नई दिल्ली। Investment Product की मार्केटिंग करने वाली संस्था या उससे जुड़े लोग निवेशकों को प्रोडक्ट की पूरी जानकारी नहीं देते। कई मामलों में तो स्वयं उनको ही प्रोडक्ट्स की पूरी जानकारी नहीं होती है। अगर होती है तो बताते नहीं हैं। अक्सर ऐसा भी होता है कि जानकारी तो होती है या निवेशकों को दी जाती है लेकिन या तो निवेशक इन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं देते या उन्हें समझ में नहीं आता है।
अक्सर निवेशक कुछ आसान से सवालों में घिर जाता है:
- रिटर्न्स देखें या ट्रैक रिकॉर्ड या कंपनी का ब्रांड?
- क्या सिर्फ उन प्रोडक्ट के रिटर्न्स पर ध्यान देना चाहिए या पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखा जाना चाहिए?
- क्या प्रोडक्ट वाली संस्था या कंपनी के ब्रांड पर ध्यान दिया जाना चाहिए?
यह सारी प्रक्रिया एक आम निवेशक के लिए काफी मुश्किल भरी हो सकती है। किसी भी Investment Product को परखने का बहुत ही आसान तरीका यह है कि उसे SLR की कसौटी पर परखा जाए। SLR का मतलब है S-सुरक्षा, L-लिक्विडिटी और R-रिटर्न।
निवेश की पहली कसौटी है धन की सुरक्षा
अगर किसी उत्पाद में सुरक्षा नहीं है तो आप उसमें निवेश करने के बारे में न सोचें। चाहे उसमें तरलता कितनी भी अच्छी हो या रिटर्न कितना ही आकर्षक हो।
सुरक्षा के बाद दूसरा कदम है लिक्विडिटी यानी तरलता
इसका मतलब यह है कि अगर आपको पैसों की जरूरत है तो उस निवेश को कितने समय में भुना कर अपना पैसा आप पा सकते हैं, या उस निवेश को बेचना कितना आसान है तथा उस प्रक्रिया में कितना खर्च लगने वाला है।
इन दो कदमों के बाद आता है रिटर्न का मुद्दा
अगर सुरक्षा और लिक्विडिटी अच्छी हो तभी रिटर्न की ओर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी निवेश में सुरक्षा और लिक्विडिटी अच्छी रहेगी तो अक्सर उस निवेश का रिटर्न हो सकता है थोड़ा कम हो। लेकिन निवेशकों को रिटर्न पर थोड़ा समझौता करना चाहिए।