय अवधि।
कैपिटल गेन की गणना एसेट की बिक्री से होने वाली राशि में से अधिग्रहण की कीमत को घटाने के बाद की जाती है। हर एसेट क्लास पर अलग तरह से टैक्स लगाया जाता है।
रियल एस्टेट
रियल एस्टेट की स्थिति में खरीदारी के तीन वर्ष के भीतर अचल संपत्ति जैसे कि जमीन, घर या अपार्टमेंट की बिक्री पर होने वाले गेन को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) कहते हैं। तीन वर्ष के बाद वह एलटीसीजी यानि कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में आ जाते हैं। सेस को जोड़ते हुए एलटीसीजी टैक्स रेट इंडेक्सेशन के साथ 20.6 फीसदी है। एसटीसीजी इंडीविजुअल व्यक्ति के स्लैब रेट के हिसाब से लगाया जाता है।
कैपिटल गेन को कैलकूलेट करने से पहले अधिग्रहण की लागत को जानना जरूरी होता है। किसी भी एसेट को ट्रांसफर करने पर होने वाला खर्चा अधिग्रहण की लागत में जोड़ दिया जाता है, जैसे कि स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, ब्रोकरेज चार्जेस, लीगल फीस और एडवर्टाइजेशन कॉस्ट।
इसके अलावा किसी रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर एलटीसीजी कैलकूलेट करते समय अधिग्रहण की लागत को निर्धारित किया जाता है। इसके लिए कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (सीआईआई) का इस्तेमाल किया जाता है।
फर्ज कीजिए अप्रैल 2013 में खरीदे गए 50 लाख रुपए के घर को आपने 70 लाख रुपए में बेच दिया है। इसपर कैपिटल गेन कैलकूलेट करने के लिए आपको महंगाई के लिए अधिग्रहण की लागत को एडजस्ट करना होगा। इसकी गणना करने के लिए पर्चेस प्राइस को मौजूदा वर्ष के सीआईआई नंबर से गुणा करें। गुणा करने के बाद आई संख्या को जिस वर्ष प्रॉपर्टी खरीदी थी, उस वर्ष के सीआईआई नंबर से भाग कर दें। इस फॉर्मूला से
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महंगाई-एडजस्ट की गई अधिग्रहण की लागत होगी: 50 लाख रुपएX 1125(वर्ष 2016-17 का सीआईआई)/939 (सीआईआई 2013-14)
इस कैल्कूलेशन के बाद 59,90,415 रुपए की संख्या आएगी। इसका मतलब हुआ कि 70 लाख रुपए की बिक्री पर आपको कैपिटल गेन 10.10 लाख रुपए है। इसपर एलटीसीजी टैक्स इस संख्या का 20.6 फीसदी होगा, जो कि 2.08 लाख रुपए आएगा।
अगर प्रॉपर्टी की खरीदारी अप्रैल 2014 में की गई होती और अब बेची जाती तो इसका होल्डिंग पिरियड तीन वर्ष से कम का होता। इसपर विक्रेता का कैपिटल गेन 20 लाख रुपए (70 लाख में 50 लाख घटाने पर) होता, जो कि अन्य इनकम में जोड़ दिया जाएगा और निर्धारित टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा।
शेयर्स और म्यूचुअल फंड्स
शेयर्स और म्यूचुअल फंड्स खरीदने के एक वर्ष के भीतर बेचने पर होने वाला गेन एसटीसीजी होता है। एक साल के बाद वह एलटीसीजी बन जाते हैं। एसटीसीजी की स्थिति में टैक्स 15.45 फीसदी होता है, जबकि एलटीसीजी टैक्स छूट के दायरे में आता है। मसलन, एक साल की होल्डिंग के बाद बेचने पर यह टैक्स फ्री हो जाते हैं। रियल एस्टेट की तरह शेयर्स और म्यूचुअल फंड्स में ट्रांजैक्शन के समय उत्पन्न हुए खर्चे को कैपिटल गेन की गणना के वक्त कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है।
गोल्ड और बांड्स
सोने की ज्वैलरी, सिक्के या बार को अगर खरीदने के तीन वर्ष से पहले बेच दिया गया तो वह शॉर्ट टर्म होल्डिंग के तहत आता है। तीन वर्ष के बाद बेचा तो लॉन्ग टर्म के तहत। गोल्ड की सेल पर एसटीसीजी स्लैब रेट के हिसाब से लगाया जाता है, जबकि एलटीसीजी इंडैक्सेशन के साथ 20.6 फीसदी पर।
इश्यूअर और फीचर्स के मुताबिक बांड के लिए अलग नियम होते हैं। अगर लिस्टेड कॉरपोरेट बांड को एक साल से पहले बेच दिया जाए तो वह शॉर्ट टर्म माना जाएगा और उसपर निर्धारिट टैक्स लगाया जाएगा। यदि एक साल के बाद बेचा जाए यह एलटीसीजी माना जाएगा और इसपर बिना इंडैक्सेशन के 10.3 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाएगा।
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