नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा की गई नोटबंदी घोषणा के बाद जहां प्रॉपर्टी की कीमतों में जोरदार गिरावट आने की बात कही जा रही है, वहीं इसके विपरीत रियल एस्टेट कारोबारियों के संगठन क्रेडाई (CREDAI) का कहना है कि हाउसिंग कीमतों में 20 से 30 फीसदी तक इजाफा हो सकता है।
क्रेडाई के मुताबिक अगले एक साल के अंदर नए रेग्युलेटरी बिल और ऊंची लागत के चलते बिल्डर्स नए प्रॉजेक्ट की लॉन्चिंग कम कर देंगे। नए लॉन्च पूरी तरह से बंद हो जाएंगे क्योंकि बिल्डर देखो और इंतजार करो की नीति अपनाने के मूड में हैं, जबकि ग्राहक इस बात के इंतजार में रहेंगे कि घरों की कीमतों में और गिरावट आएगी।
- इसके अलावा नए लॉन्च होने वाले प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी मिलने में भी वक्त लगेगा।
- बिल्डर्स को रियल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट के मुताबिक काम करना होगा, ऐसे में समस्या और जटिल हो जाएगी।
क्रेडाई के चेयरमैन इरफान रज्जाक ने कहा कि,
घरों की कीमतों में 20 से 30 फीसदी तक की कमी आने की बात बहुत दूर की बात है। खासतौर पर बेंगलुरु के बिल्डर 8 से 10 फीसदी के मार्जिन पर काम कर रहे हैं। इसमें अब और गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती।
- बीते कुछ सालों से रियल एस्टेट मंदी के दौर से गुजर रहा है, महंगाई की रफ्तार के साथ इसकी कीमतें नहीं बढ़ी हैं।
- ‘प्रॉपर्टी सेक्टर में अब कीमतें बढ़ेंगी न कि घटेंगी।
- इसकी वजह यह है कि नए प्रॉजेक्ट्स की लॉन्चिंग सीमित होगी और मांग बनी रहेगी।
- पिछले कुछ सालों में बिक्री कम होने, लागत बढ़ने, कर्ज महंगा होने और अन्य तमाम कारणों से बिल्डर्स ने प्रॉजेक्ट की लॉन्चिंग में कमी कर दी है।
- इन सभी कारणों से इस सेक्टर को बड़ा झटका लगा है, जो देश की जीडीपी में 7 पर्सेंट तक की हिस्सेदारी रखता है।
- कृषि के बाद प्रॉपर्टी सेक्टर रोजगार देने के मामले में दूसरे स्थान पर है।
- सोभा के एमडी जेसी शर्मा ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती से सभी के लिए घर खरीदना किफायती बनेगा।
- अगले चाल सालों में 42 लाख घरों की जरूरत होगी, कम आपूर्ति के साथ कीमतें केवल बढ़ेंगी।