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उत्‍तर प्रदेश में RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नए सिरे से शुरू हुई प्रक्रिया

देश में 1 मई को RERA लागू हो गया, लेकिन उत्तर प्रदेश उन कुछ राज्यों में शामिल है जो नियामक प्राधिकरण का गठन करने में पीछे छूट गए हैं।

Manish Mishra
Published on: May 03, 2017 9:32 IST
उत्‍तर प्रदेश में RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नए सिरे से शुरू हुई प्रक्रिया- India TV Paisa
उत्‍तर प्रदेश में RERA नियामक पर सपा सरकार का फैसला रद्द, नए सिरे से शुरू हुई प्रक्रिया

लखनऊ। देश में 1 मई को रियल एस्टेट नियमन अधिनियम 2016 (RERA) लागू हो गया, लेकिन उत्तर प्रदेश उन कुछ राज्यों में शामिल है जो नियामक प्राधिकरण का गठन करने में पीछे छूट गए हैं। ऐसा राज्य में सत्ता में बदलाव की वजह से हुआ है। भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार रियल एस्टेट कानून (RERA) पर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के फैसलों की समीक्षा चाहती है।

अधिकारियों ने इस बात को माना कि राज्य 1 मई को कानून को लागू करने की डेडलाइन को मिस कर गया है। बीती समाजवादी पार्टी सरकार ने राज्य कानूनों के तहत नियामक प्राधिकरण के गठन के लिए अधिसूचना जारी की थी। नई सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है। उत्तर प्रदेश ने बीते नवंबर माह में RERA के तहत नियमों को अधिसूचित किया था।

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अतिरिक्त मुख्य सचिव (आवास एवं शहरी नियोजन) सदाकांत ने कहा कि अब यह प्रक्रिया अब नए सिरे से शुरू होगी। इससे पहले इस सिलसिले में हुई कार्रवाई रद्द हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नियामक प्राधिकरण के चेयरमैन और अन्य सदस्यों के पदों के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और उम्मीद है कि राज्य में जून के अंत तक RERA पर अमल हो जाएगा।

प्राधिकरण का चेयरमैन कोई सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ही हो सकता है जिसकी रैंक मुख्य सचिव के समकक्ष होगी। इसमें तीन सदस्य होंगे। यह सभी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी होंगे और प्रधान सचिव के समकक्ष होंगे। सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दस से अधिक सेवानिवृत्त अधिकारियों ने चेयरमैन के पद के लिए आवेदन किया था, जबकि लगभग पैंतीस ने सदस्य पद के लिए आवेदन किया था। आलोक रंजन को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता था। यह चर्चा थी कि चेयरमैन पद के लिए उनका नाम तय कर लिया गया है।

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चेयरमैन और सदस्यों के चयन के लिए बनी तीन सदस्यीय समिति के अध्यक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। माना जाता है कि उन्होंने कुछ नामों पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद चयन प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी। इसके बाद राज्य में चुनाव के मद्देनजर पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उम्मीद की जा रही है कि नियामक प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया की अधिसूचना इसी हफ्ते फिर से जारी हो जाएगी। इसके बाद इसके दावेदारों के नामों को छांटा जाएगा।

RERA के तहत बिल्डरों और आवास उपलब्ध कराने वाली आवास विकास जैसी संस्थाओं पर लगाम लगाने और समय पर घर नहीं मिलने के कारण दर-दर भटकने वाले खरीदारों के हित में कई प्रावधान किए गए हैं।

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