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Mind it: कर रहे हैं लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन, पहले जांच लें अपना ट्रांसयूनियन स्‍कोर

आज के दौर में किसी को भी लोन या क्रेडिट कार्ड बगैर सिबिल स्कोर और सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर जांचे बिना नहीं दिया जाता है।

Dharmender Chaudhary
Updated on: December 27, 2015 7:54 IST
Mind it: कर रहे हैं लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन, पहले जांच लें अपना ट्रांसयूनियन स्‍कोर- India TV Paisa
Mind it: कर रहे हैं लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन, पहले जांच लें अपना ट्रांसयूनियन स्‍कोर

आज के दौर में किसी को भी लोन या क्रेडिट कार्ड बगैर सिबिल स्कोर और सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर जांचे बिना नहीं दिया जाता है। क्या आपने कभी यह सोचा है कि किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर कैसे कैलकूलेट किया जाता है? आज इंडिया टीवी पैसा आपको बताएगी ट्रांसयूनियन स्कोर और इसके कैलकूलेशन का पूरा गणित। सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर

सिबिल किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर एडवांस्ड एनालिटिक्स और क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर कैलकूलेट किया जाता है। स्कोर 300 से 900 के बीच में होता है। इसके आधार पर व्‍यक्ति की फाइनेंशियल हेल्थ का आकलन किया जाता है। किन शर्तों पर लोन दिया जाए ये इस स्कोर पर निर्भर होता है। बैंक से लोन पाने के लिए अच्छा क्रेडिट स्कोर जरूरी होता है। एक डिफॉल्ट करने पर भी क्रेडिट स्कोर कमजोर हो सकता है। 79 फीसदी व्‍यक्तिगत लोन 750 से ज्‍यादा के स्‍कोर पर ही अप्रूव किए जाते हैं। ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर बैंक उन्हीं ग्राहकों को लोन देते हैं, जिनका सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर 750 या उससे ऊपर होता है।

कैसे कैलकूलेट होता है स्‍कोर

ये स्कोर लोन भुगतान पर आधारित होता है। आपकी सिबिल रिपोर्ट में एकाउंट्स और इंक्वायरी सेक्शन में दी गई जानकारी के आधार पर आपका ट्रांसयूनियन स्कोर कैलकूलेट किया जाता है। इसमें कई कारक होते हैं, जैसे :

क्रेडिट यूटिलाइजेशन– ग्राहक ने तय क्रेडिट सीमा से कितने क्रेडिट का इस्तेमाल किया है।

डिफॉल्टिंग- पिछला कितना एमाउंट ड्यू है और कितने दिनों से।

ट्रेड एट्रिब्यूट्स– ग्राहक के क्रेडिट लाइन कितनी पुरानी है, किस प्रकार का क्रेडिट है, क्या ग्राहक के पास अच्छा खासा क्रेडिट है या फिर सारे क्रेडिट कार्ड्स हैं।

ट्रांसयूनियन स्‍कोर तय करने वाले कारक

क्रेडिट एक्सपोजर– इसमें आपके द्वारा पहले लिए गए लोन या क्रेडिट कार्ड पर पहले का प्रदर्शन यानि कि पास्ट परफॉर्मेंस को देखा जाता है। ये लिए गए कर्ज के आधार पर होता है और कुल स्‍कोर में इसकी हिस्‍सेदारी 25 फीसदी होती है।

पहले का प्रदर्शन– इसमें क्रेडिट का प्रकार और समय सीमा देखी जाती है। इसमें यह भी देखा जाता है कि लिए गए लोन का प्रकार क्‍या है, क्‍या वह सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड है। क्रेडिट हिस्ट्री की समय सीमा भी मायने रखती है। कुल स्‍कोर में इसकी हिस्‍सेदारी 30 फीसदी है।

समय सीमा– इसमें क्रेडिट की समय-सीमा देखी जाती है, इसमें देखा जाता है कि लोन कितने समय के लिए लिया गया और उसे चुकाने में कितना समय लगा। ट्रांसयुनियन स्‍कोर में इसकी भागीदारी 25 फीसदी की है।

अन्‍य कारक– ट्रांसयूनियन स्‍कोर में इसके अलावा अन्‍य कारकों पर भी ध्‍यान दिया जाता है। कुल स्‍कोर में इनकी हिस्‍सेदारी 20 फीसदी है।

आपकी सिबिल रिपोर्ट और सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर ही केवल आपको लोन के योग्य नहीं बनाते बल्कि अन्य नियम और शर्तें भी इसको प्रभावित करते हैं। क्रेडिट स्‍कोर जितना अधिक होता है, उसे उतना ही अच्‍छा माना जाता है। अगर आपका स्‍कोर खराब होता है, तो आपको लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने में परेशानी आ सकती है। इसलिए लोन लेने से पहले सिबिल रिपोर्ट और सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर को जरूर जांच लें। अच्छे क्रेडिट हिस्ट्री व हेल्दी क्रेडिट स्कोर के लिए समय पर ईएमआई का भुगतान करना सुनिश्चि करें।

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