नई दिल्ली। पारंपरिक निवेश विकल्पों जैसे इक्विटी, बांड्स और रियल एस्टेट में निवेश के बाद भी यदि आपके बैंक एकाउंट में कुछ पैसा बच गया है तो आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ आकर्षक विकल्प जोड़ने पर विचार कर सकते हैं। इसके लिए आप एक रेस का घोड़ा या फिर कुछ कलाकृतियां भी खरीद सकते हैं। यदि आप इस बात में विश्वास करते हैं कि पैसा ही पैसे को खींचता है तो आप कुछ मुगल काल की मोहर (सिक्के) या कुछ हीरे भी खरीद सकते हैं। इनमें से बहुत से विकल्प आपको आपके रूढ़ीवादी इन्वेस्टमेंट की तुलना में कहीं ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन इनमें तरलता और नकली होने का जोखिम बहुत ज्यादा है।
आरबीएस प्राइवेट बैंकिंग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रतीक पंत कहते हैं कि यह इन्वेस्टमेंट टूल अल्ट्रा-एचएनआई के लिए हैं। वे ऐसे इन्वेस्टमेंट के लिए भावुक होते हैं और वे यह जानते हैं कि असली और नकली में कैसे भेद करना है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे आयटम को खरीदने वाला व्यक्ति हमेशा इस बात के लिए सजग होता है कि बाजार में उसका खरीदार कौन है।
कलाकृतियों से करें प्यार
कलाकृतियां बहुत लंबे समय से मोहक वैकल्पिक असेट क्लास बना हुआ है। कलाकृतियों को निवेश के रूप में देखने का चलन 2007 में ओसिआन आर्ट फंड जैसे फंड के लॉन्च के साथ ही शुरू हुआ। इस तरह के बांड से लोगों रुचि बहुत जल्द ही खत्म हो गई, क्योंकि इस तरह के अधिकांश फंड अपने इन्वेस्टमेंट से बाहर निकलने में विफल रहे। आर्ट मार्केट में दोबारा लोगों की रुचि 2014 के अंतिम दौर में एक बार फिर बढ़ी। 2015 की दूसरी छमाही में भारतीय कलाकृतियां रिकॉर्ड कीमत पर बिकना शुरू हुईं। क्रिस्टी की हालिया नीलामी में गायतोंडे द्वारा बनाई गई एक ऑयल पेंटिंग 29 करोड़ रुपए में बिकी है। एक आर्ट कलेक्टर्स के मुताबिक अच्छी गुणवत्ता वाली कलाकृति की कीमत हर साल 10-12 फीसदी बढ़ती है, जो इसे अमीर निवेशकों के लिए एक अच्छा निवेश विकल्प बनाता है।
हीरा है सदा के लिए
धनी निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में कीमतों में सुधार आने के बाद हीरे खरीदना शुरू कर दिया है। डिवाइन सोलिटेयर्स प्राइस इंडेक्स पर जनवरी 2015 में हीरे की कीमत 3.78 लाख रुपए प्रति कैरट थी, जो अक्टूबर अंत में घटकर 3.61 लाख रुपए प्रति कैरट आ गई थी। वर्तमान में इसकी कीमत दोबारा 3.73 लाख रुपए प्रति कैरट पर पहुंच गई है। डिवाइन सोलिटेयर्स के एमडी जिग्नेश शाह का मानना है कि 2016 में हीरे की कीमत और चढ़ेंगी, इसके पीछे मुख्य वजह कम आपूर्ति है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि इस साल हम इसमें कोई असाधारण मूल्य वृद्धि नहीं देख रहे हैं।
सिक्कों से बनेगा पैसा
अच्छे रिटर्न के लिए एक अन्य विकल्प है पुराने सिक्के। पुराने सिक्कों को कलेक्ट करने की रुचि अब एक इन्वेस्टमेंट विकल्प बन चुका है। एक ब्रिटिश काल की भारतीय मोहर की कीमत 2004 में प्रति 25,000 रुपए थी, वर्तमान में इसे 2 लाख रुपए में बेचा गया है। एक विलियम गोल्ड मोहर, जिसकी कीमत 2004 में 2.5 लाख रुपए थी, उसे अब 15 लाख रुपए में बेचा जा सकता है। ओसवाल एंटीक्यू के गिरीश वीरा बताते हैं कि सभी कलेक्टर्स के पुराने ऐतिहासिक महत्व वाले सिक्कों की मांग बहुत ज्यादा है। कई लोग नकली सिक्के भी खरीद लेते हैं। उन्हें हमेशा सही लोगों से इसे खरीदना चाहिए।
लंबी रेस का घोड़ा
हालांकि अच्छी नस्ल के घोड़े में निवेश अभी भी भारत में लोकप्रिय नहीं है। मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई के कुछ एचएनआई ने कंसोर्टियम के जरिये इसमें निवेश करना शुरू किया है। वह उच्च गुणवत्ता वाले व अच्छी नस्लों के घोड़ों को खरीदने के लिए बोली लगाते हैं। यह बोली घोड़े की किसी रेस में जीतने की संभावना और भविष्य में खून की बिक्री पर आधारित होती है। अच्छी नस्ल के घोड़े की कीमत 40-60 लाख रुपए के बीच होती है। मालिक को हर महीने इसकी परवरिश पर 30,000 रुपए मासिक खर्चा करना पड़ता है। रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब के विवेक जैन बताते हैं कि अभी यह क्षेत्र पूरी तरह से निवेश का विकल्प नहीं बन पाया है। वे बताते हैं कि हम और अधिक एचएनआई को घोड़े खरीदने के लिए कंसोर्टियम में शामिल होने के लिए बात कर रहे हैं। लोगों को यहां नुकसान भी उठाना पड़ सकता है यदि वे घोड़ों की खरीद शुद्ध रूप से निवेश के लिए करते हैं, इसके पीछे कारण यह है कि यहां किसी भी घोड़े की कोई कीमत तय नहीं होती है।