- कैरियर की शुरुआत करने वालों को निवेश की आदत डालने के लिए डेट फंट फायदेमंद हैं।
- डेट फंड में निवेश किए गए धन को जरूरत पड़ने पर आप जब चाहें विड्रॉल कर सकते हैं।
- सेविंग अकाउंट के मुकाबले डबल ग्रोथ हासिल कर सकते हैं।
जानिए डेट फंड बेहतर निवेश विकल्प क्यों हैं-
1. निवेश में अनुशासन लाने में मददगार
कार्तिक को अपनी पहली नौकरी मिल गई। लेकिन उसकी सैलरी सीमित थी। अपने आस पास के लोगों को देखकर वह भी आईफोन 6 और नई बाइक खरीदना चाहता था। अपनी सीमित सेविंग्स को देखते हुए जरूरी नहीं है कि वह नियमित रूप से निवेश कर पाए। इस मामले में डेटफंड काफी मददगार होते हैं। अपने निवेश को सही राह देने के लिए और साथ ही अपनी इनकम, खर्चे और बचत के बारे में समझने के लिए डेट फंड में निवेश एक समझदारी भरा कदम होगा। यहां आप सिस्टेमेटिक प्लान के तहत नियमित निवेश कर सकते हैं साथ ही अपनी बचत के अनुसार अलग अलग राशि निवेश कर सकते हैं।
2. आसान लिक्विडिटी-
डेट फंड की सबसे बड़ी खासियत इसकी लिक्विडिटी होती है। डेट म्युचुअल फंड्स में निवेश करने से आप कभी भी जरूरत पड़ने पर पैसे निकाल सकते है। यह ऐसा निवेश विकल्प है जहां पर निवेशक अपने मन मुताबिक पैसे निकाल सकता है। कार्तिक अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बचत कर सकता है, अपनी शादी की योजना बना सकता है या फिर किसी और बड़े काम के लिए बचत तक सकता है।
3. ग्रोथ
सेविंग एकाउंट भी लिक्विडिटी उपलब्ध कराता है, लेकिन ब्याज दर बेहद कम होती है। तकरीबन 4 फीसदी प्रति साल। वहीं दूसरी ओर डेट म्युचुअल लिक्विडिटी के साथ साथ 8 फीसदी का लो रिक्स रिटर्न भी देता है। आप को बता दें कि अगर इसे 3 साल से ज्यादा रखा जाए तो यह टैक्स बचाने में काम आता है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि तीन वर्षों में यह न सिर्फ सैलरी बढ़ती है बल्कि यह टैक्स लाएबिलिटी भी बढ़ाता है।
4. इमरजेंसी फंड
भविष्य अनिश्चित होता है। ऐसे में एक इमरजेंसी फंड होना बेहद जरूरी है। इस फंड के निर्माण से जरूरत पड़ने पर आपको अपनी सेविंग्स तोड़नी नहीं पड़ती। छोटी उम्र में लोग बचत के बजाय खर्चने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसे में इमरजेंसी फंड बनाना थोड़ा मुस्किल साबित होता है। कार्तिक जैसी उम्र के लोग हमेशा सुरक्षित विकल्पों में निवेश करने की सोचते हैं ऐसे में डेट फंड मददगार साबित हो सकते हैं।
यह भी पढ़ें- अकाउंट में बैलेंस जीरो होने पर नहीं लगेगा पेनल्टी, आरबीआई ने बैंकों को दिए निर्देश
यह भी पढ़ें- अक्षय ऊर्जा में निवेश आकर्षित करने में तीसरे स्थान पर भारत