नई दिल्ली। बच्चों का भविष्य एक कोरे कागज की तरह होता है। यह हर माता-पिता पर है कि वह अपने बच्चों का भविष्य किस तरह संवारता है। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इस समय मार्केट में कई इन्वेस्टमेंट टूल मौजूद हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में आमतौर पर अधिकांश पैरेंट्स सिर्फ लाइफ इन्श्योरेंस स्कीम्स में ही निवेश करते हैं। जबकि कई इन्वेस्टमेंट टूल्स, इन्श्योरेंस स्कीम्स से बेहतर रिटर्न देते हैं। आपके लिए जरूरी है कि इंश्योरेंस के साथ ही पीपीएफ, म्यूचुअल फंड, यूनिट लिंक्ड प्लान, गवर्नमेंट बॉण्ड, एनएससी जैसे विकल्पों में भी निवेश करें। ऐसे में बाल दिवस के मौके पर इंडिया टीवी पैसा बता रहा है कि कुछ इन्वेस्टमेंट टूल्स और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के बारें में, जिससे आपके बच्चे का भविष्य सिर्फ सुरक्षित ही नहीं बल्कि बेहतर भी होगा।
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इंश्योरेंस कंपनियों के चिल्ड्रन प्लान्स
सभी सरकारी एवं निजी बीमा कंपनियां बच्चों के लिए खास चिल्ड्रेन्स प्लान पेश करते हैं। ये प्लान्स पैरेंट्स को इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ इन्श्योरेंस भी ऑफर करते हैं। ऐसी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य बीमाधारक की असमय मृत्यु के बाद बच्चों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। मतलब साफ है कि पैरेंट्स के नहीं रहने पर भी बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं हो। ये प्लान अधिकतर 15 से 21 साल की अवधि के होते हैं। इसमें बच्चों के एडल्ट होने पर मैच्योरिटी के बाद बच्चों के हित में खर्च किया जाता है या उनके सुपुर्द कर दिया जाता है। ध्यान रखने लायक बात यह है कि इन योजनाओं में इन्श्योंरेस सिर्फ माता या पिता का होता है, न कि बच्चों का। इस पॉलिसी में बच्चे नॉमिनी होते हैं। मार्केट में एलआईसी के न्यू चिल्ड्रन प्लान चाइल्ड कैरियर प्लान के अलावा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की स्मार्ट किड, एसबीआई के यंग स्टार प्लान, एसबीआई के स्मार्ट चैंप जैसे कई प्लान मार्केट में मौजूद हैं।
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लड़कियों के लिए सुकन्या योजना
बेटियों की उच्च शिक्षा और शादी पर होने वाले खर्च और उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए इसी साल सरकार ने सुकन्या योजना पेश की है। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए यह योजना भी काफी बेहतर है। कोई भी माता-पिता अपनी 10 साल तक की बेटी का यह खाता खुलवा सकता है। इस योजना में निवेश करने पर सरकार 9.2 फीसदी की दर से ब्याज देती है। यदि आपकी दो बेटियां हैं तो दोनों का अलग-अलग खाता खुलवाया जा सकता है। सुकन्या खाते को किसी भी बैंक या डाकघर में खुलवाया जा सकता है। इसमें 1000 रुपए से लेकर हर साल 1.5 लाख रुपए जमा कर सकते हैं। सुकन्या समृद्धि खाते की मैच्योरिटी अवधि 21 वर्ष है। हालांकि बेटी के 18 वर्ष की होने पर इस खाते में जमा कुल रकम में से 50 फीसदी रकम निकाली जा सकती है।
म्युचुअल फंड में कर सकते हैं निवेश
म्युचुअल फंड योजनाओं पर एक नजर डालें तो आज बाजार में एचडीएफसी, टैंपल्टन, टाटा जैसी कंपनियों के तकरीबन 30 ऐसी म्युचुअल फंड योजनाएं उपलब्ध हैं, जो बच्चों के लिए हैं। ये लंबी समयावधि में एक अच्छी धन-राशि जोड़ने के ख्याल से तैयार की गई हैं। इनमें सामान्यतया बीमा का विकल्प अंतर्निहित नहीं होता। आपको आवश्यक बीमा लेने का विकल्प दिया जाता है।
मार्केट लिंक्ड स्कीम
विभिन्न म्युचुअल फंड और अब जीवन बीमा कंपनियां भी निवेश के लिए मार्केट लिंक्ड योजनाएं पेश कर रही हैं। निवेश के विकल्प के तौर पर इन फंड्स में से अपने लायक फंड का चयन कर सकते हैं। निवेश से पहले किसी भी फंड के पूर्व-प्रदर्शन का अध्ययन करें और गौर करें कि चढ़ते-उतरते बाजार के बावजूद किस फंड का प्रदर्शन स्थिर रहा है। वास्तव में फंड की संरचना इसमें अहम भूमिका निभाती है। प्राय: ऐसी योजनाओं में बाजार के उतार-चढ़ाव से अत्यधिक प्रभावित होने वाले स्टॉक्स को शामिल नहीं किया जाता है। फिर भी निवेश से पहले कंपनियों के पिछले 2-3 साल के एनएवी पर एक नजर डालकर ही निर्णय लें।
पॉलिसी लेते समय इन बातों का रखें ध्यान
लॉक इन पीरिएड: पैसों की जरूरत कभी भी पड़ सकती है, इसलिए निवेश से पूर्व यह सुनिश्चित करें की निवेश की जाने वाली स्कीम में एक्जिट संबंधी नियम और पैनल्टी कितनी है। निवेशक म्युचुअल फंड के मामलों में जब चाहें निकासी कर सकते हैं। लेकिन निवेशक को एक्जिट लोड देना होता है। वहीं मार्केट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम्स में लॉक इन पीरिएड तीन वर्षों का होता है। इसका मतलब है कि 3 वर्षों के भीतर अगर आप अपनी पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो हाथ कुछ नहीं आएगा। कुछ कंपनियां मैच्योरिटी से पहले निकासी का विकल्प भी देती हैं। ऐसे में पॉलिसी लेते वक्त कंडीशन जरूर जान लें।
कैसे करें पॉलिसी का चयन: अगर आप जोखिम उठा सकते हैं और आपको लिक्विडिटी भी चाहिए तो अच्छे रिटर्न के लिए कम से कम पांच वर्ष के लिए अच्छे प्रदर्शन करने वाले म्युचुअल फंड योजना का चुनाव कर सकते हैं। वहीं इंश्योरेंस लेते वक्त क्लेम सैटलमेंट रेश्यो देख लें। अगर जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो आंखें मूंद कर पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश कीजिए।