नई दिल्ली। हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत होती है। यदि आपकी जरूरतें अपनी कमाई से पूरी हो रही हैं, तो इससे बेहतर कुछ और हो नहीं सकता। लेकिन सभी के लिए एेसा होना संभव नहीं। इसके लिए हम लोन लेते हैं। ये कर्ज हम क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लेते हैं या फिर पर्सनल लोन के रूप में। लेकिन कर्ज लेने वाला इस बात को बहुत अच्छे से जानता है कि बिल का भुगतान न करने का क्या अंजाम होता है। कई बार बैंक नोटिस देकर या फिर रिकवरी एजेंट के माध्यम से कर्ज वसूलने की कोशिश करते हैं। कई बार लोग समय व्यतीत होने के बाद दोबारा लोन के लिए एप्लाई करते वक्त सोचते हैं कि बैंक को क्या याद होगा किसे कर्ज दिया है। लेकिन हम आपको बता दें कि आप इसको भूल सकते हैं, मगर आपका बैंक कभी नहीं भूलता। ऐसे में आपकी ओर से किया गया आवेदन रिजेक्ट भी हो सकता है। अधिकांश लोग इस बात से अंजान होते हैं कि क्रेडिट स्कोर का 30 से 35 फीसदी रिपेमेंट के आचरण पर आधारित होता है।
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लोन दो तरह के होते हैं- सिक्योर्ड (सुरक्षित) और अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड लोन की स्थिति में जैसे अगर आपके होम लोन लिया है तो उसके एवज में आपको अपना घर गिरवी रखना पड़ता है। अनसिक्योर्ड जैसे कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड में कुछ भी गिरवी नहीं रखना पड़ता।
कुछ लोग बिना अपनी भुगतान क्षमता को आंके लोन ले लेते हैं। जिसके कारण उन्हें बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के सामने अपनी विश्वसनीयता कोनी पड़ जाती है, जिसका असर उनके बच्चों पर भी पड़ता है।
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जानिए खराब रिपेमेंट हिस्ट्री किस तरह आपको प्रभावित करती है-
क्रेडिट कार्ड- अगर आपने कार्ड से कोई महंगी चीज खरीद रहे हैं तो सुनिश्चित कर लें कि बिलिंग साइकल के अंत में उसके चुका दें। ऐसा न करने पर बैंक आपकी बिल साइकल में शेष राशि पर ऊंची ब्याज दरें वसूलता है।
आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड का कर्ज सबसे महंगा पड़ता है। कोशिश करें कि हमेशा पूरा भुगतान करें, न कि पार्ट्स में।
उदाहरण से समझें-
अगर आपके एक महीने के क्रेडिट कार्ड का बिल 20,000 रुपए और आपने अंतिम तारीख तक केवल 10,000 रुपए देए हैं। बैंक देय राशि जो कि 10,000 रुपए है उसपर महीने का 3.25 फीसदी की ब्याज दर आप पर थोप देता है। मसलन, 39 फीसदी सालाना।
जानिए किस तरह ब्याज कैल्कूलेट किया जाएगा।
10,000 रुपए (देय राशि) x 3.25%x (12 महीने)/365 दिन
इस कैल्कूलेशन में 534.25 रुपए महीना ब्याज के रूप में लिया जाएगा।
इसलिए अपनी भुगतान करने की क्षमता और कैश फ्लो आंकने के बाद ही लोन लें।
सिक्योर्ड लोन– सिक्योर्ड लोन जैसे कि होम या ऑटो लोन की ब्याज दर क्रेडिट कार्ड व पर्सनल लोन की तुलना में कम होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कर्जदाता के पास अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए आपकी ओर से रखी गई गिरवी चीज जब्त करने का अधिकार होता है।
क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव-
समय पर क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान न करने पर क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है। क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (सीआईआर) में लोन और क्रेडिट कार्ड के पेमेंट की हिस्ट्री होती है, जिसे क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी से इकट्ठा किया जाता है। लोन देने के समय 900 में से 750 क्रेडिट स्कोर वाला व्यक्ति सबसे अच्छा माना जाता है। आपको बता दें कि एक बार नकरात्मक स्कोर होने पर कम से कम 9 से 12 महीने उसे सुधारने में लग जाते हैं।
आपके वारिस कर्ज में डूब सकते हैं-
कर्ज और लोन का निपटारा न करने पर आपके वारिस को कर्ज का बोझ उठाना पड़ता है। अपनी वसीयत बनाते समय कर्ज और लोन चुकता कर लेना चाहिए। आमतौर पर लोन चुकता न करने का भार गारंटर या को-बोरोअर पर होता है।
इनमें से कुछ भी नहीं है और कानून इसका फैसला नहीं ले पाती है तो आम तौर पर आपके वारिस वसीयत में मिले हिस्से के हिसाब से इस कर्जे की भरपाई करेंगे।
किन बातों का रखें ध्यान-
- लोन सभी लें जब आप उसे चुकाने की क्षमता रखते हों। साथ लोन लेने के बाद कोशिश करें कि उसका समयानुसार भुगतान हो।
- ड्यू डेट के नजदीक आने पर सुनिश्चित करें कि आपके एकाउंट में भुगतान करने के लिए पर्याप्त राशि हो।
- एक बारी में कोशिश करें कि तीन से ज्यादा ईएमआई भरने से न चूंके। ऐसा करने पर लंबे समय तक आपके क्रेडिट कार्ड पर असर रहता है।