कोलकाता। प्राइवेट रियल एस्टेट डेवलेपर्स की संस्था क्रेडाई ने कहा है कि सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में रियल एस्टेट डेवलेपर्स और ग्राहक दोनों के लिए टैक्स रेट को न्यूट्रल रखा जाएगा। इससे प्रॉपर्टी की कीमतों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा और सेक्टर को राहत भी मिलेगी।
दि कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गीतांबर आनंद ने कहा कि,
सरकार ने हमें (क्रेडाई) आश्वासन दिया है कि जीएसटी रेट को राजस्व निरपेक्ष रखा जाएगा। वे एक मॉडल लागू कर रहे हैं, जो डेवलेपर्स के साथ ही ग्राहकों के लिए राजस्व निरपेक्ष होगा।
- आनंद ने कहा कि डेवलेपर्स को उम्मीद है कि जीएसटी के तहत भी उन्हें उतना ही टैक्स अदा करना होगा, जितना वे वर्तमान में वैट और उत्पाद शुल्क के तहत भुगतान करते हैं।
- उन्होंने मांग की है कि साथ ही ग्राहकों को राज्य सेवा कर से छूट दी जानी चाहिए।
- उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जीएसटी में रियल एस्टेट को सेवा क्षेत्र माना गया है, जबकि स्टैंप अधिनियम में इसे स्थायी संपत्ति माना जाता है।
- इस तरह से रियल एस्टेट क्षेत्र को दोनों तरफ से नुकसान होता है।
- उन्होंने कहा, ग्राहकों के नजरिए से हम गुजारिश कर रहे हैं कि केंद्र जीएसटी के अंतर्गत ही स्टैंप शुल्क को समाहित कर दे या फिर जीएसटी न लगाए।
- स्टैंप शुल्क लगाया जा सकता है। आनंद ने कहा कि केंद्र ने कहा है कि स्टैंप ड्यूटी लगाना राज्यों का अधिकार है और केंद्र सरकार इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
- निजी रियल एस्टेट डेवलेपर्स की शीर्ष संस्था ने देश में स्टैंप शुल्क को एक जैसा बनाने की सिफारिश की है।