दुर्घटना के कारण यदि आपके अपंग होने की वजह से आय का जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई न तो जीवन बीमा पॉलिसी और न ही हेल्थ इंश्योरेंस कवर कर पाएंगे। ऐसी स्थिति में पर्सनल एक्सीडेंटल कवर ही आपको बचा सकेगा। जैसे कि इसके नाम से पता चलता है, पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी स्थाई और अस्थाई विकलांगता के कारण आय को होने वाले नुकसान की वित्तीय भरपाई करती है। अगर दुर्घटना में पॉलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में बीमा कंपनी उसके नॉमिनी को सम एश्योर्ड राशि का भुगतान करती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि घर में आप अकेले कमाने वाले सदस्य हैं तो आपको अपने इंश्योरेंस पोर्टफोलियो में पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी को जरूर जोड़ना चाहिए।
policyX.com के सीईओ नवल गोयल का कहना है कि पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी न केवल बड़ी दुर्घटनाओं को कवर करती है बल्कि यह छोटी दुर्घटनाओं में भी सहायता प्रदान करती है। यहां तक कि छोटे से एक्सीडेंट में होने वाले मामूली फ्रेक्चर को भी इसमें शामिल किया जाता है। इसके साथ ही यह पॉलिसी काफी किफायती होती है और इसका प्रीमियम कम होता है।
पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी में पर्मानेंट टोटल डिसेबिलिटी, पर्मानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी और टेंपरेरी टोटल डिसेबिलिटी शामिल होती है। मृत्यु या पर्मानेंट टोटल डिसेबिलिटी (शरीर के किसी अंग के काम करना बंद कर देना या आंखों की रोशनी खो जाने की स्थिति में) 100 फीसदी सम एश्योर्ड राशि का भुगतान किया जाता है। दुर्घटना के दौरान पर्मानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी में अंगुली कट जाए तो पॉलिसी में स्पष्ट उल्लेखित की गई राशि दी जाती है। आम तौर पर यह राशि सम एश्योर्ड का 10 से 40 फीसदी के बीच होता है। टेंपरेरी टोटल डिसेबिलिटी जैसे कि फ्रैक्चर की स्थिति में सम एश्योर्ड के एक फीसदी के बराबर राशि का भुगतान हर हफ्ते किया जाता है। यह उस समय तक दिया जाता है जब तक इंश्योर्ड व्यक्ति विकलांग है।
हालांकि आपको ध्यान रखना चाहिए कि पर्सनल एक्सिडेंट पॉलिसी एक तरह से बेनेफिट स्कीम होती है। यह मृत्यु या फिर विकलांगता की स्थिति में ही कवर मुहैया कराती है। अगर किसी बीमारी के कारण मृत्यु या फिर विकलांगता होती है तो यह इंश्योरेंस पॉलिसी किसी भी तरह का कवर नहीं देती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पर्सनल एक्सीडेंट कवर खरीदते हुए कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी का चयन करना चाहिए।
PolicyBazaar.com के सीईओ और सह संस्थापक यशीश दहिया का कहना है कि पर्मानेंट टोटल डिसेबिलिटी और पर्मानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी में जरूर जांचे कि कितना कवर दिया जा रहा है। इनमें से उस प्लान का चुनाव करें जो सबसे ज्यादा कवर उपलब्ध करा रहा होगा।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सम एश्योर्ड अलग-अलग पॉलिसी पर निर्भर करता है। साथ ही जो व्यक्ति पॉलिसी खरीद रहा है उसकी उम्र और आय पर भी निर्भर करता है। स्टार हेल्थ इंश्योरेंस के सेल्स और मार्केटिंग के ज्वाइंट एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का कहना है कि हम लोगों को राय देते हैं कि पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी की राशि अपनी मौजूदा सालाना आय का पांच गुना होना चाहिए और अगर व्यक्ति ज्यादा राशि जुटा सकता है तो ऊंची कीमत वाली पॉलिसी का चयन करना चाहिए।
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