नई दिल्ली। हर साल आखिरी वक्त पर अधिकांश लोग इनकम टैक्स छूट पाने के लिए निवेश के बारे में सोचते हैं और हर वर्ष इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश करते हैं, न कि योजना बनाकर निवेश करते हैं, जो कि हर उद्देश्य को मात देने वाला कदम होता है। यदि हम थोड़ा सा समय देकर शायद इसी पैसे से अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। यदि हम केवल इनकम टैक्स छूट को ध्यान में रखकर निवेश की योजना बनाएंगे तो हर साल ऐसी गलती की संभावना होगी। इसके उलट अगर हम निवेश की एक सही रणनीति बनाएं तो इनकम टैक्स छूट हासिल करने के साथ-साथ हम अपने सपनों को भी साकार कर सकते हैं। इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको निवेश की सही रणनीति क्या हो इसके बारे में आत यहां बताने जा रही है।
इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए निवेश की योजना बनाते वक्त बहुत सी चीजों की ध्यान रखना पड़ता है, जैसे कि उम्र, वित्तीय लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि। इसलिए हम सभी को इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए निवेश की योजना और उस पर अमल वर्ष के शुरू में ही कर देना चाहिए।
अंतिम समय के निवेश से बचें
इसका सबसे मुख्य कारण है कि हम लापरवाही से सोचते हैं कि अभी तो निवेश के लिए बहुत समय है फिर कर देंगे, और बाद में होता यह है कि या तो इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए निवेश को करना ही भूल जाते हैं या फिर किसी भी गलत जगह केवल छूट पाने के उद्देश्य से निवेश कर देते हैं।
ज्यादा बीमा पॉलिसी खरीदने से बचें
इनकम टैक्स छूट पाने के लिए धारा 80 सी के अंतर्गत निवेश करना मतलब कि यूलिप खरीदकर सिरदर्द से छुटकारा पा लेना। अधिकांश लोग हर साल यही करते हैं और इस प्रकार उनके पास 4-5 यूलिप हो जाते हैं, जो कि अलग-अलग योजनओं में होती हैं और उनके नियम व शर्तें भी भिन्न होते हैं। ज्यादा बीमा पॉलिसी होने के कारण हर साल उनकी किस्त भरने की तारीख भूल जाने का खतरा रहता है। इससे बीमा होने का मतलब भी खत्म हो जाता है। केवल एक टर्म बीमा, जो कि हमारी वार्षिक आमदनी का 12-15 गुना हो, वह लेना चाहिए जो सस्ता भी होगा और बीमा का मतलब भी पूर्ण करेगा।
लंबे समय के लिए करें निवेश
अधिकांश लोग जैसे ही निवेश करते हैं वैसे ही उम्मीद करने लगते हैं कि निवेश को पंख लग जाएं और वो दोगुना या चारगुना हो जाए। अगर भविष्य में भी आप अपने रहन-सहन को वैसा ही बनाए रखना चाहते हैं जैसा कि अभी है तो इसके लिए बेहतर रिटर्न के लिए आपको कुछ हिस्सा शेयर बाजार में जरूर निवेश करना चाहिए। केवल टैक्स लाभ के लिए पारंपरिक उत्पादों में किए गए निवेश से आपको पर्याप्ट रिटर्न नहीं मिलेगा।
अपनी सैलरी का पुर्नगठन कीजिए
अगर आप सैलरी लेने वाले कर्मचारी हैं तो आप देखें कि आपको मिलने वाले सभी भत्तों का उपयोग हुआ है या नहीं। इनके समुचित उपयोग से आपकी टैक्स योग्य आय कम हो सकती है। ये भत्ते होते हैं मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता, स्वास्थ्य भत्ता, फूड कूपंस, पत्र-पत्रिकाओं के लिए भत्ता, फोन बिल, वर्दी के लिए भत्ता, वाहन के लिए ईंधन और ठीक करवाने का भत्ता। आप निश्चित कर लें कि सारे बिल समय पर अदा कर दिए जाएं और इनकम टैक्स में जाने वाली राशि को बचा सकें।
टैक्स संबंधी निवेश का समय पर दें ब्यौरा
हर महीने हमारा नियोक्ता थोड़ा बहुत टीडीएस काट कर सरकार को जमा करवा देता है, जो कि वर्ष भर के आकलन के आधार पर तय होता है। अगर हम टैक्स संबंधी निवेशों का सही समय पर ब्यौरा नहीं देते हैं तो यह भी हो सकता है कि हमारे नियोक्ता ज्यादा इनकम टैक्स काटकर सरकार के पास जमा करवा दे। ऐसा होने पर आपको इनकम टैक्स से रिफंड लेना पड़ता है, जिससे वेवजह कई महीनों तक आपका पैसा फंस जाता है।